Satya Sharan Mishra
Ranchi: रांची स्मार्ट सिटी का एक भी प्रोजेक्ट 5 साल में कंप्लीट नहीं हुआ. स्मार्ट सिटी में टाउनशिप बसाने का सपना पूरा होने में न जाने और कितने साल लगेंगे. अभी तक यहां के 51 प्लॉटों पर एक ईंट भी नहीं रखी गई है. लेकिन मंत्रियों का बंगला 7 महीने में ही खड़ा हो गया. मामला मंत्रियों का था, इसलिए अभूतपूर्व तेजी से काम हुआ. 29 मार्च 2022 को स्मार्ट सिटी में 11 मंत्रियों के बंगले के निर्माण के लिए भूमि पूजन किया गया. नगर विकास विभाग की निगरानी में जुडको और टेंडर लेने वाली कंपनी केएमवी प्रोजेक्ट्स ने इतनी तेजी से काम किया कि 7 महीने में सभी बंगले खड़े हो गये. 50 फीसदी से ज्यादा काम पूरा हो गया. अब इंटीरियर का काम बाकी है. बंगलों में बिजली कनेक्शन का काम लेने के लिए कई कंपनियां दौड़ रही हैं. वहीं मंत्री बंगलो से पुलिस मुख्यालय और जुपमी भवन के पास निकलने वाली सड़क का भी निर्माण तेजी से किया जा रहा है.
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इतनी स्पीड में तो 6-7 महीने पहले ही बन जाएगा बंगलो
21 अक्टूबर 2021 को कैबिनेट ने स्मार्ट सिटी एडीबी एरिया में 69.90 करोड़ में 11 मंत्रियों का बंगला बनाने की मंजूरी दी थी. स्किल डेवलपमेंट पार्क के लिए चिन्हित 9 एकड़ जमीन पर बंगलों के निर्माण का काम केएमवी प्रोजेक्ट्स को मिला. कंपनी को बंगलों का निर्माण करने के लिए 24 महीने का टारगेट दिया गया है. लेकिन जिस तेजी से काम चल रहा है, उससे यह लग रहा है कि 6-7 महीने पहले ही कंपनी काम खत्म कर इसे जुडको को हैंडओवर कर देगी.
बिके हुए प्लॉटों पर काम शुरू होने में अभी कई रोड़े
अब बात स्मार्ट सिटी के दूसरे प्रोजेक्ट्स की करें, तो उनमें अभी भी कई पेंच फंसे हैं. सितंबर 2017 में स्मार्ट सिटी का शिलान्यास हुआ था. 656 एकड़ जमीन पर 60 हजार से ज्यादा लोगों को बसाने की बात कही गई. स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने जमीन खरीदने और इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने में 1500 करोड़ से ज्यादा खर्च कर दिये. मार्च 2021 से 51 प्लॉट की नीलामी शुरू की गई. नया प्रोजेक्ट देखकर पहले चरण में कई निवेशक आये. 9 प्लॉट ऑक्शन में बिक भी गये. इसके बाद दूसरे और तीसरे फेज के ऑक्शन में सिर्फ एक-एक प्लॉट बिके. पहले चरण के ऑक्शन में जिन लोगों के जमीन आवंटित हुई है, उन्होंने जमीन का पूरा पैसा जमा कर दिया है. दूसरे और तीसरे चरण वाले निवेशकों ने भी 40 फीसदी राशि दे दी है. करीब 407 करोड़ रुपये जमा हो चुके हैं. इसके बाद भी अबतक जमीन की रजिस्ट्री नहीं हुई है. रजिस्ट्री होने के बाद एनवायरमेंटल, फायर क्लीयरेंस और नक्शा पास भी कराना होगा. इसके बाद ही उस जमीन पर निवेशक काम शुरू कर सकते हैं.
