- झारखंड की पांच आदिवासी आरक्षित सीटों पर होगी अग्नि परीक्षा
- खूंटी से खुद चुनाव मैदान में हैं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा
- चंपाई, बाबूलाल व रामेश्वर उरांव पर भी बड़ा दारोमदार
Kaushal Anand
Ranchi : झारखंड में लोकसभा चुनाव चार चरणों में होना है. इस कड़ी में चौथे चरण में 13 मई को चार लोकसभा सीटों पर मतदान होगा. वहीं पांचवे चरण में 20 मई को तीन, छठे चरण में 25 मई को चार और सातवें चरण में एक जून को तीन लोकसभा सीटों पर वोट डाले जायेंगे. झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में पांच आदिवासी आरक्षित सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए चार बड़े आदिवासी नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. इन आदिवासी आरक्षित सीटों में सिंहभूम, खूंटी व लोहरदगा में 13 मई और राजमहल व दुमका में एक जून को मतदान होगा. वहीं चार जून को सभी सीटों पर मतगणना और फिर परिणाम घोषित होंगे.
चंपाई सोरेन पर ही टिकी है आदिवासी सीटों को निकालने की पूरी जवाबदेही
झारखंड की पांच आदिवासी आरक्षित सीटों की बात करें, तो पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद गठबंधन की तरफ से इन आदिवासी सीटों को निकालने की पूरी जवाबदेही कोल्हान टाइगर कहे जानेवाले मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन पर ही टिकी है. वहीं एनडीए (भाजपा) की तरफ से खुद खूंटी से प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा हैं. इसके अलावा अन्य आदिवासी नेताओं में पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव की प्रतिष्ठा भी जुड़ी है.
तीन आदिवासी सीटों पर बाबूलाल की बड़ी जवाबदेही
बाबूलाल मरांडी की बात करें, तो एक संथाली नेता होने के कारण उनकी सबसे अधिक जवाबदेही दुमका और राजमहल सीट जीत कर भाजपा की झोली में डालने की होगी. राजमहल सीट पर फिलहाल झामुमो का कब्जा है. पिछले चुनाव में बाबूलाल मरांडी यूपीए में थे, मगर इस बार एनडीए में होने के कारण दुमका सीट पर फिर से वापसी की चुनौती रहेगी. इसके अलावा लोहरदगा, खूंटी और सिंहभूम सीट को लेकर पर भी बाबूलाल पर दबाव रहेगा. सिंहभूम सीट कांग्रेस की रही है. वहां की सांसद गीता कोड़ा इस बार पाला बदल कर भाजपा के टिकट पर अपना भाग्य आजमा रही हैं. गीता कोड़ा को कांग्रेस से तोड़कर भाजपा के पाले में लाने में बाबूलाल मरांडी की अहम भूमिका बतायी जाती है.
सुखदेव भगत व रामेश्वर उरांव के बीच कटुता जगजाहिर
लोहरदगा सीट पर कांग्रेस आलकमान ने सुखदेव भगत को मैदान में उतारकर लड़ाई को बहुत ही दिलचस्प बना दिया है. इस सीट पर पूर्व में लोहरदगा से सांसद और वर्तमान में लोहरदगा से विधायक और झारखंड सरकार में मंत्री डाॅ रामेश्वर उरांव की भूमिका काफी अहम होगी. सुखदेव भगत और डाॅ रामेश्वर उरांव के संबंधों में कटुता जगजाहिर है. गत विधानसभा चुनाव में सुखदेव भगत कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में चले गये थे. उस समय डाॅ रामेश्वर उरांव ही प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे. यह भी कहा जाता है कि दोनों के बीच बढ़ी तल्खी के कारण ही सुखदेव भगत ने कांग्रेस छोड़ दिया था. ऐसे में दोनों नेताओं के बीच आलाकमान कैसे आपसी सामंजस्य बैठाता है, यह देखना काफी दिलचस्प होगा.
हेमंत के जेल में होने के कारण चंपाई पर बड़ी जिम्मेदारी
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में हैं. झामुमो ने गैर हो समुदाय की प्रत्याशी जोबा मांझी को सिंहभूम से उतार दिया है, जिसका विरोध भी हो रहा है. ऐसे में न केवल सिंहभूम सीट को ‘इंडिया’ गठबंधन में वापस लाना, बल्कि अन्य चार आदिवासी सीट खूंटी, लोहरदगा, दुमका और राजमहल को लेकर भी मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की अतिरिक्त जवाबदेही होगी.
अर्जुन मुंडा के समक्ष खुद की साख बचाने की चुनौती
खूंटी के वर्तमान सांसद, पूर्व सीएम ओर केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी राज्य के बड़े आदिवासी चेहरा हैं. पहले तो मुंडा पर खुद की सीट बचाने की चुनौती होगी. गत चुनाव में काफी कम अंतर से विवादों के बीच उनकी जीत हुई थी. खूंटी का चुनाव झारखंड में पहले चरण में 13 मई को होगा. इसके बाद मुंडा पर चाईबासा और लोहरदगा सीट भी जीतवाने की बड़ी जवाबदेही होगी.
झारखंड की 14 लोकसभा सीटों पर कब-कब मतदान
चरण मतदान तिथि लोकसभा सीट
चौथा चरण 13 मई सिंहभूम (एसटी), खूंटी (एसटी), लोहरदगा (एसटी), पलामू (एसएसी)
पांचवा चरण 20 मई चतरा, कोडरमा, हजारीबाग
छठा चरण 25 मई गिरिडीह, धनबाद, रांची, जमशेदपुर
सातवां चरण एक जून राजमहल (एसटी), दुमका (एसटी), गोड्डा