आर्टिफिशयल इंटिलिजेंस और साइबर डिफेंस की पढ़ाई से दो कदम आगे बढ़ा विश्वविद्यालय
मिनरोलॉजी, आर्किटेक्चर, इंड्रस्टियल सेफ्टी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री का पाठ्यक्रम बदल देगी तस्वीर
Amarnath Pathak
Hazaribagh : विनोबाभावे विश्वविद्यालय (विभावि) हजारीबाग के कुलपति प्रोफेसर डॉ मुकुल नारायण देव बड़ा विजन लेकर चल रहे हैं. चूंकि कुलपति बार्क से सेवानिवृत्त सीनियर साइंटिस्ट हैं, इसलिए यहां के शिक्षकों और विद्यार्थियों को शोध की दिशा में सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं. ‘शुभम संदेश’ से खास बातचीत में वह कहते हैं कि रिसर्च, कैंपस और फैकल्टी किसी भी शैक्षणिक संस्थान की रीढ़ हैं. विनोबाभावे झारखंड का पहला विश्वविद्यालय है जहां साइबर डिफेंस की पढ़ाई इस शैक्षणिक सत्र से शुरू हुई है. वहीं आर्टिफिशयल इंटिलिजेंस की पढ़ाई भी विद्यार्थियों के करियर के लिए भविष्य में मील का पत्थर साबित होगा. इस विश्वविद्यालय में मिनरोलॉजी, आर्किटेक्चर, इंड्रस्टियल सेफ्टी, माइक्रोबायोलॉजी और बायोकेमिस्ट्री का पाठ्यक्रम और रिसर्च शुरू हो, तो विश्वविद्यालय की तस्वीर के साथ विद्यार्थियों की तकदीर भी बदल जाएगी. फिशरिज साइंस और होटिकल्चर की पढ़ाई भी उनके विजन में शामिल है. यहां मैनजमेंट और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई में भी विद्यार्थियों को रोजगार प्राप्त होने लगा है.
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तीन वर्षों में हुए कई नए बदलाव
31 मई को कुलपति डॉ देव के कार्यकाल का तीन साल पूरा हो जाएगा. इन तीन वर्षों में विश्वविद्यालय में काफी नए बदलाव हुए. उन्होंने भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) से भी विभावि को शोध में दक्ष बनाने के लिए सहयोग की राह प्रशस्त कराई है. हैदराबाद समेत देश के बड़े उच्च शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों के इंटर्नशिप का मार्ग सुलभ कराया है. बड़े-बड़े कॉरपोरेट हाउस को यहां कैंपस सलेक्शन के लिए तैयार करने की ख्वाहिश है. उस दिशा में प्रयासरत भी हैं. इसके लिए राजभवन से भी काफी सहयोग मिल रहा है. फैकल्टी के लिए वर्ष 1992 से लंबित 70 शिक्षकों की सीट भी भर चुकी है. सरकार अगर आदेश दे, तो वह अनुबंध पर विषय विशेषज्ञों से रिसर्च के काम को आगे बढ़ा सकते हैं.
हजारीबाग के पानी पर हो सकता है बड़ा शोध, बन सकता है निर्मल जल
कुलपति कहते हैं कि हजारीबाग में पानी पर बड़ा शोध किया जा सकता है, जो समाज के सहयोग की दिशा में भी बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम होगा. हजारीबाग के पानी में लौह और आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इस पर शोध कर जल को विशुद्ध और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से लाभप्रद बनाया जा सकता है. यह समाज के लिए बड़ी देन होगी. हालांकि शोध को बढ़ावा देना बड़ी चुनौती है. इसके लिए साधन और सुविधा के साथ-साथ बड़ी राशि और उससे भी बड़े समर्पण की नितांत आवश्यकता है. इसके लिए शिक्षकों से प्रस्ताव भी मांगे गए हैं. शिक्षकों को भी इसमें मेहनत, लगन और समर्पित भाव से काम करना होगा.
विद्यार्थियों को मिल रहा प्लेसमेंट सेल का लाभ
कुलपति ने बताया कि विनोबाभावे विश्वविद्यालय में कैंपस के लिए भी कई कंपनियां आ रही हैं. विभावि में प्लेसमेंट सेल बना दिया गया है. इंजीनियरिंग(यूसेट) में अब तक 23 लाख प्रतिवर्ष तक के पैकेज में छात्र-छात्राएं चुने जा रहे हैं. एमबीए और एमसीए के विद्यार्थियों का भी प्लसेमेंट हो रहा है.
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साधन-संसाधन की भी बदली रूपरेखा
कुलपति ने बताया कि डिजिटल बोर्ड से पढ़ाई का सिस्टम भी बदला है. विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट का भी डिजिटलाइजेशन कर दिया गया है. इस मामले में भी झारखंड का यह पहला विश्वविद्यालय है. एक क्लिक पर विद्यार्थियों के सभी प्रमाण पत्र मिल जाएंगे. बिजली की आत्मनिर्भरता की दिशा में भी सोलर सिस्टम के तहत बड़े कार्य हुए हैं. छात्राओं के आवागमन की भी सुविधा नि:शुल्क बहाल की गई है.
लड़कियों के लिए बनवाना चाहते हैं दो हॉस्टल
कुलपति लड़कियों के लिए दो और हॉस्टल बनवाना चाहते हैं. इसके लिए जमीन लेने की पहल की जा रही है. विनोबाभावे विश्वविद्यालय में अब पेंशनधारियों की सारी बाधाएं दूर हो गई हैं. सेवानिवृत्त होने के साथ ही शिक्षकों और कर्मियों को उसी वक्त से पेंशन के सभी लाभ मिल रहे हैं.