Praveen Kumar
Ranchi : डीसी साहब, डीडीसी साहब, एसपी साहब सब मुझसे जूनियर हैं, लेकिन हमें उनके अंडर में काम करना पड़ रहा है. हमें प्रमोशन तो मिल गया है, लेकिन अब तक पदस्थापन नहीं मिल सका है. सब अंधेर नगरी है. कभी-कभी मन करता है कि नौकरी छोड़ दूं, मगर क्या कीजिएगा, नौकरी तो करनी ही है. जब भगवान की मर्जी होगी तो ही कुछ हो पाएगा. यह दर्द राज्य प्रशासनिक सेवा के उन अधिकारियों का है, जिन्हें वर्षों पहले प्रमोशन तो दे दिया गया, लेकिन आज तक नये पद पर उन्हें पदस्थापित नहीं किया गया. इनमें से कई ऐसे अधिकारी हैं, जो अपने से जूनियर अधिकारियों के मातहत काम करने को मजबूर हैं. कुछ इसे तकदीर का खेल करार देते हैं, तो कुछ राज्य सरकार की नाकामी. ऐसे में ये अधिकारी अपनी जिम्मेदारी कितनी तन्मयता और ईमानदारी से निभा पाएंगे, इसका अंदाजा खुद-ब-खुद लगाया जा सकता है. ये अधिकारी न तो खुलकर विरोध जता पाते हैं और न ही अपनी आवाज सार्वजनिक मंचों पर उठा पाते हैं. ऐसे में उनकी मनोस्थिति को समझना मुश्किल नहीं है. ये वे अधिकारी हैं जिन पर बेबस जरूरतमंद जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने की जिम्मेदारी है. तंत्र की बेरुखी से प्रताड़ित और उपेक्षित महसूस कर रहे ये अधिकारी इन परिस्थितियों में जरूरतमंदों का सहारा कैसे बन पाएंगे, यह अपने आप ही समझा जा सकता है.
40 को मिली थी प्रोन्नति, महज तीन हुए पदस्थापित
बता दें कि 12 अक्टूबर 2022 को राज्य प्रशासनिक सेवा के 40 अधिकारियों का प्रमोशन आईएएस कैडर के लिए किया गया. इन्हें 2010, 11, 12 आईएएस कैडर दिया गया, लेकिन पदस्थापन नहीं किया गया. महज तीन अधिकारी ही ऐसे हैं, जिन्हें नये पदों पर पदस्थापन दिया गया. शेष सभी अधिकारी अपने से जूनियर अधिकारियों के मातहत सेवा देने को मजबूर हैं. वहीं, राज्य प्रशासनिक सेवा के लगभग 275 अधिकारी ऐसे हैं, जिन्हें प्रोन्नति तो दे दी गई, लेकिन नये पदों पर पदस्थापन अब तक नहीं दिया गया.
साउथ में जिले की कमान संभालते हैं प्रोन्नत पीसीएस
पदस्थापन की बाट जोह रहे अधिकारी कहते हैं कि दक्षिण भारत के विभिन्न राज्य हमसे विकास के मानदंडों में कहीं आगे हैं. वहां राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रोन्नत अफसर जिले की कमान भी संभालते हैं. लेकिन हमारे यहां जिले की कमान डायरेक्ट आईएएस ही संभाल रहे हैं. फिर भी राज्य के अधिकांश जिले पिछड़े ही हैं.
जिले का सबसे सीनियर अफसर, काम कर रहा जूनियर के अंडर

खूंटी जिले के एडिशनल कलेक्टर अरविंद कुमार को राज्य प्रशासनिक सेवा से प्रोन्नति देकर आईएएस बना दिया गया है. लेकिन उन्हें नये पद पर पदस्थापित नहीं किया गया है. वह खूंटी जिले में एडिशनल कलेक्टर के रूप में 1 मार्च 2019 से पदस्थापित हैं. उन्हें संयुक्त सचिव के रूप में जुलाई 2018 में प्रोन्नत किया गया था. 12 अक्टूबर 2022 को आईएएस में प्रोन्नति मिली. 1 नवंबर 2022 को उनका बैच डिसाइड हुआ. उन्हें 2011 का बैच आईएएस का अलॉट हुआ. जिले में तैनात सभी अधिकारी इनसे जूनियर हैं. अरविंद सबसे सीनियर होने के बाद भी जूनियर पद पर काम कर रहे हैं. जिले के उपायुक्त शशि रंजन 2014 बैच के आईएएस हैं. वहीं, डीडीसी नीतीश कुमार सिंह 2018 बैच के आईएएस है. एसपी भी 2014 बैच के हैं.
इन अधिकारियों को मिला 2010 आईएएस बैच
निसार अहमद, रवि रंजन मिश्रा, आलोक त्रिवेदी, संजय सिन्हा, मनोज जायसवाल, अनिल कुमार सिंह, हरि कुमार केसरी, जगबंधु मेहता, बिंदेश्वर तातम, इंदु रानी, अरुण सांगा, डीसी दास, एसी किस्पोट्टा, बी. मुंडा, लालचंद डाडेल, गायत्री कुमारी.
इन्हें मिला 2011 आईएएस बैच
एनके सिंह, नेल्सन बागे, शशि प्रकाश झा, अंजनी कुमार मिश्रा, संजय अंबष्ठ, अंजनी कुमार दुबे, अमित प्रकाश, शेखर जमुआर, संजय कुमार, अरविंद कुमार, राजू रंजन राय, पवन कुमार, अनिल कुमार.
2012 आईएएस बैच पाने वाले अफसर
मनमोहन प्रसाद, कुमुद साहू, शशि भूषण मेहरा, प्रदीप तिग्गा, पूनम प्रभा पूर्ति, मनोहार मरांडी, एके सत्यजीत, जी. कुमार, अजय कुमार सिंह, अभय अंबष्ठ.
अन्य विभागों की भी सुधि लें, तो बड़ी कृपा होगी।