JhumriTillaya/Koderma: देश की राजधानी दिल्ली में 9 वर्षीय दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के खिलाफ़ दलित शोषण मुक्ति मंच (डीएसएमएम) और अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) के बैनर तले कला मंदिर से ओवर ब्रिज होते हुए झंडा चौक तक अक्रोशपूर्ण विरोध मार्च निकाला गया. जिसका नेतृत्व डीएसएमएम के जिला सचिव महेन्द्र तुरी और एडवा की संयोजक पूर्णिमा राय ने किया. जुलूस में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा कहां गया ? मोदी सरकार जवाब दो. दुष्कर्म व हत्या के दोषियों को फांसी दो. बहु बेटियों की रक्षा की गारंटी दो आदि नारे लगाए गये.
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दोषियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग
झंडा चौक पर डीएसएमएम के नेता दिनेश रविदास की अध्यक्षता में हुई सभा को सम्बोधित करते हुए सीटू नेता संजय पासवान ने कहा कि दिल्ली की ‘पुरानी नांगल’ बस्ती की दलित परिवार की बच्ची से दुष्कर्म व हत्या करने वाले घिनौने अपराधियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई किया जाना चाहिए. देश की राजधानी दिल्ली में कानून व्यवस्था की जिम्मेवारी अमित शाह के नेतृत्व वाली गृह मंत्रालय की है. जहां अपराधी बेखौप हैं. मामले की प्राथमिकी दर्ज करने में भी पुलिस ने देरी की है. यही कारण है कि यह मामला ठंडा भी नहीं हुआ था, कि शुक्रवार को फिर दूसरे मामला प्रकाश में आया. उन्होंने कहा कि इस सरकार में लड़कियां, महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. ऐसा लगता है कि राजधानी में कानून व्यवस्था चौपट हो गई है.
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फास्ट ट्रैक कोर्ट से हो मामले का निष्पादन
एडवा नेत्री पूर्णिमा राय ने मोदी के ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के नारे को जुमला बताया है. उन्होंने कहा आज देश की बेटियां सुरक्षित नहीं हैं. महिलाओं की रक्षा की गारंटी देनी होगी. विरोध प्रदर्शन के माध्यम से मांग की गई कि हत्या में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ दायर मामले का निष्पादन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में किया जाए. ताकि पीड़ित परिवार को इंसाफ़ मिलने में देर न हो. उन पुलिस अधिकारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की जाए, जिन पर आरोप है कि उन्होंने पीड़ित के परिवार को ही 15 घंटों तक दिल्ली कैंट थाने में बैठाए रखा और प्राथमिकी दर्ज करने में भी देरी की.
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