Samir Chakrawarti
Ranchi: देश में एक तरफ सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध है. वहीं राज्य के सबसे बडे़ सरकारी अस्पताल रिम्स में भर्ती मरीजों को इसी सिंगल यूज प्लास्टिक में लपेट कर प्रतिदिन खाना परोसा जा रहा है. रिम्स में मरीजों को बेहतर डाइट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रबंधन ने एजेंसी को टेंडर के माध्यम से काम दिया था. इसके बाद एजेंसी ने मरीजों को खाना उनके बेड तक पहुंचाने की शुरुआत की, जिसमें मरीजों को भोजन तो विटामिन प्रोटीन वाला दिया जा रहा है, लेकिन खाना पैक करने के लिए प्लास्टिक का यूज किया जा रहा है. जो जहर से कम नहीं है. सीधे कहा जाए, तो रिम्स प्रबंधन मरीजों को अच्छे भोजन के साथ जहर परोस रहा है. इससे साफ है कि मरीज अपनी बीमारी का तो इलाज करा लेंगे. लेकिन लगातार प्लास्टिक में पैक खाना खाने से उन्हें दूसरी बीमारी चपेट में ले लेगी.अनुमानत: रिम्स में करीब अलग -अलग विभागों में कुल आठ सौ के करीब मरीजों को हर रोज भोजन परोसा जाता है.
प्लास्टिक में पैक खाना को हटाने को लेकर तत्कालीन डायरेक्टर डॉ. डीके सिंह ने भी एजेंसी को आदेश दिया था, पर उनके जाते ही यह आदेश भी ठंडे बस्ते में चला गया. बताते चलें कि प्लास्टिक के इस्तेमाल पर सरकार ने कड़ाई से बैन लगा रखा है.
मरीजों को होगा नुकसान
हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को एजेंसी तीन टाइम डाइट उपलब्ध कराती है, जहां मरीजों को खाना प्लेट में डाल कर उसे प्लास्टिक से पैक कर दिया जाता है. वहीं खाना गर्म होने के कारण प्लास्टिक का भी अंश उस खाने में जाता है. जाने-अनजाने मरीज की डाइट के साथ उनके शरीर में प्लास्टिक जा रहा है, जिसका नुकसान मरीजों को भविष्य में झेलना पड़ सकता है. चूंकि कई मरीज हॉस्पिटल में लंबे समय तक इलाज के लिए भर्ती रहते हैं.
पहले ढक्कन वाले प्लेट में खाना
एजेंसी ने जब रिम्स में शुरुआत की, तो उस समय मरीजों को ढक्कन वाले प्लेट में खाना दिया जाता था. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया एजेंसी ने प्लेट के ढक्कन हटा दिए. उसकी जगह पैकिंग प्लास्टिक ने ले ली. अब लंबे समय से प्लास्टिक में पैक कर खाना ही मरीजों को परोसा जा रहा है. वहीं कोरोना मरीजों को तो प्लास्टिक के डिस्पोजेबल बर्तन में खाना दिया जा रहा है.
एजेंसी और रिम्स प्रबंधन नहीं ढूंढ़ पाया विकल्प
तत्कालीन डायरेक्टर ने प्लास्टिक को लेकर मिली शिकायत के बाद एजेंसी को प्लास्टिक का विकल्प ढूंढ़ने का आदेश दिया था. साथ ही कहा था कि इसे तत्काल बदला जाए. चूंकि मरीजों की सेहत के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इसके बाद एजेंसी ने हामी भर दी थी. लेकिन महीनों बीतने के बाद भी विकल्प नहीं मिला. वहीं मरीजों की डाइट का ध्यान रखने वाले अधिकारियों ने भी इस पर गंभीरता नहीं दिखाई.
मॉनिटरिंग कमेटी का भी ध्यान नहीं
मरीजों की डाइट की प्रापर मॉनिटरिंग के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था, जिसका उद्देश्य मरीजों की डाइट की निगरानी करना है. वहीं क्वालिटी की भी समय-समय पर जांच की जाएगी और प्रबंधन को रिपोर्ट भी सौंपी जाएगी. लेकिन समय बीतने के साथ ही कमेटी भी सुस्त पड़ गई, जिसका खामियाजा इलाज करा रहे मरीजों को भुगतना पड़ सकता है.
कैंसर का खतरा बढ़ जाता है: डाॅ रविकांत
इस संबंध कैंसर रोग विशेषज्ञ डाॅ रविकांत चतुर्वेदी से बात करने पर उन्होंने कि , लगातार गरम खाना प्लास्टिक में लपेट कर रखने और उसका सेवन करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. इससे सभी को बचना चाहिए.प्लास्टिक किसी भी तरह से शरीर के लिए हानिकारक है. भोजन के सामानों में इसका प्रयोग करने से बचना चाहिए.