New Delhi : आने वाले दिनों में गेहूं के बाद देश में चावल के उत्पादन में भी बड़ी गिरावट आ सकती है. जिसके चलते मौजूदा खरीफ सीजन में चावल के उत्पादन में 10 से 12 मिलियन टन की कमी आ सकती है. यही वजह है कि केंद्र सरकार ने गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट टैक्स लगा दिया है, तो टूटे हुए चावल के एक्सपोर्ट पर पूरी तरीके से रोक लगा दी गई है. खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि चार राज्यों में सूखे की समस्या के साथ दूसरे फसलों की तरफ किसानों के रुझान के चलते खरीफ सीजन में 10 से 12 मिलियन उत्पादन कम रह सकता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खरीफ फसल की बुआई पर असर पड़ा है. यह प्रारंभिक अनुमान है. देर से अगर अच्छी बारिश हुई, तो आंकड़ो में परिवर्तन देखने को मिल सकता है. पहले आधिकारिक अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में खरीफ फसल की बुआई पर असर पड़ा है. मालूम हो कि 2021-22 खरीफ सीजन में 111 मिलियन टन चावल का उत्पादन हुआ था.
देश के टूटे हुए चावल की कमी होने लगी थी
सुधांशु पांडे ने कहा कि धरल्ले से एक्सपोर्ट के चलते देश के टूटे हुए चावल की कमी होने लगी थी. इससे रेट भी लगातार बढ़ रहे थे. जिसके चलते टूटे चावल के एक्सपोर्ट पर पूरी तरीके से बैन लगाने का फैसला किया गया है. टूटे हुए चावल के दामों में साल 2022 के दौरान 38 फीसदी का उछाल आया है तो अप्रैल से जून के बीच 2.13 मिलियन टन चावल का एक्सपोर्ट किया गया है दो एक साल पहले 1.58 मिलियन टन रहा था. हालांकि उन्होंने कहा कि बारत में अभी भी चावल का सरप्लस उत्पादन हो रहा है. गुरुवार को सरकार ने गैर-बासमती चावल निर्यात पर 20 फीसदी एक्सपोर्ट टैक्स लगा दिया था. वित्त मंत्रालय के अधीन डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने ये जानकारी दी है. खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के सिफारिशों के बाद सरकार ने ये फैसला लिया है. खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने पीडीएस और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के लिए प्रर्याप्त स्टॉक रखने के लिए चावल के एक्सपोर्ट पर टैक्स लगाने की सलाह दी थी.
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