Saurav Shukla
Ranchi : पूरी कोशिश के बावजूद सरकारी योजनाओं का लाभ आम जनता को पूरी तरह नहीं मिल पाता है. इसकी कई वजह हो सकती हैं. इनमें जो खास वजह अक्सर देखने को मिलती है, वह है योजनाओं के क्रियान्वयन में लगे कर्मियों की लापरवाही. उसके कई उदारहण रांची के सदर अस्पताल में देखने को मिले. दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने आये सभी लोग बेवस , लाचार और परेशान दिखे.
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सोनाहातू की हेमलता पांच साल के बच्चे के साथ बैठी थी
सोनाहातू प्रखंड के दुलमी की हेमलता देवी अपने पांच साल के दिव्यांग बच्चे का प्रमाण पत्र बनवाना चाहती है ताकि सरकारी योजना के तह्त मिलने वाली राशि उसके खाते में जा सके. इसे लेकर वह कई बार अस्पताल का चक्कर काट चुकी है. शुक्रवार को वह अपने पांच साल के बच्चे शिवम को गोद में लेकर सदर अस्पताल सिविल सर्जन कार्यालय के बाहर बैठी मिली. पूछने पर कहती है कि बेटा बचपन से दिव्यांग है. मैं प्रमाण पत्र बनवाने के लिए यहां आयी हूं. पिछले बुधवार को भी यहां आई थी, लेकिन फॉर्म भर कर वापस जाना पड़ा. एक बार फिर यहां आई हूं, ताकि प्रमाण पत्र मिले और योजना के तहत मिलने वाली सहयोग राशि मेरे खाते में आये.
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जोन्हा की मीरा परेशान है
ऐसी ही कहानी जोन्हा ढिमरा की रहने वाली मीरा की भी है. अपने आठ साल के बेटे मनोज को लेकर वह यहां आयी है. कहती है.बचपन से मनोज मंदबुद्धि है. शरीर ठीक से काम नहीं करता. पैसे की काफी तंगी है. इसलिये प्रमाण पत्र बनवाने सदर अस्पताल आयी हूं.वह कहती है कि वह तीन बार सदर अस्पताल का चक्कर काट चुकी है, पर अभी तक प्रमाण पत्र नहीं बन पाया है.
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चक्कर काटने वालों में इटकी की हसनी उराइन भी
सरकारी तंत्र में लगे कर्मियों की लापरवाही का मामला यही आकर नहीं रुकता. अस्पताल का चक्कर काटने वालों में इटकी की बारीडीह गांव की हसनी उराइन भी हैं. वह अपनी बेटी सोनी टोप्पो का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने आयीं हैं. हसनी कहती है कि बेटी का दाहिना हाथ और पैर काम नहीं करता. इसलिए प्रमाण पत्र बनवाना है. ताकि सरकारी सहायता मिले, लेकिन दो सप्ताह से सदर अस्पताल के चक्कर काटने के बाद तीसरे सप्ताह उम्मीद लेकर आई हूं कि आज प्रमाण पत्र बन जाएगा. उसने बताया कि दो साल पहले एक गाड़ी ने उसकी बेटी को टक्कर मार दी थी, जिससे उसके पैर के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता है.
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योगेंद्र महतो फार्म भरकर गये हैं
वही ओरमांझी प्रखंड के साथी गांव के रहने वाले योगेंद्र महतो कहते हैं कि 2 साल पहले दिहाड़ी मजदूरी के दौरान गाड़ी से टक्कर लग गयी थी. दोनों पैर काम नहीं करते हैं. पिछले बुधवार को भी यहां आये थे. लेकिन फॉर्म भरवा कर वापस भेज दिया गया. एक बार फिर यहां आया हूं ताकि दिव्यांग प्रमाण पत्र मिल सके. पूछताछ के क्रम में कइयों ने बताया कि इस काम में दलाल भी सक्रिय हैं.
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फॉर्म भरने के लिए 100 रुपए लिये गये
दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आए कुछ लोगों ने कहा कि फॉर्म भरने के एवज में सदर अस्पताल के प्रज्ञा केंद्र में 100 रुपये लिये गये. हालांकि इसके लिए जब प्रज्ञा केंद्र कर्मचारी से जानकारी ली गयी तो उनका कहना था कि फॉर्म की प्रिंटिंग और ऑनलाइन चार्ज के लिए 50 रुपये लिये जाते हैं. ऐसे कई हैं जो रोज सदर अस्पताल में प्रमाण पत्र बनाने के लिये रोजाना चक्कर काटते हैं. पर उनका काम समय पर नहीं हो पाता. ये गरीब और लाचार लोग हैं. इनकी सुध कौन लेगा. प्रशासन को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है ताकि जल्द से जल्द सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों को मिल सके.