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Ranchi: कल्याण विभाग में लंबित प्रोमोशन को लेकर महिला, बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग मंत्री के आप्त सचिव ने दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को कारवाई करने का निर्देश दिया है. राज्य के पांच जिलों में जिला समाज कल्याण विभाग में लिपिकों के लिए 55 और कार्यालय अधीक्षक के लिए 5 पद है. रांची, लोहरदगा, सिमडेगा, खूंटी और गुमला में इन पदों के लिए प्रोमोशन नहीं हुआ है.
इसके लिए बाल विकास परियोजना अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को 8 जुलाई को पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने विभाग में निम्नवर्गीय लिपिक से लेकर कार्यालय अधीक्षक तक के पद पर प्रोमोशन लंबित होने की बात कही थी. उन्होंने मांग करते हुए अपील की है कि वरीयता के अनुसार पद चिन्हित कर कर्मचारियों को प्रोमोशन दिया जाए.
सेवा अवधि पूरी होने के बाद भी प्रोमोशन नहीं मिलने से हो रहा आर्थिक नुकसान
संघ का कहना है कि सेवा की अवधि पूरी कर लेने के बाद भी प्रोमोशन नहीं मिलने के कारण उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है. इसके साथ ही समहरणालय कैडर में लिपिकों को प्रोमोशन मिलने और उनके पदों पर प्रोमोशन नहीं होने पर सभी कर्मचारियों में असंतोष की भावना है. इस संबंध में उन्होंने वर्ष 2020 में दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के उप-निदेशक कल्याण को भी प्रोमोशन के लिए अनुरोध किया गया था. पर अभी तक मामले में उनके द्वारा भी किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई है.
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50 प्रतिशन नियुक्ति सीधे और 50 प्रतिशत प्रोमोशन से करने का है प्रवाधान
जानकारी के अनुसार इन पदों पर नियुक्ति झारखंड बाल विकास सेवा अराजपत्रित कर्मचारी भर्ती और सेवा शर्त नियमावली-2006 के तहत की जाती है. इन नियमों के तहत लिपिक पद पर 50 प्रतिशत नियुक्ति सीधे होती है. चौथे वर्ग के लिए 50 प्रतिशत नियुक्ति प्रोमोशन से किए जाने का प्रवाधान है. लिपक के पद से ही उच्चवर्ग लिपिक उसके बाद लेखापाल फिर लेखापाल से कार्यालय अधीक्षक का पद प्रोमोशन के द्वारा भरे जाने का प्रवाधान है.
लंबित प्रोमोशन को पूरा करने के लिए विभागीय अधिकारियों से 2020 से ही जारी है पत्राचार
इस मामले में बाल विकास परियोजना अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने जानकारी देते हुए कहा है कि नियमों के अनुसार केवल खूंटी के जिला कल्याण विभाग में लिपिक पद, एक उच्चीय वर्ग लिपिक पद है, पर लेखापाल के लिए एक भी पद नहीं है. उनका कहना है कि इन इन जिलों के कल्याण विभाग में नियुक्त लिपिकों का कोई प्रोमोशन नहीं हुआ है. इसी कारण 2020 से वे विभागीय अधिकारियों से लगातार पत्राचार कर रहे हैं.
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