Ranchi: दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर व भोजन के अधिकार अभियान ने रविवार को एचआरडीसी हॉल में झारखंड में अनुसूचित जनजाति उपयोग और अननुसूचित जाति उपयोजना द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की समीक्षा की. इस अवसर पर झारखंड टीएसपी और एससीएसपी के लिए कानून बनाने की बात कही गई. इसमें विभिन्न आदिवासी, दलित व अल्पसंख्यक समुदाय के कई लोग शामिल थे.
योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कानून बनाने पर बल
कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि झारखंड में टीएसपी और एससीएसपी द्वारा बहुत सारी योजनाएं चलाईं जा रही हैं. इन योजनाओं में लूट मची है. आदिवासी, दलित और वंचित समुदाय को योजनाओं का सीधे तौर पर लाभ नहीं हो रहा है. झारखंड एक आदिवासी राज्य हैं. यहां आदिवासी उपयोजना के संचालन के लिए कानून नहीं है और यह काफी दुर्भाग्यपूर्ण है. इसके लिए उन्होंने सरकार को वर्तमान सत्र में टीएसपी के लिए कानून लाने की बात कही.
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स्टूडेंटस के लिए स्कॉलरशिप की प्रक्रिया जटिल
दलित आर्थिक अधिकार आंदोलन-एनसीडीएचआर के राज्य समन्वय मिथिलेश कुमार ने कहा कि राज्य के आदिवासी और दलित उपयोजना के लिए झारखंड में सख्त कानून की जरूरत है. तभी इन समुदाय को उपयोजना का लाभ मिल सकता है. आगे उन्होंने राज्य में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि इसकी प्रक्रिया काफी जटील है. जिसके कारण कई योग्य स्टूडेंटस आवेदन नहीं कर पाते हैं.
योजनाओं को लागू करने के साथ ही उनपर निगरानी भी जरूरी
रामदेव विश्वबंधू ने कहा कि यदि सरकार झारखंड के दलित व आदिवासी समुदाय का विकास चाहती है. तो झारखंड में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति उपयोजना के लिए कानून बनाना चाहिए. इसके साथ ही उपयोजना द्वारा चलायी जा रही योजनाओं की निगरानी और एमआईएस विकसित करने की भी जरूरत है.
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कार्यक्रम में मुख्य रुप से भोजन के अधिकार अभियान के राज्य संयोजक अशर्फीनंद प्रसाद, दलित युवा सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार भुईया, प्रत्यूष, उदय सिंह, अमेरिका उरांव, मनिकचंद कोरवा, सुशीला लकड़ा, राजेश लकड़ा, दिनेश मुर्मू, राजन कुमार, मुनेश्वर कोरवा, माधुरी हेम्ब्रम सहित अन्य लोगों ने विषय पर चर्चा की.
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