Satya Sharan Mishra
Ranchi: 29 जुलाई से शुरू होने वाला पंचम विधानसभा का नौवां सत्र भी नेता प्रतिपक्ष के बिना ही चलने की पूरी संभावना है, क्योंकि अबतक नेता प्रतिपक्ष के मामले को लेकर स्पीकर के कोर्ट में मामला लंबित है. इससे पहले ढाई साल में 3 बजट, 2 मॉनसून, 1 शीतकालीन और दो विशेष सत्र बिना नेता प्रतिपक्ष के चले हैं. विधानसभा के अंदर नेता प्रतिपक्ष एक महत्वपूर्ण पद है. सदन के अंदर तीन सबसे जरूरी पद हैं. इनमें पहला सदन के कस्टोडियन स्पीकर, फिर सदन के नेता और उसके बाद नेता प्रतिपक्ष आते हैं. हेमंत सरकार के गठन के बाद ढाई साल से ज्यादा समय से विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद खाली है.
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सत्ता पक्ष और विपक्ष जिद पर अड़ा
मामला उतना भी पेचीदा नहीं है कि इसका हल न निकले, लेकिन 2 साल 7 महीने से सत्ता पक्ष और विपक्ष नेता प्रतिपक्ष के मामले पर जिद पर अड़े हैं. ऐसा नहीं है कि भाजपा के पास बाबूलाल मरांडी के अलावा नेता प्रतिपक्ष बनने लायक कोई और नेता नहीं है, लेकिन बीजेपी की जिद है कि बाबूलाल नहीं तो कोई नहीं. उधर सत्ता पक्ष की जिद है बाबूलाल नहीं भाजपा का कोई और नेता ही इस पद पर बैठे. सत्ता पक्ष के नेताओं ने स्पीकर के कोर्ट में अपील दायर कर बाबूलाल के दलबदल को चुनौती दे दी और मामला फंस गया. सरकार गठन के बाद शुरुआत में भाजपा ने कई बार बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा दिये जाने की मांग को लेकर हंगामा किया, लेकिन धीरे-धीरे उसकी आवाज दबती चली गई.
बाबूलाल मरांडी के अलावे भाजपा के कई काबिल नेता
बाबूलाल मरांडी हर सत्र में सदन की कार्यवाही में शामिल होते हैं, लेकिन नेता प्रतिपक्ष का दर्जा और भाजपा की सद्स्यता मान्य नहीं होने के कारण वे भाजपा सद्स्यों की तरफ नहीं बैठ सकते. भाजपा की ओर से सीपी सिंह, बिरंची नारायण, भानू प्रताप शाही, नीलकंठ सिंह मुंडा, रामचंद्र चंद्रवंशी और अमर बाउरी जैसे नेता सरकार पर हमलावर रहते हैं, लेकिन भाजपा इनमें से किसी विधायक को नेता प्रतिपक्ष के रूप में आगे नहीं कर रही है. नेता प्रतिपक्ष नहीं होने के कारण सदन के अंदर भाजपा थोड़ी कमजोर तो पड़ ही जाती है, वहीं कई संवैधानिक कामकाज भी नेता प्रतिपक्ष के बिना लटके हुए हैं.
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भाजपा ने स्पीकर पर उठाये सवाल
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि पार्टी ने अपना नेता प्रतिपक्ष चुन लिया है. इलेक्शन कमीशन ने भी जेवीएम के भाजपा में मर्जर को सही मान लिया है, लेकिन स्पीकर की अदालत इस मामले में बायस्ड दिख रही है. उधर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी कहा है कि विपक्ष नेता प्रतिपक्ष के लिए तरस जाएगा. इसी से विपक्ष की मंशा समझ लीजिए. स्पीकर मुख्यमंत्री की सोच से प्रभावित हैं.
झामुमो का पलटवार
वहीं इस मामले में जेएमएम के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि यह विधानसभा की प्रक्रिया है. मामला स्पीकर के कोर्ट में चल रहा है. इसपर पार्टी कुछ खास नहीं कह सकती है. अगर कोई स्पीकर कोर्ट पर सवाल उठाता है, तो वह पहले का इतिहास उठाकर देख ले.