- विभिन्न श्रमिक संगठनों का प्रदर्शन शुरू
- आश्वासन के बाद ठेका कर्मियों का गुस्सा शांत हुआ
Shubham Kishor
Ranchi : एचईसी के 1623 ठेका कर्मी शुक्रवार को एक साथ बेरोजगार हो गए. कंपनी के एफएफपी कारखाना के मुख्य गेट पर ठेका कर्मियों को अंदर जाने से रोक दिया गया. एफएफपी प्लांट प्रबंधन ने नोटिस जारी कर ठेका कर्मियों के कारखाना के अंदर जाने पर रोक लगा दी है. मेन गेट पर ठेका कर्मियों को सीआईएसएफ ने रोका. जिसके बाद एचईसी में ठेका कर्मियों को लेकर विभिन्न श्रमिक संगठनों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया.
नये कांट्रैक्टर की तलाश जारी- संजय कुमार
एचईसी का औद्योगिक माहौल खराब नहीं हो, इसे देखते हुए एचईसी सप्लाई संघर्ष समिति का प्रतिनिधिमंडल एफएफपी के सीनियर डीजीएम ऑपरेशन संजय कुमार से मिला. प्रतिनिधिमंडल में ठेका श्रमिक मनोज पाठक, दिलीप सिंह, वाई त्रिपाठी, राजेश कुमार शर्मा और प्रमोद कुमार शामिल थे. संजय कुमार ने ठेका कर्मियों को बताया कि उनका कांट्रैक्ट 31 अगस्त 2023 को समाप्त हो गया है. नए कांट्रैक्ट के लिए मैनेजमेंट ने टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है. टेंडर भी हुआ था, मगर किसी कांट्रैक्टर ने रूचि नहीं दिखाई. कांट्रैक्टर की तलाश जारी है. एफएफपी मैनेजमेंट ने दो दिनों के लिए कारखाना में प्रवेश पर रोक लगायी है. उसके बाद ठेका कर्मी प्लांट के अंदर प्रवेश कर सकेंगे. जब तक ठेका कर्मियों से संबंधित नया कांट्रैक्ट नहीं हो जाता है, तब तक ठेका कर्मी अपने कार्य स्थल पर आना-जाना कर सकेंगे. मैनेजमेंट के ऐसे आश्वासन के बाद ठेका कर्मियों का गुस्सा शांत हुआ.
एजेंसी ने खुद को पीछे कर लिया
एचईसी के ठेका कर्मियों की नौकरी एक सितंबर से समाप्त हो गयी. क्योंकि 31 अगस्त के बाद से ठेका कर्मियों का कांट्रैक्ट समाप्त हो गया. जिस कंपनी के तहत ठेका कर्मी एचईसी में इनरॉल थे, उस कंपनी ने आगे काम लेने से इनकार कर दिया है. क्योंकि एचईसी ने एजेंसी को ठेका कर्मियों के इएसआई और जीएसटी आदि मद का भुगतान बंद कर दिया था. जिस वजह से एजेंसी पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ता गया. अंततः एजेंसी ने खुद को पीछे कर लिया. वर्तमान में कंपनी की आर्थिक स्थिति को देखते हुई कोई नई कंपनी भी नहीं आ रही है. ऐसे में 1 सितंबर से 1623 ठेका कर्मी एक साथ बेरोजगार हो गए. ऐसे में ठेका कर्मी मैनेजमेंट के आश्वासन पर कारखानों में आते हैं और किसी तरह की दुर्घटना हो जाती है, तो उसके लिए मैनेजमेंट जवाबदेह नहीं होगा. दूसरी तरफ ठेका कर्मियों और उनके परिवार वालों को अब मेडिकल आदि सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ेगा.
18 माह से स्थायी सहित ठेका कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रहा
एचईसी द्वारा 18 माह से स्थायी सहित ठेका कर्मियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. पीएफ और ईएसआई के खाते में पैसा नहीं जमा किया जा रहा है. एचईसी में अभी कुल 2776 कर्मी कार्यरत हैं. इसमें 1153 स्थायी कर्मी हैं. इसमें अफसर की संख्या 500 है. 625 वर्कर और 25 सुपरवाइजर हैं. वहीं 1623 ठेका कर्मी हैं. यह आंकड़ा जुलाई माह का है. ठेका कर्मियों के नौकरी के संकट को देखते हुए मैनेजमेंट के आला अफसर नए कांट्रैक्टर की तलाश में जुट गए हैं.
रोजमर्रा का कार्य प्रभावित न हो- राणा संग्राम सिंह
इधर, हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि बिना टेंडर और बिना ठेकेदार के भी अब सप्लाई कामगारों को प्लांट में जाने से कोई नहीं रोकेगा. ठेकेदार जेपी राय के स्वर्गवास के बाद नया टेंडर हुआ नहीं है. रुपए की कमी की वजह से ईएसआ वगैरह का रुपया जमा नहीं हो पाया है. न ही दूसरा कोई ठेकेदार तैयार हो रहे हैं. इसीलिए हमने पूर्व में कहा था कि प्रभारी निदेशकों की अनुपस्थिति में एचईसी में वर्तमान महाप्रबंधकों में से किसी एक को मुख्य महाप्रबंधक या महाप्रबंधक वर्क्स बनाया जाये. ताकि रोजमर्रा का कार्य प्रभावित न हो. प्रभारी अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक नलिनी सिंघल को एचईसी में आने की न इच्छा है न चाहत है. वह बस एचईसी का पद तमगा की तरह छाती पर लटकाये घूम रहे हैं. शेष निदेशक आ रहे हैं. कार्य पूर्ण कर रहे हैं. श्री राणा ने कहा कि अगर स्थानीय बड़ा पदाधिकारी होता, तो संवाद की कमी की वजह से एफएफपी गेट पर सप्लाई कामगारों को घंटों प्रतीक्षा में खड़ा नहीं होना पड़ता.
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