- तीन विवि में परीक्षा कराने वाली एनसीसीएफ को 10 करोड़ का भुगतान
- तीन लाख छात्रों का रिकॉर्ड कैद
Amit Singh
Ranchi : प्रदेश के तीन विश्वविद्यालय में परीक्षा संचालन का काम नेशनल कंज्यूमर को ऑपरेटिव फेडरेशन (भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ मर्यादित, एनसीसीएफ) देख रही है. इसके लिए विश्वविद्यालयों से एनसीसीएफ के सालाना 10 करोड़ से ज्यादा का भुगतान होता है. रांची विवि रांची, बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल यूनिवर्सिटी (बीबीएमकेयू) धनबाद और विनोवा भावे विवि हजारीबाग के साथ एनसीसीएफ ने एमओयू किया है. एमओयू के अनुसार, शैक्षणिक सत्र समाप्त हो गया है. मगर विवि के जिम्मेवारों ने एजेंसी का एकेडमिक ऑडिट नहीं कराया. जबकि एजेंसी के पास करीब तीन लाख छात्रों का गोपनीय एकेडमिक रिकॉर्ड कंप्यूटर में कैद है. एकेडमिक ऑडिट के सवाल का जवाब किसी विवि प्रशासन और एजेंसी के जिम्मेवार के पास नहीं है. जबकि फर्जी रूप से रिजल्ट का प्रकाशन और वितरण पर रोक लगाने का एकेडमिक ऑडिट एक बेहतर माध्यम है.
क्यों जरूरी है ऑडिट : पारदर्शिता कसौटी की होती है जांच
एकेडमिक ऑडिट से पता चलता है कि संबंधित विवि या संस्थान द्वारा किसी स्थिति में फर्जी परीक्षा फल, फर्जी डिग्री आदि का वितरण नहीं किया गया है. साथ ही परीक्षा के संचालन व परीक्षा फल के प्रकाशन की पूरी प्रक्रिया में अपनायी गयी पारदर्शिता की कसौटी की जांच ऑडिट के दौरान होता है. कंप्यूटर आदि सिस्टम से कराये जा रहे कार्यों की सच्चाई को शैक्षणिक अंकेक्षण में दर्शाया जाता है.
एजेंसी पर लगा चुका है गड़बड़ी का आरोप
एनसीसीएफ के क्रियाकलापों पर पहले सवाल खड़े हो चुके हैं. ऐसे में एजेंसी के कार्यों का एकेडमिक ऑडिट होना जरूरी है. 2016 में हाइकोर्ट ने जेपीएससी मामले की सुनवाई करते हुए इस एजेंसी के क्रियाकलापों पर सवाल खड़े किये थे. वहीं सीबीआई ने जांच में एजेंसी को दोषी पाया था.
ऐसे में नैक से नहीं मिलेगी ए की मान्यता
रांची विवि प्रशासन ने कहा कि आगामी शैक्षणिक वर्ष तक रांची विवि नैक से ए की मान्यता प्राप्त कर लेगा. मगर किसी विवि ने शैक्षणिक अंकेक्षण कराये जाने के बारे में कोई जानकरी नहीं दी है. सस्ते दर पर खाद्यान बेचने वाली संस्थान एनसीसीएफ से जब परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण कार्यों का संपादन कराया जा रहा है, और उसका एकेडमिक ऑडिट (शैक्षणिक अंकेक्षण प्रतिवेदन) रिपोर्ट जारी नहीं होगी, तो फिर नैक से ए मान्यता प्राप्त करने की बात बेमानी समझी जायेगी.
बिना ऑडिट नैक से एक्रिडिएशन नहीं
प्रदेश में जितने भी महाविद्यालय है, इनसब को नई शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुसार तथा पूर्व से निर्धारित नियमों के आलोक में नैक से मान्यता प्राप्त किया जाना अनिवार्य कर दिया गया है. वर्ष 2013 से यह व्यवस्था लागू है. झारखंड के परिपेक्ष्य में जितने भी विवि या ऑटोनोमस महाविद्यालय का नैक से एक्रिडिएशन कराया गया है, उस पूरी प्रक्रिया के लिए सभी संस्थानों में शैक्षणिक अंकेक्षण का कार्य अवश्य ही कराया गया होगा.
प्रोफेसरों की समिति करती है एकेडमिक ऑडिट
शैक्षणिक अंकेक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके अंतर्गत वरीय प्रोफेसरों की एक समिति बनायी जाती है. समिति में वही लोग होते हैं, जिनका संस्थान से किसी भी तरह का कोई संबंध नहीं रहा हो. आगे समिति द्वारा एकेडमिक ऑडिट में सबसे महत्वपूर्ण रूप से छात्रों का सकल नामांकन की स्थिति, उसके आधार पर किये गये पंजीयन कार्य व नामांकन, पंजीयन के आधार पर परीक्षा में शामिल छात्रों का परफॉरमेंस, परीक्षा आयोजन की विधि, परीक्षा फल का प्रकाशन की विधि और कंप्यूटर से किये गये कार्यों के आधार पर पारदर्शिता की स्थिति को देखते हुए एकेडमिक ऑडिट में यह दर्शाया जाता है कि संबंधित विवि या संस्थान द्वारा किसी भी माध्यम से फर्जी परीक्षा फल, डिग्री आदि का वितरण नहीं किया गया है.
एजेंसी के लिए लाखों छात्रों से वसूली
चांसलर पोर्टल ने वर्ष 2022 में विश्वविद्यालयों में स्नात्तक-स्नाकोत्तर में हुए नामांकन का आंकड़ा जारी किया है. रांची विवि में स्नातक में 40141 और स्नातकोत्तर में 11154, बीबीएमकेयू स्नातक में 38102 और स्नाकोत्तर में 2962 और विनोबा भावे विश्वविद्यालय स्नातक में 52418 और स्नातकोत्तर में 4625 छात्रों ने नामांकन कराया. वहीं रांची विवि में अभी करीब 1.60 लाख, बीबीएमकेयू में 75 और विनोवा भावे में 65 हजार छात्र पढ़ाई कर रहे हैं. तीनों विवि में करीब 3 लाख छात्रों से सालाना परीक्षा के नाम पर 500 से 800 तक की वसूली होती है. रांची विवि द्वारा एनसीसीएफ को प्रति छात्र 315 रुपये का भुगतान किया जाता है.
गड़बड़ियों को छुपाने के लिए नहीं कराया जा रहा ऑडिट
एकेडमिक ऑडिट नहीं कराकर जिम्मेवार अनियमितताओं पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं. छात्र संगठन एनसीसीएफ पर अनियमितता बरतने का आरोप लगा रहे हैं. अगर एकेडमिक ऑडिट होता, तो ऐसे अरोप विवि प्रशासन और एनसीसीएफ पर नहीं लगते. छात्र नेताओं का कहना है कि जिस संस्थान को एकेडमिक कार्यों का अनुभव नहीं है, वैसे संस्थान से परीक्षा जैसे गोपनीय कार्य कराया जाना, अपने आप में जांच का विषय है. ऐसे में ऑडिट नहीं कराकर एनसीसीएफ की गड़बड़ियों को छुपाने का काम किया जा रहा है. रांची विवि में संपन्न पीएचडी परीक्षा इसक ताजा उदाहरण है.