Jamshedpur : सरकारी सेवक के रिटायर्ड होने के बाद किस तरह की विभागीय परेशानियों का सामना करना पड़ता है. यह रिटायर्ड कर्मी से बेहतर कोई नहीं जानता. ऐसी ही परेशानियों का सामना धालभूमगढ़ के रिटायर्ड जनसेवक चंद्रिका प्रसाद सिंह मुंडा को करना पड़ रहा है. सेवा में रहते हुए उन्हें एसीपी का लाभ (प्रमोशन के सात वेतन वृद्धि) नहीं मिला. बाद में 2008 से एमएसीपी (सातवां वेतनमान लागू होने के बाद वेतन वृद्धि) नहीं मिला. इस बीच 2020 में चंद्रिका प्रसाद सिंह मुंडा रिटायर्ड हो गए. उनका पेंशन भी शुरू हो गया. लेकिन कम वेतनमान होने के कारण पेंशन की राशि न्यूनतम मिलती है. जिससे उनके परिवार का भरण पोषण नहीं हो पा रहा है. चंद्रिका प्रसाद सिंह मुंडा ने बताया कि वे अविभाजित बिहार में जनसेवक के तौर पर बहाल हुए. सरकारीकर्मियों को प्रत्येक दस वर्ष में प्रमोशन के साथ वेतनवृद्धि (एसीपी) का लाभ मिलता है. लेकिन उन्हें उक्त लाभ नहीं मिला. 2007 में सातवां वेतनमान लागू होने के बाद एसीपी को बदलकर एमएसीपी कर दिया गया. जिसका लाभ 2015 में मिलना चाहिए था. लेकिन वह लाभ भी उन्हें नहीं मिला. इस बीच वे रिटायर्ड हो गए. उन्होंने कहा कि रिटायर्ड होने के बाद कई दफे जिले के उपायुक्त एवं उप विकास आयुक्त को उक्त समस्या से अवगत कराया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि इस संबंध में बीते 2 अगस्त को सरकार के अवर सचिव (कृषि निदेशालय) की ओर से जिले के उपायुक्त एवं उप विकास आयुक्त को पत्र भेजकर आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. उन्होने कहा कि अगर इस संबंध में जल्द कार्रवाई नहीं होती है. तो वे न्यायालय की शरण में जाने को बाध्य होंगे.
सरकारी सेवकों के लंबित एसीपी एवं एमएसीपी का जल्द होगा निपटारा
उप विकास आयुक्त सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (जिला परिषद) परमेश्वर भगत ने बताया कि जिले में जिस सरकारी सेवक को एसीपी एवं एमएसीपी का लाभ नहीं मिल रहा है. इस संबंध में जल्द बैठक कर निर्णय लिया जाएगा. हालांकि कहा कि उनके स्तर से अभी तक कोई मामला लंबित नहीं है. ऐसे मामलों में राज्य मुख्यालय से निर्देश प्राप्त होते ही कार्रवाई होती है. धालभूमगढ़ प्रखंड के सेवानिवृत जनसेवक का मामला उनके संज्ञान में नहीं आया है.