Ranchi: सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर भाकपा माले रांची नगर कमेटी ने कचहरी स्थित सुभाष पार्क में उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया. भाकपा ने सुभाष चंद्र बोस समाजवादी धारा जिंदाबाद, स्वतन्त्रता आन्दोलन के शहीदों अमर रहे के नारे के साथ उन्हें सलामी दी. माल्यार्पण कर कार्यकर्ताओं ने माल्यार्पण कर उनके रास्ते पर चलने का संकल्प लिया.
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सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय एकता के प्रतीक थे
माले के जिला सचिव भुवनेश्वर केवट ने कहा कि सुभाष चंद्र बोस और गांधी को अलग-अलग तरीके से देखा नहीं जा सकता है. गांधी जी को बापू की संज्ञा सुभाष चंद्र बोस ने ही दिया था. सुभाष चंद्र बोस जब लंदन से पढ़कर पहली बार भारत आए तो सबसे पहले गांधी जी से मिलकर आजादी के संघर्ष को मुकाम तक पहुंचाने की योजना बनाई. सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय एकता साझी विरासत के प्रतीक थे. माल्यार्पण कार्यक्रम में माले के राज्य कमेटी सदस्य मोहन दत्ता, इनौस के प्रदेश सचिव अमल घोष, छात्र नेता सोहेल अंसारी, अभय साहू, राजेन्द्र दास, एनामुल हक, लक्ष्मी पासवान, बीना टोप्पो, विजय तिर्की और उषा टोप्पो मौजूद थे.
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