उनके पिता कहा करते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उनका कार्यकाल उनके राजनीतिक जीवन का स्वर्णिम दौर था
New Delhi : भारत के पूर्व राष्ट्रपति दिवंगत प्रणब मुखर्जी राहुल गांधी द्वारा सितंबर 2013 में एक अध्यादेश की कॉपी फाड़ देने पर काफी नाराज हुए थे. य़ह खुलासा उनकी बेटी शर्मिष्ठा ने अपनी किताब ‘Pranab My Father: A Daughter Remembers की लॉन्चिंग समारोह में कही. नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
मामले की तह में जायें तो अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया था कि न्यूनतम दो साल की सजा वाले विधायकों और सांसदों को अपील के लिए तीन माह का समय दिये बिना सदन से तत्काल अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा. इस आदेश के कुछ समय बाद केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार यह अध्यादेश लेकर आयी थी, जिसमें दोषी सांसदों और विधायकों को अयोग्य घोषित करने के फैसले को पलटने की बात कही गयी थी.
शर्मिष्ठा ने किताब में प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है
राहुल पार्टी के फैसले के खिलाफ थे. उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि ऐसे अध्यादेश को फाड़कर फेंक देना चाहिए. यह कहते हुए उन्होंने पत्रकारों के सामने ही अध्यादेश की प्रति फाड़ दी थी.शर्मिष्ठा के अनुसार उनके पिता प्रणब मुखर्जी तब राहुल के अध्यादेश फाड़ने की बात पर काफी नाराज थे. बता दें कि शर्मिष्ठा ने किताब में प्रणब मुखर्जी और कांग्रेस से जुड़ी कई बातों का जिक्र किया है. शर्मिष्ठा ने कहा कि हालांकि पिता भी अध्यादेश के खिलाफ थे, लेकिन उनका मानना था कि इस पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए थी.
राहुल तब कैबिनेट का हिस्सा भी नहीं थे
सोमवार को शर्मिष्ठा ने बताया कि मैंने ही उन्हें (प्रणब मुखर्जी) यह खबर दी थी. जिससे वह काफी नाराज हो गये थे. प्रणब मुखर्जी के अनुसार कोई भी इस बात से सहमत होगा कि राहुल गांधी द्वारा अध्यादेश फाड़ा जाना बेहद अहंकारी और राजनीतिक तौर पर अपरिपक्व हरकत थी. शर्मिष्ठा ने कहा, मेरे पिता भी अध्यादेश के खिलाफ थे, लेकिन उनका कहना था कि ऐसा करने वाला राहुल गांधी कौन होता है? राहुल कैबिनेट का हिस्सा भी नहीं थे.
राजीव गांधी ने कैबिनेट से मेरे पिता को बाहर कर दिया
शर्मिष्ठा ने कहा कि मेरे पिता के बारे में राजीव गांधी या सोनिया गांधी क्या सोचते थे यह तो वही दोनों जानते हैं, लेकिन जहां तक मेरे पिता के विचारों की बात है तो उन्होंने अपने नोट्स में लिखा था कि राजीव गांधी का सोचना था कि मैं एक सख्त व्यक्ति हूं, जो किसी की भी बात आंख मूंदकर नहीं मान सकता.
शायद इसी कारण उन्होंने कैबिनेट से मेरे पिता को बाहर कर दिया. पुस्तक पर बातचीत के क्रम में उन्होंने अपने पिता द्वारा आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने के विरोध को भी याद किया. कहा कि मैंने बाबा से उनके फैसले पर तीन-चार दिनों तक लड़ाई की थी. लेकिन उन्होंने कहा कि यह मैं नहीं, बल्कि देश इसकी इजाजत दे रहा है. उनके पिता कहा करते थे कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में उनका कार्यकाल उनके राजनीतिक जीवन का ‘स्वर्णिम दौर था.