-पिछड़ा आयोग के अनुशंसा को सरकार ने क्यों दरकिनार किया, कम से कम 36 प्रतिशत मिले ओबीसी को आरक्षण
-मूलवासी-सदान सवर्णों की स्थिति खराब, जातिगत जनगणना होनी चाहिए
Ranchi: मूलवासी-सदान मोर्चा ने रविवार को मशाल जुलूस निकाला. मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक जुलूस जयपाल सिंह स्टेडियम से निकाला गया. यह अलबर्ट एक्का चौक तक गया. यहां पर आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि यह कार्यक्रम ओबीसी को 36 प्रतिशत आरक्षण देने और ओबीसी का जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर की गयी है. उन्होंने कहा कि देश आजादी का 75वां अमृत महोत्सव मना रहा है. लेकिन पिछड़ी जाति, जनजाति और मूलवासी सदान अपने अधिकार के लिए आज भी संघर्षरत और आंदोलित हैं. उन्होंने कहा कि पिछड़ी जातियों का जब तक जाति जनगणना और सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक स्थिति का सर्वेक्षण सरकार नहीं कराती है, तब तक कानूनी अड़चन के कारण पिछड़ी जातियों को कोई लाभ नहीं मिलने वाला है.
मोर्चा के अध्यक्ष ने कहा कि सरकार ने पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की सराहनीय पहल की है. लेकिन जब तक सर्वेक्षण नहीं होगा, इसका कोई लाभ मिलने वाला नहीं है. झारखंड में में पिछड़ी जातियों की आबादी 55 प्रतिशत है. ऐसे में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना नाइंसाफी है. तमिलनाडु में पिछड़ी जातियों को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है. इसे ध्यान में रखते हुए राज्य की 55 प्रतिशत आबादी वाली पिछड़ी जातियों को झारखंड में कम से कम 36 प्रतिशत आरक्षण दे. पिछड़ों को 50 प्रतिशत तक आरक्षण दे. इस संबंध में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसकी अनुशंसा सरकार से की है. आयोग की अनुशंसा की अवहेलना आखिर क्यों की जा रही है. प्रसाद ने कहा कि बिना देर किए पिछड़ी जातियों की जातीय जनगणना के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षणिक स्थिति का सर्वेक्षण सरकार तुरंत कराए. कहा कि पिछड़ी जातियों का 7 जिलों में आरक्षण शून्य है. इसमें सरकार सुधार करे, ताकि पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ मिल सके.
इसे भी पढ़ें– बॉलीवुड अभिनेत्री हंसिका मोटवानी की शादी को लेकर फैंस हुए खुश
प्रसाद ने कहा कि झारखंड के मूलवासी सदान से आने वाले सवर्ण समुदायों की भी जनगणना और सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सर्वेक्षण होना चाहिए. झारखंड के मूलवासी सदान से आने वाले सवर्ण समुदायों की स्थिति भी पिछड़ों दलितों और जनजातियों की तरह दयनीय है. ऐसे में सवर्ण को 10 प्रतिशत मिलने वाले आरक्षण का लाभ झारखंड के सदान समुदाय के सवर्ण को ही मिले. उन्होंने सरकार से मांग की कि 1967 के बाद से संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्रों की जो सीटें आरक्षित की गई हैं, उसे आरक्षित ही छोड़ दिया गया है. इसके कारण अन्य समुदाय के लोगों को संसद और विधानसभा में प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिल पा रहा है. समय की मांग है कि जो संसदीय क्षेत्र और विधानसभा क्षेत्र और महापौर जो लंबे समय से आरक्षित हैं, उसका रोटेशन होना चाहिए. झारखंड विधानसभा की 81 सीटें को बढ़ाकर 160 करने और लोकसभा की 14 सीट को बढ़ाकर 28 सीट की जाए. कार्यक्रम में डॉ सुदेश साहू, प्रो अरविंद प्रसाद, डॉ अमर कुमार, प्रो विद्याधर मेहता, प्रो पप्पू महतो, प्रो राजू हजाम, विशाल सिंह और हुसैन अंसारी समेत कई लोग थे..
इसे भी पढ़ें– रांची : पासपोर्ट के त्वरित निष्पादन के लिए रांची पुलिस लाइन में कार्यशाला का आयोजन