NewDelhi : खबर है कि RSS ईसाई समुदाय को अपने साथ जोड़ने की कवायद में जुट गया है. पहली बार अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री जॉन बारला मेघालय हाउस में शुक्रवार को क्रिसमस भोज की मेजबानी करने जा रहे हैं. जानकारी के अनुसार संघ से जुड़े राष्ट्रीय ईसाई मंच द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर से केरल तक के चर्च प्रमुख शामिल होंगे. आरएसएस के वरिष्ठ नेता इंद्रेश कुमार भी कार्यक्रम में शामिल होंगे
जान लें कि ऐसे पहली बार होगा जब राष्ट्रीय ईसाई मंच उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश के चर्च प्रमुखों को भी अपने कार्यक्रम में बुला रहा है. बता दें कि इन राज्यों में पिछले कुछ समय से पादरियों, चर्चों और ईसाइयों के कुछ संस्थानों पर हमलों की घटनाएं घटी हैं.
वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें चर्च
भाजपा नेताओं की सलाह है कि चर्च और चर्च प्रमुखों को राजनीतिक रूप से तटस्थ रहना चाहिए. एक बात और कि ईसाई समुदाय का भी यही मानना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूसरी बार(2019) बड़ी जीत के बाद आरएसएस और भाजपा के साथ दूरी रखना उचित नहीं है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार ने चर्च प्रमुखों से कहा है कि वे वोट बैंक की राजनीति का हिस्सा न बनें.
केरल की साढ़े 3 करोड़ की आबादी में 18 फीसदी ईसाई वोटर
केरल की साढ़े 3 करोड़ की आबादी में लगभग 18 फीसदी ईसाई वोटर हैं माना जा रहा है कि 18प्रतिशत ईसाई वोटर भाजपा के लिए गेम चेंजर बन सकते हैं. जग जाहिर है कि इस प्रदेश में भाजपा अपनी पैठ बढ़ाने में जुयी हुई है. बता दें कि 2021 के विधानसभा चुनाव में यहां भाजपा को 11.3 फीसदी वोट मिले थे. इससे पहले 2016 के विधानसभा चुनाव में पार्टी को 10.53 फीसदी वोट हासिल हुए थे.
RSS की नजर उत्तर-पूर्व के राज्य मेघालय, नगालैंड और मिजोरम पर
RSS की नजर उत्तर-पूर्व के राज्य मेघालय, नगालैंड और मिजोरम पर भी है. यहां 70 प्रतिशत ईसाई आबादी है. इन राज्यों में भाजपा अपने बूते सरकार बनाने का प्रयास कर रही है. याद करें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में पूर्वोत्तर की सभाओं में ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस की प्रस्तावित भारत यात्रा का विशेष तौर पर उल्लेख अपने भाषण में किया था. जम्मू-कश्मीर के ईसाई प्रतिनिधियों को भी संघ ने बुलावा भेजा है.