Shruti Prakash
Ranchi: हौसले बुलंद हों तो जीवन की हर चुनौती आसान हो जाती है. मन में साहस और आत्मविश्वास हो तो आपके सपनों को पूरा करने में सारी ताकतें जुट जाती है. कुछ ऐसी ही कहानी है झारखंड की बेटी सुप्रीति कच्छप की. गुमला की रहने वाली 19 साल की सुप्रीति एथलीट है और अबतक स्टेट और नेशनल स्तर के अनेकों मेडल जीत कर रिकार्ड अपने नाम कर चुकी है. फिलहाल सुप्रीति पटियाला के स्पोर्ट्स एकेडमी में हैं जहां वो कोलंबिया में होने वाली इंटरनेशनल प्रतियोगिता की तैयारी में जुटी है. तमाम सफलताओं के बावजूद नक्सल प्रभावित क्षेत्र की रहने वाली सुप्रीति और उसका परिवार गरीबी और आभाव से जूझ रही है. ऐसे में अदाणी फाउंडेशन ने सुप्रीति की तरफ मदद का हाथ बढ़ाते हुए उसके परिवार को 50 हजार रूपये की मदद दी है. सुप्रीति की मां बालमती देवी कहती है. “अदाणी फाउंडेशन से मिली इस आर्थिक मदद से सुकृति अपने लिए जूते और अन्य जरूरी सामान खरीद पाएगी. ज्ञात हो कि सुप्रीति अंडर 20 एथलेटिक्स वर्ल्डकप खेलने कोलंबिया जाने वाली है.”
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डॉ. प्रीति अदाणी ने दी बधाई
अदाणी फाउंडेशन की अध्यक्ष डॉ. प्रीति अदाणी ने सुप्रीति को शुभकामनाएं देते हुए कहा, “मुझे गर्व है कि ग्रामीण भारत की हमारी लड़कियां वैश्विक स्तर पर खेलों में अपनी चमक बिखेर रही हैं. मैं कोलंबिया में आयोजित होने जा रही विश्व एथलेटिक्स अंडर 20 चैंपियनशिप के लिए सुप्रीति को शुभकामनाएं देती हूं.”
सुप्रीति कच्छप की ऊंची उड़ान
सुप्रीति कच्छप झारखंड के जिला गुमला की रहने वाली हैं. 19 साल की सुप्रीति एथलीट हैं और अब तक कुल 13 नेशनल टूर्नामेंट जीत चुकी है. हाल ही में पंचकूला में हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने के साथ ही सुप्रीति ने एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम दर्ज कराया है. सुप्रीति ने 3000 मीटर लंबी दौड़ को महज 9 मिनट 46.14 सेकेंड्स में पूरा किया है। सुप्रिति अब अंडर-20 विश्वकप (2-7 अगस्त) खेलने कोलंबिया जा रही हैं. वहां वह 5000 मीटर रेस में हिस्सा लेंगी.
सुप्रीति कच्छप का जीवन परिचय
झारखंड के गुमला में जन्मे सुप्रीति के पिता का नाम रामसेवक ओरांव था और माता का नाम बालमती है. परिवार का पालन पोषण करने के लिए रामसेवक वैद्य का काम करते थे. वह आसपास के गांवों में जाकर मरीजों को देखते थे.साल 2003 में दिसंबर की रात रामसेवक घर नहीं लौटे.बालमती समेत पांच बच्चे मां पिता की वापसी का इंतजार करते रहे लेकिन अगले दिन सुबह रामसेवक और कुछ ग्रामीणों की लाश मिली. नक्सलियों ने उनको गोलियों से छलनी करके पेड़ से टांग दिया. पिता के निधन के समय सुप्रीति बहुत छोटी थी. मां ने ही सभी बच्चों को पाला. बालमती देवी को घाघरा ब्लॉक के बीडीओ ऑफिस में नौकरी मिल गई. सरकारी क्वार्टर में बच्चों के साथ रहने के लिए आसरा भी मिल गया. यहां से सुप्रीति ने दौड़ना शुरू किया. आज वह दौड़ती हुई सफलता की ऊंचाई को छू रही है.
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सुप्रीति का करियर
इंटर स्कूल प्रतियोगिता में सुप्रीति की मुलाकात कोच प्रभात रंजन तिवारी से हुई. उन्होंने सुप्रीति को प्रशिक्षण देना शुरू किया और साल 2015 में सुप्रीति झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में ट्रेनिंग शुरू की. इस दौरान इसने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया. 400 मीटर, 800 मीटर, 1500 मीटर और फिर 3000 मीटर की दौड़ में कई कीर्तिमान भी स्थापित किए.
नेशनल मेडल से शुरू हुई प्रसिद्धि की कहानी
साल 2019 में सुप्रीति की मेहतन का फल उस समय मिला जब उन्होंने अपना पहला नेशनल मेडल जीता. फिर नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य जीता. सुप्रीति ने साल 2021 में गुवाहाटी में आयोजित नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर रेस को रिकॉर्ड समय में पूरा कर लिया. सुप्रीति को विश्वास है कि आगामी वर्ल्ड कप प्रतियोगिता में वह नये कीर्तिमान गढ़ने जा रही है.अदाणी फाउंडेशन ने भी सुप्रीति कच्छप को जिंदगी की हरेक दौड़ में सफलता हासिल करने की शुभकामना दी है.