- जल्द शुरू होगा हॉस्टल निर्माण, 1 साल के भीतर काम होगा पूरा
- शासी परिषद की 49वीं बैठक में छात्र के लिए 200, छात्राओं के 200 बेड के हॉस्टल बनाने पर मिल चुकी थी स्वीकृति
- ढाई साल बाद निर्माण तो दूर- जमीन का चयन व मापी तक नहीं हुई
Ranchi: रिम्स पारा मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स 2 दिन पहले अपनी मांगों को लेकर रिम्स अधीक्षक कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए थे. उनकी मांग थी की उनके लिए रिम्स की ओर से हॉस्टल की व्यवस्था नहीं है, जबकि पूर्व से ही उन्हें आश्वासन पर आश्वासन दिया जा रहा है कि जल्द उनके लिए हॉस्टल का निर्माण कराया जाएगा. साथ ही छात्रों का यह भी कहना था कि हॉस्टल नहीं होने के कारण उन्हें किराए पर कमरा लेकर रहना पड़ रहा है. देर रात रिम्स से ड्यूटी के बाद घर लौटते वक्त कई बार असामाजिक तत्वों द्वारा परेशान भी किया जाता है. ऐसे में वे सभी सुरक्षा की मांग कर रहे थे. इधर, छात्रों के प्रदर्शन के बाद रिम्स प्रबंधन ने पहले व दूसरे वर्ष की कक्षाएं स्थगित कर दी है. जबकि कार्यालय बंद होने के बाद भी उसे खोलकर छात्रों के हित में कार्रवाई भी की गई. रिम्स पारा मेडिकल के कोऑर्डिनेटर ने बताया कि छात्रावास निर्माण रिम्स शासी परिषद की 49वीं बैठक के दौरान ही पारा मेडिकल स्कूल के छात्र छात्राओं के लिए हॉस्टल निर्माण और शिक्षकों व कर्मियों के लिए आवास निर्माण की स्वीकृति दी जा चुकी थी. बावजूद ढाई साल बाद भी निर्माण तो दूर, हॉस्टल बनाने के स्थान का चयन व मापी तक नही की जा सकी.
जब आक्रोशित स्टूडेंट्स ने प्रदर्शन किया तो कोऑर्डिनेटर ने कहा- जल्द निर्माण होगा
इधर, छात्रों के प्रदर्शन के बाद शनिवार को देर शाम पारा मेडिकल प्रबंधन द्वारा भवन प्रमंडल के अभियंता को पत्र लिखा गया. इंजीनियर ने पत्र लिखते हुए आश्वासन दिया कि 3 से 4 दिनों के भीतर मापी करेंगे. फिर एग्रीमेंट जमा करेंगे. उच्चाधिकारियों से मंजूरी मिलते ही भवन निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा. पारा मेडिकल के कोऑर्डिनेटर ने भरोसा दिलाते हुए कहा कि 6 माह से 1 साल के भीतर 400 बेडेड छात्रावास पूरा हो सकता है.
धमकी के साथ छात्रों से अपील, संयम रखें, वरना उनके खिलाफ भी दर्ज कराई जाएगी प्राथमिकी
दो दिन पूर्व छात्र-छात्राओं के विरोध करने के बाद उन्हें धमकी देने के अंदाज में प्रबंधन ने छात्रों से अपील की है कि वे संयम रखें. वरना उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई जा सकती है. पीआरओ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि विरोध के दौरान छात्रों द्वारा उच्च अधिकारियों का दुर्व्यवहार किया गया था, प्रबंधन द्वारा अभी तक नामित छात्रों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. दुर्व्यवहार का सबूत फोटो-वीडियो रिकॉर्डिंग प्रबंधन के पास उपलब्ध है. एक बार प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस/न्यायालय मामले को निपटाने में 10-20 साल लग जाते हैं. तब तक छात्रों को सरकारी क्षेत्र में कोई नौकरी नहीं मिल सकती है. ऐसे में छात्रों को सहयोग करना चाहिए और स्थिति को सामान्य होने देना चाहिए.
49वीं जीबी में ये हुआ था निर्णय
-नर्सिंग कॉलेज के छात्रांओं के लिए 600 बेडेड छात्रावास निर्माण, 4 क्लास रूम और 100 सीट के स्मार्ट क्लास रूम के निर्माण में स्वीकृति पर निर्णय.
-रिम्स के पारामेडिकल स्कूल के छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावास निर्माण तथा शिक्षकों व कर्मियों के लिए आवास निर्माण की स्वीकृति.
-रिम्स के दोनों मुख्य प्रवेश द्वारों के पुन: निर्माण कार्य के साथ-साथ सेवा केंद्र, सुरक्षा केंद्र तथा सूचना केंद्र के निर्माण की स्वीकृति.