- ऑटो चालक जबरन यात्रियों से ले रहे मनमाना किराया
- चालकों को संगठन, ट्रैफिक एवं प्रशासन का संरक्षण
- नगर निगम अबतक नहीं कर सका किराये का निर्धारण
- नगर निगम ऑटो चालकों से वसूल रहा अपने हिस्से का टैक्स
Ranchi: शहर के अंदर मुख्य मार्गो पर स्थित महत्वपूर्ण चौराहों पर ऑटो चालकों से टैक्स लेने वाला नगर निगम यात्रियों के लिए भाड़ा तक निर्धारित नहीं कर सका है. हर दिन ऑटो से चार लाख रुपए की उगाही होती है. लेकिन आम यात्रियों को इस टैक्स के एक पैसे की सुविधा का भी लाभ नहीं मिल रहा है. नगर निगम के अधिकारियों के कारण शहरवासी मनमाना भाड़ा देने को मजबूर हैं.
नगर निगम के अधिकारी, ट्रैफिक अधिकारी और ऑटो चालकों से जुड़े विभिन्न संगठनों के गठजोड़ के बीच आम यात्री पिस रहे हैं. ऑटो चालकों को इनका संरक्षण हासिल है. कोरोना काल के इस संकट दौर में भी ऑटो चालक सामाजिक दूरी के नियमों को ताक पर रखकर लॉकडाउन की हिसाब से जबरन भाड़ा ले रहे हैं. यही कारण है कि शहर के अंदर एक किलोमीटर से भी कम दूरी का किराया 10 रुपये निर्धारित है.
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ऑटो चालकों से नगर निगम टैक्स का अपना हिस्सा तो वसूल रही है. लेकिन बदले में शहर की सबसे बड़ी यातायात सेवा को व्यवस्थित करने में पूरी तरह विफल है. किराया निर्धारित नहीं होने से ऑटो से सफर करने वाले यात्री हर रोज दोगुने से चौगुनी तक किराये देने को मजबूर हैं.
निगम की ओर से रांची शहर के अंदर 6 रूटों पर टोकन की वसूली होती है. शहर के अंदर रातू रोड, संत जेवियर्स कॉलेज के सामने, अरगोड़ा चौक, खादगढ़ा बस स्टैंड आदि जगहों पर यह वसूली हो रही है़. इन जगहों पर तैनात ठेकेदार निगम के निर्धारित शुल्क से भी अधिक पैसे की वसूली कर रहे हैं.
निगम की वसूली
संत जेवियर्स के सामने- 20 रुपये
रातू रोड- 25 रुपये
रांची स्टेशन- 60 रुपये
हटिया स्टेशन- 30 रुपये
खादगढ़ा बस स्टैंड- 20 रुपये
आईटीआई बस स्टैंड- 20 रुपये
अरगोड़ा चौक- 20 रुपये
शहर में 20 हजार से अधिक ऑटो
राजधानी रांची में 20 हजार से अधिक ऑटो का परिचालन हो रहा है. इसमें सबसे अधिक करीब 10 हजार ऑटो रातू रोड से आईटीआई बस स्टैंड मार्ग पर चलते है. बावजूद इस मार्ग पर ऑटो यात्रियों और ऑटो के लिए नगर निगम की ओर से कोई भी सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. रातू रोड में ही न्यू एरिया मार्केट की पार्किंग ऑटो के लिए है भी तो वह संख्या के लिहाज से काफी छोटी है. इसके अलावा पूरे शहर में ऑटो के लिए कहीं भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है. यात्रियों को इससे भी परेशानी का सामना करना पड़ता है.
किराया निर्धारण का अधिकार जिला प्रशासन का
झारखंड यात्री संघ के अध्यक्ष प्रेम मित्तल ने इस बारे में बताया कि ऑटो किराये का निर्धारण जिला प्रशासन की जवाबदेही है. जब RTA ऑटो के लिए परमिट जारी करता तो फिर भारत निर्धारण का भी काम जिला प्रशासन का ही है. जबकि के के सोन इस शहर के उपायुक्त थे तो उन्होंने भाड़ा निर्धारण के लिए एक प्रयास किया था.
लेकिन यह दुर्भाग्य से नहीं हो सका. बाद में भी वैसी कोई प्रयास नहीं हुई. यहां तो उल्टी गंगा बहती है. ऑटो का किराया उससे जुड़े चालको का महासंघ तय करते हैं. और उसे लागू भी कर देते हैं. ऑटो से बड़ी राशि अवैध उगाही के तौर पर की जाती है. इसमें ऑटो चालकों के विभिन्न संगठनों से लेकर प्रशासन और निगम के अधिकारियों तक का गठजोड़ शामिल है. जब तक यह उगाही होती रहेगी किराया का निर्धारण मुश्किल है.
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