LagatarDesk :RBI ने हाल ही में उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण की रिपोर्ट जारी की. देश में कोरोना महामारी के बढ़ने से उपभोक्ताओं का विश्वास घट गया है. सर्वे के अनुसार, मार्च महीने में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक गिरकर 53.1 पर आ गया. जबिक यह जनवरी में 55.5 पर था. यह सर्वेक्षण देश के प्रमुख शहरों में आयोजित किया गया था. इसमें 5,000 लोगों ने भाग लिया था.
महंगाई और नौकरी में कारणों से घटा उपभोक्तओं का विश्वास
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के उपभोक्तओं के विश्वास में कमी आयी है. साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था में गिरावट, नौकरी में कमी, आय में घटना और महंगाई का बढ़ने से घटा है. सर्वे के पता चला कि भविष्य को लेकर उपभोक्ताओं की उम्मीदों में भी कमी आयी है. जनवरी 2021 में यह 117.1 था. मार्च में यह घटकर 108.8 पर आ गया है.
सूचकांक 100 के ऊपर यानी उम्मीदों का संकेत
जब सूचकांक माप 100 से ऊपर होता है, तो यह आशावादी का संकेत होता है. यानी लोगों को उम्मीदें हैं. जब यह 100 से नीचे होता है तो यह निराशावादी का संकेत होता है. यानी उपभोक्ता इससे निराश है. आने वाले वर्ष के लिए सामान्य आर्थिक स्थिति और रोजगार की स्थिति पर उपभोक्ताओं की उम्मीद भी निराशावादी थी.
वित्त वर्ष 2021-22 में बढ़ेगी महंगाई
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष की पहली मौद्रिक समीक्षा की घोषणा 7 अप्रैल को कर दी. RBI द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2021-22 में महंगाई बढ़ेगी. 2021-22 की पहली तिमाही में 5.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 5.2 फीसदी और तीसरी तिमाही में 4.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. यानी महंगाई से आम जनता अभी और त्रस्त होंगी.
13 शहरों में किया गया यह सर्वे
RBI का यह सर्वे 13 बड़े शहरों में 27 फरवरी से लेकर 8 मार्च तक किया गया. सर्वे में शामिल उपभोक्ताओं से मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार सृजन, महंगाई, आय और खर्च के मुद्दों पर उनकी धारणा और अपेक्षा को जाना गया.
पांच आर्थिक मदों पर उपभोक्ताओं का किया सर्वे
यह सर्वेक्षण पांच आर्थिक मद जैसे रोजगार, आर्थिक स्थिति, मूल्य स्तर, खर्च और आय पर उपभोक्ता धारणा को मापता है. कंज्यूमर कॉन्फिडेंस सर्वे में दो मुख्य सूचकांक हैं. वर्तमान स्थिति सूचकांक और भविष्य अपेक्षाएं सूचकांक. भविष्य की अपेक्षा सूचकांक यह मापता है कि उपभोक्ता एक वर्ष में आर्थिक मुद्दे में बदलाव के बारे में क्या सोचता है. वर्तमान स्थिति सूचकांक पिछले वर्ष में एक आर्थिक मुद्दे पर उपभोक्ता धारणा में बदलाव को मापता है.
हर 2 महीने में आरबीआई करता है सर्वे
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा हर दो महीने में उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण किया जाता है. सर्वेक्षण यह मापने के लिए किया जाता है कि उपभोक्ता अपनी वित्तीय स्थिति के बारे में निराशावादी या आशावादी हैं.
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