Tarun Kumar Chaubey
Ranchi : रांची के सेंटर में स्थित विवेकानंद सरोवर (बड़ा तलाब) के सौंदर्यीकरण का काम पांच साल बाद भी पूरा नहीं हो पाया है. करोड़ों खर्च के बावजूद यहां टूरिस्ट की जगह शाम में नशेड़ियों का जमावड़ा लगा रहता है. टूरिस्टों को आकर्षित करने के लिए तालाब के बीच में 17 करोड़ की लागत से 33 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है. लेकिन सुरक्षा व्यवस्था की कमी की वजह से शाम ढलते ही लोग यहां आना नहीं चाहते हैं. हालत यह हो गयी है कि सूरज ढलते ही शाम में तलाब के चारों तरफ नशा करने वाले लोगों का यहां जमावड़ा लग जाता है. सुरक्षा के लिए के लिए न पुलिस प्रशासन और न ही निगम द्वारा कोई ठोस कदम उठाय जा रहे हैं.
काम पूरा करने के लिए फिर से डीपीआर बनाने की तैयारी
हालांकि रांची नगर निगम से मिली जानकारी के अनुसार, निगम अधूरे पड़े काम को पूरा करवाने के लिए डीपीआर बना रहा है. यह डीपीआर यहां कैंटीन बनाने, फव्वारे लगाने और पानी को शुद्ध करने के लिए सीवेज वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए बनाया जा रहा है.
काम आखिरी चरण में – नगर आयुक्त शशि रंजन
इस बाबत पूछे जाने पर रांची निगम के नगर आयुक्त शशि रंजन ने कहा कि काम आखिरी चरण में है. काम कब तक पूरा हो पायेगा, इसकी कोई तारीख तय नहीं की जा सकती है.
पांच साल में 14 करोड़ खर्च
नगर निगम द्वारा बड़ा तालाब के सौंदर्यीकरण का काम 2018 में शुरू हुआ था. निगम के अधिकारियों के अनुसार उस वक्त इसके लिए 14 करोड़ का बजट रखा गया था. इससे तलाब के चारों तरफ 30 लाईट पोल, लोगों के चलने के लिए पाथ-वे, रेलिंग, पानी से गाद निकालने, कंट्रोल रूम समेत अन्य कई काम कराये गये. काम में तेजी लाने के लिए एक ठेकेदार को बदला भी गया, फिर भी काम पूरा नहीं हो पाया है.
2019 में पूर्व सीएम रघुवर दास ने किया था स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण
12 दिसंबर 2019 को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बड़ा तालाब में 17 करोड़ से बनी 33 फीट ऊंची स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया था. हाईकोर्ट ने 19 जनवरी 2022 को इस मामले में निगम के अधिकारियों के खिलाफ टिप्पणी करते हुए कहा था कि आप लोगों ने तालाब की दुर्दशा कर दी है. नगर निगम यह कह कर नहीं बच सकता कि तालाब की सफाई के लिए जारी टेंडर में कोई शामिल नहीं हो रहा है. नगर निगम को खुद से ही इसे साफ कराना चाहिए. हाईकोर्ट की टिप्पणी के बाद तत्कालीन नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने तालाब के हालात को देखा था. फिर भी सौंदर्यीकरण का काम अधूरा ही रहा.
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