Tarun Choubey
Ranchi: किसी जमाने में रांची को तालाबों का शहर कहा जाता था. यहां हर इलाके में बड़े- छोटे तालाब और जलाशय हुआ करते थे. रांची नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार, वर्ष 1929 तक रांची में कुल 194 छोटे-बड़े तालाब और जलाशय हुआ करते थे. वर्तमान में स्थिति यह है कि अब इनकी संख्या घटकर महज 67 रह गई है. वो भी कई कागजों पर ही हैं.
तेजी से हो रहे शहरीकरण ने बिगाड़ी रांची की सूरत
रांची के राजधानी बनने के बाद यहां तेजी से शहरीकरण हो रहा है. यहां बड़े-छोटे अपार्टमेंट समेत छोटे-बड़े घरों का निर्माण किया जा रहा है. इस वजह से तालाबों को भरकर वहां मकान बना दिए जा रहे हैं. इससे रांची का जलस्तर तेजी से गिर रहा है. अनियोजित और बेतरतीब विकास, अवैध भवन निर्माण जल निकायों के विनाश का एक महत्वपूर्ण कारण है. हालांकि, रांची नगर निगम शहर में जल स्तर को बढ़ाने के लिए कई पहलुओं पर काम कर रहा है.
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उप प्रशासक कुंवर सिंह पाहन ने कहा, जलाशयों के घटने के बारे में कहा जा रहा है कि अपनी प्राकृतिक जल निकायों प्रणाली का एक बड़ा हिस्सा खो दिया है. जिसमें पहले कई जलाशय और धाराएं शामिल थीं. इसका शहर की जलापूर्ति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है. हालांकि निगम के द्वारा कई जलाशय को बचाने के लिए प्रयास किए जा रहे है. इसके साथ इस वर्ष हमारा लक्ष्य एक लाख से अधिक पौधों को लगाने का लक्ष्य रखा गया है. नगर निगम जलाशयों से अतिक्रमण हटाने पर कार्रवाई कर रहा है, निगम के द्वारा हरमू नदी के आसपास कुल 17 अतिक्रमणकारियों की पहचान की गई है, वहीं हटिया बांध के आस-पास 51 और बड़ा तालाब के आस-पास 18 जगहों पर अतिक्रमण कारियों की पहचान की गई है. रांची नगर निगम ने कई अतिक्रमण की हुई जगह पर कार्रवाई करते हुए इन स्थलों को अतिक्रमण मुक्त कराया.
बिरसा एग्रीकल्चर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर, मिंटू जॉब ने मृदा और जल संरक्षण पर कहा कि जल निकायों की क्षमता समय-समय पर बनाए रखी जानी चाहिए. उसका साफ-सफाई समय-समय पर किया जाना चाहिए. शहरीकरण के कारण कई बांधों, झीलों, जलाशयों पर सीमाएं बनाई गई हैं. दूरदर्शिता और तैयारी की कमी के परिणामस्वरूप अधिक मूल्यवान संसाधनों का नुकसान हो सकता है. अवशिष्ट जल निकायों के संरक्षण के लिए ठोस प्रयास करने का समय आ गया है. जो शहर के सतत विकास और पारिस्थितिक संतुलन के लिए आवश्यक हैं.
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पर्यावरणविद् के अनुसार, इन जल निकायों के नुकसान से भूजल स्तर में गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप शहर के विभिन्न क्षेत्रों में पानी की कमी हो गई है. लुप्त हो रहे जल निकायों का शहर की जैव विविधता पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है. रैप्टर्स और जलीय जानवरों की कई प्रजातियां जैसे कि लाल सिर वाले गिद्ध और हिमालयी गिद्ध अपने प्राकृतिक आवास के विनाश के परिणामस्वरूप विलुप्त होने के कगार पर हैं. पारिस्थितिक संतुलन गंभीर रूप से बाधित हो गया है.