Koderma: कांग्रेस नेता सईद नसीम जिले के गैरमजरूआ जमीन में हो रही गड़बड़ियों पर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने में लगे हैं. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा जिले के शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के गैरमजरूआ जमीन की पूर्व में की गई संदेहास्पद जमाबंदी को रद्द करने की मुहिम चलायी जाती रही है.
वहीं दूसरी ओर कोडरमा अंचल के निवर्तमान अंचलाधिकारी अशोक कुमार द्वारा तबादले के बाद भी शहर के कई बड़े भू-स्वामियों के गैरमजरूआ जमीन की रसीद काटे जाने की स्वाकृति दी जा रही है. यह बड़ा सवाल है.
बताया जाता है कि कोडरमा अंचल के निवर्तमान सीओ द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान खासकर तबादले के बाद झुमरीतिलैया शहर अंतर्गत 220 खातों के मौजा गुमो और झलपो सहित अन्य मौजे में कई एकड़ में यहां के बड़े व्यवसायियों का गैरमजरूआ जमीन है. इसकी रसीद काटे जाने की स्वीकृति दी जा रही है.
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तबादले के बाद भी दी स्वीकृति
यह सरकार के निर्देशों का उल्लंघन है. इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए. सीओ के तबादले के बाद भी अंतिम दो-तीन दिनों के अंदर बैकडेटिंग से शहर के कई व्यवसायियों के गैरमजरूआ जमीन को, जो 220 खाते में आते हैं, उन सभी की रसीद काटने की स्वीकृति दे दी गई. सीओ की इस कार्यशैली से रिश्वतखोरी का संदेह पैदा होता है.
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सईद नसीम ने कहा कि जिले के जीएम लैंड की गलत तरीके से बंदोबस्ती और इसकी जमाबंदी खोले जाने को लेकर जिले के तत्कालीन उपायुक्त शिवशंकर तिवारी द्वारा 2012 में ऐसे सभी जमीनों की रसीद काटने पर रोक लगा दी गई थी.
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जांच का विषय
हालांकि सरकार द्वारा 1 साल पूर्व कुछ शर्तों के साथ फिर से अनुमति दी गयी. आश्चर्य की बात यह है कि सरकार के निर्देशानुसार आम लोगों की छोटी-छोटी जमीनों की रसीदें अंचल से नहीं काटी जा रही हैं, जबकि बड़े भू-स्वमियों की जीएम लैंड की रसीदें काटी जा रही हैं. यह जांच का विषय है.
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