Ranchi: रिम्स में लापरवाही आम बात हो गई है. लेकिन यह तस्वीर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है. समाज के अंतिम पंक्ति के अंतिम पायदान तक बेहतर स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने के दावे को भी झुठलाती है. जब राजधानी के रिम्स अस्पताल में एक अदद व्हीलचेयर के लिए मरीज को भटकना पड़ता है. तब सूबे के अन्य जिलों के अस्पतालों का क्या हाल होगा यह आप समझ सकते हैं.
दरसअल गुमला जिले से आये 18 वर्षीय बाबूलाल उरांव के जांघ और कमर में दर्द है. जिसकी इलाज के लिए परिवार के लोग बाबूलाल को मेडिसिन ओपीडी में लेकर गए. डॉक्टर ने जांच करने के बाद एक्सरे कराने की सलाह दी. परिजन एक्सरे कराने के लिए व्हीलचेयर ढूंढते रहे लेकिन व्हीलचेयर नहीं मिली.
ढूंढते रह गए व्हीलचेयर पर मिली नहीं
बाबूलाल के परिजन ने कहा कि चिकित्सक ने एक्सरे कराने के लिए कहा था. हम लोग व्हीलचेयर ढूंढते रह गए. बार-बार आग्रह किया, लेकिन व्हीलचेयर मिली नहीं. जिसके बाद मैं और मेरे साथ आए हुए एक सहयोगी ने बाबूलाल को कंधे के सहारे उठाकर एक्सरे कराने ले गए. परिजनों ने कहा कि यह झारखंड का सबसे बड़ा अस्पताल है और यहां की दुर्दशा से मन कुंठित हो जाता है.
रिम्स में उपलब्ध है स्ट्रेचर और व्हीलचेयर
गौरतलब है कि रिम्स में बड़ी संख्या में स्ट्रेचर और व्हीलचेयर हैं. सेवा का लाभ लेने के लिए ट्रॉलीमैन नियुक्त हैं. काम की निगरानी के लिए सुपरवाइजर भी नियुक्त हैं. बावजूद इसके परिजनों को खुद से बाबूलाल को उठाकर एक्सरे कराने के लिए ले जाना पड़ा.
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