Patna : पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार पर निशाना साधा हैं. उन्होंने कहा कि मैं सीएम नीतीश कुमार से बड़ा नेता हूं. 1982 में जब मैं आईएएस था तब वे सड़क पर थे और आज वो बात कर रहे औकात की. नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे है. लेकिन सिर्फ पांच- छह सांसदों से प्रधानमंत्री बनने का सपना सच होगा क्या. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने से पहले अपनी पार्टी संभालनी चाहिए. क्यों कि जेडीयू के कई नेता हमारे संपर्क में हैं. पढ़ें –Air India के बाद इन 4 सब्सिडियरी कंपनियों को बेचेगी केंद्र सरकार, तैयारी शुरू
उनको बनाया कौन, राजनीति में लाया कौन
बता दें कि दिल्ली दौरे के दौरान नीतीश कुमार से जब मीडियावालों ने आरसीपी सिंह को लेकर सवाल पूछा था तो उन्होंने कहा था कि उसका नाम क्या ले रहे हैं. आप लोगों को पता है कि उनको बनाया कौन, राजनीति में लाया कौन. वह तो IAS था, कौन बनाया था उसको अपना प्राइवेट सेक्रेट्री, हम कहां से कहां बनाये छोड़िए उसकी बात.
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नीतीश कुमार की 1977 में क्या हैसियत थी
नीतीश कुमार के इस बयान पर आरसीपी सिंह भड़के हुए है. मीडिया से बात करने हुए आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार मेरी हैसियत की बात करते हैं, मैं बता दूं कि 1982 में जिस वक्त वह सड़क की खाक छान रहा थे. उस समय मैं गांव में बैठकर यूपीएससी की परीक्षा पास कर चुका था. उन्होंने कभी ऐसी परीक्षा नहीं दी होगी. इंजीनियरिंग करने के बाद एक बार नेवी की परीक्षा दी थी, लेकिन उसमें भी वह फेल हो गए थे. आगे उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे नेता बनाया है, लेकिन वह पैदाइशी नेता नहीं बने थे. नीतीश कुमार बताये कि 1977 में उनकी क्या हैसियत थी. 1980 में चुनाव हार गए थे. वह कहते हैं कि वह जननेता हैं. लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया है.
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सीएम ने बिहार की जनता के साथ तीन बार गद्दारी की
आरसीपी सिंह ने नीतीश कुमार पर गद्दार होने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि एक बार नहीं तीन बार बिहार की जनता के साथ उन्होंने गद्दारी की है. वह बात करते हैं कि मैंने उनके और जदयू के साथ गद्दारी की है. असली गद्दार कौन है, यह प्रदेश की जनता अच्छे से जानती है. उन्होंने कहा कि आज वे भले ही जदयू में नहीं हूं. लेकिन प्रखंड स्तर पर अब भी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता मेरे साथ खड़े हैं.आरसीपी सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के लिए सबसे जरुरी है संख्या बल. आपके पास सांसद कितने हैं, यह भी निर्भर करता है. अभी वह जिस पार्टी के साथ हैं, अगर उनके साथ चुनाव लड़ने जाते हैं, तो बिहार की 40 सीटों में से उनके हिस्से में कितनी सीटें आएंगी. 10-11 सीटें मिलेंगी.लेकिन कुछ सांसदों वाली पार्टी के नेता को कोई कैसे अपना प्रधानमंत्री चुन सकता है.
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