Ranchi: खजूर रविवार, जिसे पाम संडे के नाम से भी जाना जाता है. खजूर पर्व रविवार के साथ ख्रीस्त समुदाय के लोग पवित्र सप्ताह (पुण्य सप्ताह) में प्रवेश करते हैं. यह रविवार ठीक पास्का रविवार या ईस्टर से पहले का रविवार होता है. बाइबल के अनुसार, ख्रीस्तीय विश्वासी यीशु मसीह के यरुशलम में प्रवेश करने की घटना को स्मरण करते हैं. जब यीशु मसीह यरुशलम में प्रवेश कर रहे थे, विश्वासी लोग यीशु के स्वागत में उनके रास्ते पर खजूर की डालियों को लहराकर ,कपड़े बिछा कर स्वागत करते हैं. इस दिन को यीशु के दुःख भोग को क्रूस में चढ़ाए जाने को याद करते है, यही वजह है कि इस रविवार को दुःख के रविवार के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही ख्रीस्तीय विश्वासी कलीसिया पुण्य सप्ताह में प्रवेश करते है. खजूर रविवार के दिन चर्चों में विशेष प्रार्थना सभाएं और मिस्सा का आयोजन किया जाता हैं. चर्च के बाहर और अंदर खजूर की डालियां सजाई जाती हैं, और लोग इन डालियों को लेकर प्रभु यीशु के आगमन की खुशी में गीत गाते हैं. इस दिन को शांति, आशा और उद्धार के संदेश के रूप में मनाया जाता है. ख्रीस्तीय विश्वासी में यह एकता और भक्ति की भावना को मजबूत करता है. खजूर रविवार ख्रीस्तीय अनुयायियों के लिए आत्म मंथन और प्रार्थना का भी समय होता है. जिसमें सभी यीशु के बलिदान और प्रेम को याद करते हैं. इसकी जानकारी फादर सुशील टोप्पो, संत थॉमस, पोंतिफिकल यूनिवर्सिटी, रोम ने दी.
संदेश –
खजूर रविवार का मुख्य संदेश विनम्रता और उद्धार का है. यह दिन यीशु मसीह के यरुशलम में राजा के रूप में नहीं बल्कि एक विनम्र सेवक के रूप में प्रवेश करने की घटना को याद करता है. इस दिन को यीशु के दुःख भोग और क्रूस की ओर बढ़ते कदमों के रूप में भी देखा जाता है. जो अंत में उनके पुनरुत्थान और मानवता के लिए उद्धार की ओर ले जाता है. इस दिन खजूर की डालियों का उपयोग यीशु के राजा के रूप में नहीं बल्कि शांति के दूत के रूप में स्वागत करने के लिए किया जाता है. इस प्रकार, खजूर रविवार शांति, आशा, और नवीनीकरण का प्रतीक है.
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