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नामकुम-कांड्रा की तरह इसे भी ठंडे बस्ते में डालने की हो रही कवायद
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राज्य सरकार सक्रिय होती तो नहीं आती यह नौबत
Ranchi: राजधानी से टाटा के लिए प्रस्तावित दोनों नयी रेल लाइनों को बनाने के लिए राज्य सरकार को फिर से जोर लगाना होगा. दो वर्षों से नामकुम, कांड्रा और लोधमा-खूंटी-कांड्रा लाइन पर कोई कार्य नहीं हुआ है. राज्य सरकार की ओर से पहल नहीं होने के कारण ही रेलवे ने माल ढुलाई के लिए नामकुम-कांड्रा को अव्यवहारिक मार्ग बताकर फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है. राज्य सरकार यदि सक्रिय होती तो यह नौबत नहीं आती.
यह दोनों लाइन यात्रियों के लिहाज से यह काफी अहम लाइन है. इसलिए इसके निर्माण की योजना बनायी गयी. दूसरी लाfन खूंटी से जोड़ने के लिए लोधमा-कांड्रा रेल लाइन की योजना बनायी है. इन मार्गों के बन जाने से कोलकाता की दूरी भी कम होगी.
रेल डिवीजन के सीनियर डीसीएम अवनीश के अनुसार रांची-कांड्रा रेल लाइन को रेलवे बोर्ड के निर्देश पर ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है.उन्होंने कहा की दूसरी लाइन लोधमा-खूंटी-तमाड़-कांड्रा के बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं है. रेलवे इन लाइनों को मालगाड़ी के लिए अव्यवहारिक बता रही है.
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106 किमी लंबी नामकुम-कांड्रा रेललाइन बनाने की मांग वर्षों पुरानी है. इस रेल लाइन की 2005 से 2010 के बीच दो बार सर्वे हो चुका है. 2017 के बाद भी नए सिरे से इसके सर्वे किए गए. जबकि दूसरी लोधमा-खूंटी-तमाड़-कांड्रा नयी रेललाइन बनाने का नया प्रस्ताव राज्य सरकार का है.
2017 में राज्य सरकार की इस पहल पर केंद्रीय बजट में शामिल किया गया. इसका सर्वे किया जाना है. कोरोना काल होने के कारण रेलवे ने इस नए प्रस्ताव पर कुछ नहीं किया और राज्य सरकार की ओर से भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
रांची से टाटा की दूरी 50 किमी होती कम
रांची से टाटा के बीच उपलब्ध तीन लाइनों में सबसे कम दूरी की लाइन रांची-मुरी-तोरांग-चांडिल की दूरी 174.5 किमी है. जबकि नामकुम काड्रा रेललाइन बन जाने के बाद टाटा की दूरी घटकर सिर्फ 126 किमी रह जाएगी. रांची से टाटा के बीच सफर करने में पांच घंटे का समय लगता है. जबकि नयी रेल लाइन बनने के बाद दो से ढाई घंटे में सफर होगा. इसके बन जाने से दोनों शहरों के बीच तीन से चार फेरे इंटरसिटी ट्रेनें चलाई जा सकती हैं.
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