टाउनशिप बसने में भी कई साल लगेंगे
अगर अगले कुछ महीने में 11 प्लॉटों पर काम शुरू भी हो जाता है. तब भी टाउनशिप बसने में यहां अभी कई साल लगेंगे, क्योंकि 40 प्लॉट अब भी बचे हुए हैं. अबतक जो प्लॉट नीलाम हुए हैं उनमें- आवासीय, शैक्षणिक और मिक्स यूज वाले प्लॉट ही हैं. जबकि स्मार्ट सिटी में हॉस्पिटल, शॉपिंग मॉल और शिक्षण संस्थान भी प्रस्तावित हैं. कॉरपोरेशन इसे एजुकेशन हब के रूप में डेवलप करना चाहता है. इसलिए वर्ल्ड के टॉप 100 यूनिवर्सिटी को यहां 1 रुपये की टोकन मनी पर जमीन देने की भी घोषणा की गई थी. लेकिन कोई बड़ा शिक्षण संस्थान नहीं आया. कॉरपोरेशन ने स्मार्ट सिटी में निवेश के लिए झारखंड के अलावा दिल्ली, भुवनेश्वर, बेंगलुरु जैसे शहरों में भी जाकर निवेशकों को आमंत्रित किया. लेकिन जमीन के बड़े प्लॉट और स्मार्ट सिटी की शर्तों को देखकर निवेशक पीछे हट गये.
स्मार्ट सिटी को हटिया स्टेशन से जोड़ने की योजना लटक गई
स्मार्ट को हटिया रेलवे स्टेशन से जोड़ने की योजना भी अधर में लटक गई है. नवंबर 2021 में रेल लैंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ने रेलवे स्टेशन के पिछले हिस्से को स्मार्ट सिटी से जोड़ने का प्रस्ताव दिया था. रेलवे और स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन के बीच कई राउंड बातचीत भी हुई. इसके बाद आरएलडीए ने प्रपोजल बनाकर भेजा. इस प्रपोजल में आरएलडी ने स्मार्ट सिटी की सड़क और जमीन के उपयोग की अनुमति मांगी थी. कुछ त्रुटियां थी, जिसे देखकर कॉरपोरेशन ने इसे वापस लौटा दिया. इसके बाद अबतक आरएलडीए ने दूसरा प्रपोजल नहीं भेजा है. इस दिशा में आगे अब कुछ भी नहीं हो रहा है.
मूसाटोली में फंस गया काम
स्मार्ट सिटी के 656 एकड़ एडीबी एरिया में इंटीग्रेटेड इंफ्रास्ट्रक्चर का काम 85 फीसदी कंप्लीट हो चुका है. स्ट्रीट लाइट्स लगाए जा चुके हैं. सड़कों का निर्माण भी चल रहा है, लेकिन सड़क निर्माण में मूसाटोली में पेंच फंस गया है. जिस जगह सड़क बननी है, वहां 25 गरीब परिवार रहते हैं. हाल ही में प्रशासन ने वहां अतिक्रमण हटाने का काम शुरू किया था, जिसका स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने वहां पहुंचकर काम रुकवा दिया. इसके बाद पीड़ित परिवार के लोग मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिले. मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जबतक वहां के सभी परिवार किसी और जगह नहीं बसा दिये जाते, तबतक उन्हें वहां से नहीं हटाया जाएगा. स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने नामकुम सीओ को सभी परिवार के लिए जमीन चिन्हित करने का निर्देश दिया है. जबतक जमीन नहीं मिलती और उन्हें वहां घर बनाकर बसा नहीं दिया जाता, तबतक वहां काम बंद रहेगा.
नया मास्टर प्लॉन कब तक?
स्मार्ट सिटी के बचे हुए 40 प्लॉटों के लिए अबतक ऑक्शन शुरू नहीं हुआ है. अप्रैल 2022 में तीसरे फेज का ऑक्शन हुआ था. सिर्फ एक प्लॉट ही बिका. इसके बाद से ऑक्शन बंद है. कहा जा रहा है कि अब फिर से मॉस्टर प्लॉन तैयार हो रहा है. नये मास्टर प्लॉन में प्लॉट छोटे किये जाएंगे. विभिन्न नेचर के लिए चिन्हित प्लॉट का आकार जमीन का रेट भी थोड़ा कम होगा. 7 महीने हो चुके हैं, लेकिन अबतक नया मास्टर प्लॉन तैयार नहीं हुआ है. अधिकारी कह रहे हैं कि मास्टर प्लॉन पर काम चल रहा है. तैयार होने के बाद उसे कैबिनेट में लाया जाएगा. वहां से अप्रूवल मिलने के बाद ही बचे हुए प्लॉट का ऑक्शन होगा.
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