Jaydeep Kumar Sinha
Hazaribagh: मुखिया कुमारी मीरा के नेतृत्व में ग्रामीण बरही के गौरियाकरमा कृषि अनुसंधान केंद्र पहुंचे. उन्होंने परंपरागत पौराणिक छठ घाट पर अर्घ्यदान देने के मामले को लेकर देश के दूसरे भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र गौरियाकरमा प्रशासन का विरोध किया. महिलाओं का कहना था कि बहादुर डैम उनलोगों का पौराणिक छठ घाट है. वहां अर्घ्यदान के साथ ग्रामीण दशकर्म करते हैं. अनुसंधान केंद्र की ओर से छठ घाटों को तहस-नहस कर छोटे-छोटे पोखरे बना दिये गए हैं. साथ ही पूरे क्षेत्र की चहारदीवारी कर मुख्य दरवाजा में ताला लगा दिया गया है. इससे ग्रामीणों को पूजा-पाठ करने में दिक्कत हो रही है. इन समस्याओं को लेकर ग्रामीणों ने विधायक और मुखिया के नेतृत्व में पदाधिकारियों को पूर्व में भी सूचित किया था.
ग्रामीणों ने की छठ घाट का निर्माण करने की मांग
बताया जाता है कि केंद्र के निदेशक ने स्थानीय लोगों को पूजा-पाठ के लिए घाट के सौंदर्यीकरण की बात कही थी. जबकि महापर्व छठ में अब कुछ ही दिन शेष हैं. अब तक किसी भी प्रकार के घाट का निर्माण नहीं किया गया है, घाट को काटकर छोटे गहरे सरोवर बना दिये गए हैं. यहां अर्घ्यदान करना संभव नहीं है. महिलाओं ने अनुसंधान केंद्र के अधिकारियों से एक सप्ताह के अंदर छठ घाट निर्माण करने की मांग की. ग्रामीणों ने बताया कि ऐसा नहीं होने पर वे लोग चहारदीवारी और सरोवर को नष्ट कर घाट बना देंगे. इसकी क्षति के लिए केंद्र के पदाधिकारी जिम्मेदार होंगे. मौके पर समाजसेवी दुलार प्रसाद यादव, परमेश्वर प्रसाद यादव, शुभम पांडे और किशोर चौधरी सहित कई लोग मौजूद थे.
संबंधित मामले में निदेशक विशाल नाथ पांडे ने बताया कि वर्तमान में बहादुर डैम का पूरा क्षेत्र भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र की ओर से अधिग्रहित किया जा चुका है. यहां मत्स्य पालन और अन्य अनुसंधान के लिए छोटे-छोटे तालाब बनाए जा चुके हैं. जिस जगह वैज्ञानिक और विद्यार्थी शोध कार्य करते हैं, वहां ग्रामीणों की ओर से उसे तोड़ने की बात करना अनुचित है. महापर्व छठ और अन्य कार्यों के लिए अनुसंधान केंद्र ने दो अलग-अलग घाट बनाये हैं. वह चारों ओर से सुरक्षित है. लोगों की ओर से उस स्थल पर नहीं जाना समझ से परे है. उन्होंने लोगों से अपील की कि वह भी सनातनी हैं. उन्हें भी महापर्व छठ में आस्था है. उनकी कॉलोनी के लोग भी उसी स्थान पर अर्घ्यदान करेंगे. सभी लोग मिलकर महापर्व छठ मनाएं. यह केंद्र देश का दूसरा बड़ा अनुसंधान केंद्र है. इसे विकसित होने में सहयोग दें.
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