Ranchi : पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमंत सरकार को आड़े हाथों लेते हुए जमकर आलोचना की है और कहा है कि यह सरकार हर मामले में फेल है. कोर्ट के कई मामलों में फजीहत के बावजूद यह सरकार अपने निकम्मापन पर इतरा रही है. श्री दास ने आगे कहा है कि इस सरकार की सारी ऊर्जा विपक्षी नेताओं पर फर्जी मुकदमें लादने, उन्हें फंसाने और कायदा कानून को ठेंगा दिखाने में खर्च हो रही है. यह बात श्री दास ने रविवार को एक प्रेस वक्तव्य के माध्यम से कही है.
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सरकार की किरकिरी
श्री दास ने आगे कहा है कि दो सितंबर को झारखंड हाईकोर्ट ने दो मामले की सुनवाई करते हुए वर्तमान सरकार के बारे में जो कुछ कहा वह किसी सरकार की किरकिरी के लिए काफी है. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में भूख से एक बिरहोर की मौत के मामले सुनवाई हो रही थी, जिसमें झारखंड के मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि सरकारी योजनाएं फेल हो गयी हैं. गांव – गरीबों तक न तो राशन पहुंच रहा है ना पीने का पानी, बिजली, न गैस पहुंच रही है. गांवों को भुखमरी की समस्या ने घेर लिया है. इस बारे में सरकार से 2 सप्ताह में जवाब मांगा गया. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एक अन्य मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने 2 सितंबर को ही कहा कि यदि जेपीएससी संवैधानिक संस्था नहीं होती तो उसे बंद करने का आदेश जारी कर देते. अदालत ने इस मामले में भी शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
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रूपा तिर्की मामले में फजीहत
रघुवर दास ने साहेबगंज की महिला दारोगा रूपा तिर्की की मौत के मामले की भी चर्चा की है और कहा है कि इसमें सरकार की जितनी फजीहत हुई वह कल्पनातीत है. रूपा के परिजनों, आदिवासी समाज, भाजपा समेत अन्य विपक्षी दल लगातार कह रहे थे कि इस मामले की सीबीआई जांच कराई जाये, लेकिन सरकार तैयार नहीं थी, सरकार ने सीबीआई जांच टालने की नीयत से हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग का गठन कर दिया, ताकि बला टले, लेकिन यह बला अब सरकार के गले की फांस बन सकती है.
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जज उत्तम आनंद की मौत मामले का भी हवाला दिया
रघुवर ने एक और मामले का हवाला दिया है और कहा कि इससे पहले 30 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधीश उत्तम आनंद की मौत के मामले में सरकार की खूब फजीहत हुई. मुख्य सचिव व डीजीपी से जवाब मांगा गया था. वहीं 5 जुलाई को झारखंड हाईकोर्ट ने पंचायत सचिवों की नियुक्ति मामले में न्यायालय के आदेश का अनुपालन नहीं होने पर राज्य सरकार से पूछा था कि आदेश की अवमानना का मामला क्यों नहीं चलाया जाए. श्री दास ने कहा कि ऐसे अनेकों मामले हैं जिन पर अदालत की टिप्पणियां, आदेशों, फैसलों के उल्लंघन में झारखंड सरकार का बदरंग चेहरा देखा जा सकता है.