Ranchi: रिम्स में व्यवस्था सुधार को लेकर शासी परिषद की 52वीं बैठक हुई. बैठक में रिम्स के चिकित्सकों के निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के लिए डिटेक्टिव एजेंसी से जांच कराने का प्रस्ताव गर्माया. बैठक में अस्पताल के इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार, मरीजों की सेवा कैसे बढ़े, ई-ओपीडी का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में रिम्स शासी परिषद के सदस्यों ने विचार रखे.
जीबी की बैठक में 22 एजेंडों पर सदस्यों की स्वीकृति होनी है. जिस पर चिंतन मनन जारी है. इधर, बीच बैठक से निकलते हुए रांची के सांसद संजय सेठ ने कहा कि पूरे देश में कहीं भी ऐसा नहीं है कि डॉक्टरों के पीछे जासूस (डिटेक्टिव एजेंसी) लगाया गया हो. ये शोभा नहीं देता है. उन्होंने कहा कि मेरी निजी राय है कि इस विषय को जीबी के एजेंडे में लाना ही नहीं चाहिए था. उन्होंने कहा कि ऐसा तंत्र स्थापित करने की जरूरत है, जहां डॉक्टरों के अंदर एक भाव पैदा हो कि वो प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करें.
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रिम्स की व्यवस्था को सुधारने की जरूरत, फर्श पर ना हो मरीजों का इलाज
संजय सेठ ने रिम्स की व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि न्यूरो सर्जरी विभाग की हालत काफी खराब है. यहां मरीजों का इलाज बरामदे में होता है. जबकि देश के अन्य अस्पतालों की ऐसी स्थिति नहीं है. उन्होंने रिम्स की इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने पर जोर दिया. साथ ही मदर चाइल्ड यूनिट की स्थापना करना भी बेहद जरूरी है. कई बार देखा जाता है कि करोड़ों रुपये के भवन बन तो जरूर जाते हैं, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो पाता है.
रिम्स में मैन पावर बढ़ाने की जरूरत- संजय सेठ
जबकि मैन पावर की बहाली को लेकर सांसद संजय सेठ ने कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ की संख्या बढ़ाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पारा मेडिकल स्टाफ ने रिम्स अस्पताल में हजारों लोगों की जान बचाने का काम किया है.
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