- रातू रोड स्थित अस्पताल चलाने के लिए रांची नगर निगम के सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी ने निकाला टेंडर
- संचालन के लिए 29 फरवरी से शुरू हुई थी ऑनलाइन बोली
- 2011 में शुरू हुआ था अस्पताल, 2.75 करोड़ थी लागत
Tarun Kumar Choubey
Ranchi : एजेंसी की तलाश में रातू रोड स्थित रांची नगर निगम का अस्पताल दो साल से बंद है. अब नगर निगम इस अस्पताल को दोबारा शुरू करने की तैयारी कर रहा है. अस्पताल चलाने के लिए नगर निगम के सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ. आनंद शेखर ने टेंडर निकाल दिया है. नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक, इस टेंडर में शहर के विशेषज्ञ, डॉक्टर एवं अस्पताल प्रबंधन रुचि दिखा रहे हैं.
इस टेंडर के अनुसार अस्पताल भवन के एवज में निगम संचालनकर्ता से हर माह एक निर्धारित राशि लेगा. बता दें कि बीते 28 फरवरी को इच्छुक लोगों के बीच प्री बिड मीटिंग रखी गई थी. वहीं, 29 फरवरी को ऑनलाइन बोली शुरू हुई थी, जिसमें 80 हजार रुपये से बोली की शुरुआत की गई थी. मगर अबतक निगम तय नहीं कर पाया है कि टेंडर किसी दिया जाये. जानकारी के अनुसार अस्पताल संचालन के लिए बोली लगाने की प्रक्रिया अब भी जारी है. सबसे अधिक बोली लगानेवाले को अस्पताल चलाने का जिम्मा दिया जाएगा.
बता दें कि नगर निगम ने इस अस्पताल की शुरुआत वर्ष 2011 में की थी. उस वक्त इस अस्पताल की लागत 2.75 करोड़ रुपये थी. इसका उद्घाटन तत्कालीन राज्यसभा सांसद परिमल नाथवाणी ने किया था.
लापरवाही की वजह से बंद पड़ा है अस्पताल
झारखंड अलग राज्य गठन से पहले, रांची नगर निगम शहर में पांच स्थानों कोकर चौक, पहाड़ी मंदिर, पिस्का मोड़, कांटाटोली और बिरसा चौक पर स्वास्थ्य केंद्र संचालित करता था. इस स्वास्थ केंद्र में प्रतिदिन डॉक्टर बैठते थे और मरीजों को देखते थे. मरीजों की जांच के बाद जरूरत के अनुसार, उन्हें आवश्यक दवाइयां भी दी जाती थीं. लेकिन आज निगम अपने एकमात्र अस्पताल को भी ठीक से नहीं चला पा रहा है.
कई बार बदले गए संचालक, हालात नहीं बदले
अस्पताल के उद्घाटन के बाद अस्पताल की जिम्मेवारी नाथवाणी के हाथों में सौंपी गई थी. कुछ दिन बाद उन्होंने संचालन करने से मना कर दिया, जिसके बाद अस्पताल चलाने की जिम्मेदारी देवकमल अस्पताल को सौंपी गई. कुछ सालों तक संचालन करने के बाद इकरारनामा का उल्लंघन बता कर निगम ने अस्पताल को अपने कब्जे में ले लिया. फिर कुछ दिन अस्पताल बंद रहा. कोरोना काल में प्रोमिस हेल्थ केयर को इसके संचालन का जिम्मा सौंपा गया. कोरोना का प्रकोप कम होने के बाद निगम ने फिर से इस अस्पताल का स्वामित्व अपने हाथों में ले लिया. वर्तमान में यह अस्पताल दो वर्षों से बंद पड़ा है.
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