New Delhi : कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने संसद के मॉनसून सत्र के दौरान संसद भवन पर प्रदर्शन करने का एलान किया है. भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने मंगलवार को कहा कि हम 22 जुलाई को संसद के बाहर जाकर बैठेंगे. टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार बातचीत के लिए तैयार नहीं है, इसलिए हमारा आंदोलन जारी रहेगा. राकेश टिकैत ने कहा कि पूरे सत्र के दौरान कम से कम 200 किसान संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे. गौरतलब है कि संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हो रहा है. राकेश टिकैत ने अपने ट्विटर पर पोस्टर जारी करते हुए लिखा है कि संसद अगर अहंकारी और अड़ियल हो, तो देश में जनक्रांति निश्चित होती है. पोस्टर पर लिखा हुआ है कि किसान 22 जुलाई को संसद के बाहर प्रदर्शन करेंगे.
संसद अगर अहंकारी और अड़ियल हो तो देश में जनक्रांति निश्चित होती है।#farmersprotest_atparliament @AHindinews @PTI_News @htTweets @abhisar_sharma @Kisanektamorcha @ABPNews @aajtak @news24tvchannel @ndtv @the_hindu @thewire_in @bstvlive @QuintHindi @OfficialBKU pic.twitter.com/7skPYXleJl
— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) July 13, 2021
पंजाब के विभिन्न हिस्सों से दिल्ली कूच कर रहे किसान
दूसरी ओर, संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने सोमवार को कहा कि पंजाब के विभिन्न हिस्सों से किसानों ने मानसून सत्र के दौरान संसद भवन के बाहर योजनाबद्ध विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली कूच करना शुरू कर दिया है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हमने पहले ही 22 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करने की योजना की घोषणा की थी. मोर्चा ने कहा है कि लुधियाना, संगरूर, मानसा, बठिंडा, बरनाला, रोपड़, फाजिल्का और फरीदकोट सहित विभिन्न जिलों के दर्जनों कारवां सिंघू और टिकरी बॉर्डर के लिए पहले ही रवाना हो चुके हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों के अधिकारों के लिए संसद में आवाज उठाने के लिए 17 जुलाई तक विपक्षी दलों को चेतावनी पत्र भेजने की अपनी मंशा भी दोहरायी.
यह भी पढ़ें – राज्यपाल को शिष्टाचार विदाई भी नहीं देने गये झारखंड बीजेपी के बड़े नेता
सत्र के दौरान हर दिन विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र भेजेंगे
संयुक्त किसान मोर्चा ने सोमवार को कहा था कि वे संसद के मॉनसून सत्र के दौरान हर दिन विपक्षी पार्टियों को एक वार्निंग लेटर भेजेंगे. इसके जरिये संसद में विपक्षी पार्टियों के सदस्यों से कहा जाएगा कि वे किसानों की आवाज को संसद में उठायें. मोर्चा ने कहा है कि 22 जुलाई से सत्र के अंत तक संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रत्येक किसान संगठन के पांच सदस्य (कुल मिलाकर कम से कम 200 किसान) संसद के बाहर विरोध-प्रदर्शन करेंगे.