NewDelhi : केंद्र सरकार ने कॉलेजियम की सिफारिशों पर कदम उठाने के संबंध में समय सीमा का पालन करने को लेकर हामी भरी है. खबर है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के लिए पांच जजों की सिफारिश सहित तीन हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और अन्य जजों की नियुक्तियों पर भी जल्द विचार करने का भरोसा सुप्रीम कोर्ट को दिया है.केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की तरफ से भेजी गयी सिफारिशों का तेज़ी से निपटारा किया जायेगा. 104 लंबित सिफारिशों में से 44 को शनिवार तक मंजूरी दे दी जायेगी.
SC lists the matter for Feb 3 for further hearing on issue relating to pending names recommended by Collegium for appointing judges
Centre assures SC that it’ll adhere to the timeline relating to appointing judges in HCs,adds that 44 recommended names to be processed by Saturday pic.twitter.com/TQIU3G28oT
— ANI (@ANI) January 6, 2023
कोर्ट ने इस पर संतोष जताते हुए बाकी सिफारिशों पर भी जल्द फैसला लेने के लिए कहा. जान लें कि पिछली सुनवाई में कॉलेजियम पर कानून मंत्री के बयानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तारीख तय की है.
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104 सिफारिशों में से 44 पर मुहर लग जायेगी
केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल आर वेकेंटरमणि ने कहा कि सरकार के पास अब तक आयी 104 सिफारिशों में से 44 पर मुहर लग जायेगी. कहा कि एक-दो दिन में सुप्रीम कोर्ट को सिफारिशें भेज दी जायेगी. अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के लिए सिफारिश किये गये पांच नामों का मामला भी देख रहे हैं. जान लें कि पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली जमीन का कानून है और केंद्र को उसका पालन करना ही होगा.
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कॉलेजियम प्रणाली पर उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री की टिप्पणियों पर आपत्ति जताई
कोर्ट ने कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ उपराष्ट्रपति और कानून मंत्री द्वारा की गयी टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई थी. कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम के खिलाफ टिप्पणी हमें अच्छी नहीं लगी है. इस क्रम में पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा था कि वह सरकारी अधिकारियों को नियंत्रण रखने की सलाह दें.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चेताते हुए कहा था कि कोई यह नहीं कह रहा हैकि यह एक संपूर्ण प्रणाली है. न ही बदली गयी व्यवस्था पूर्ण व्यवस्था होगी, लेकिन जब तक यह देश का कानून है, तब तक आपको इसका पालन करना होगा. विधायिका चाहे तो नया कानून ला सकती है.