Ranchi: रविवार झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के तत्वावधान में झारखण्ड के LADCs की प्रथम राज्य स्तरीय कार्यक्रम हुआ. इसका उद्घाटन न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय एवं कार्यकारी अध्यक्ष, झालसा, न्यायमूर्ति आनंद सेन, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति संजय कुमार द्विवेदी, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति दीपक रोशन, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय एवं न्यायमूर्ति प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा झालसा के सभागार में दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया.
इन्हें दी गई कानूनी सहायता
इस अवसर पर झालसा ने पहल करते हुए वृद्धाश्रम के कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए छह सप्ताह लंबा अभियान और झारखंड की जेलों में बंद गर्भवती महिला कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की कार्य योजना का शुभारंभ किया.
इस कार्यक्रम में झारखंड के सभी जिला विधिक सेवा प्राधिकार के सचिव और झारखंड के सभी प्रमुख एलएडीसी और उप प्रमुख एलएडीसी ने भाग लिया.
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उद्घाटन कार्यक्रम में स्वागत भाषण झालसा की सदस्य सचिव कुमारी रंजना अस्थाना ने दिया. उन्होंने बैठक में भाग लेने के लिए सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों को साधुवाद दिया.
इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आनंद सेन ने कहा कि एलएडीसी पर पहली राज्य स्तरीय बैठक का हिस्सा बनना बहुत अच्छा है. प्रत्येक जिले के एलएडीसी और डीएलएसए न्याय पाने और वंचितों के बीच के अंतर को पाट सकते हैं.
न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक ने कहा कि झालसा का कार्य एवं कर्तव्य वंचित वर्ग को राहत देना है, जिन्हें कोई महत्व नहीं दिया गया है. बल्कि राज्य द्वारा दी गई कोई भी सुविधा उन तक नहीं पहुंची है. इसलिए उनकी देखभाल करना झालसा का परम कर्तव्य है.
इस अवसर पर झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एवं झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद ने प्रतिभागियों को संबोधित किया. न्यायमूर्ति ने कहा कि यह कानूनी सहायता रक्षा परामर्शदाताओं (एलएडीसी) की राज्य स्तर पर पहली बैठक है कि वे अपने कानूनी कौशल को कैसे बढ़ाएं और उनसे कैसे लाभ उठाएं ताकि कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के उद्देश्य और इरादे को हासिल किया जा सके.
न्यायमूर्ति ने यह भी कहा कि कानूनी सहायता की अवधारणा वर्ष 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम बनाकर आई है. इस कानून को लाने का कारण यह है कि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों को कैसे प्राप्त किया जाए और लोगों को न्याय वितरण प्रणाली में लाने के उद्देश्य से अंतिम द्वार तक कैसे पहुंचा जाये.
इस कार्यक्रम में चार तकनीकी सत्र हुए. तकनीकी सत्र को न्यायमूर्ति डॉ. एस.एन. पाठक, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय, न्यायमूर्ति दीपक रोशन, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय और कारा महानिरीक्षक, झारखंड ने उपस्थित लोगों को संबोधित किया.
डॉ. आलोक कुमार, एसोसिएट प्रोफेसर, आईसीएफएआई विश्वविद्यालय और डॉ. मिथिलेश पांडे, एसोसिएट प्रोफेसर, आईसीएफएआई विश्वविद्यालय ने रिसोर्स पर्सन के रूप में भाग लिया.
समापन सत्र को न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद, न्यायाधीश, झारखंड उच्च न्यायालय और कार्यकारी अध्यक्ष, झालसा और कुमारी रंजना अस्थाना, सदस्य सचिव, झालसा ने संबोधित किया.