Ranchi : पूर्व सांसद व आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू 30 अप्रैल को प्रस्तावित संताली राजभाषा रैली के लिए परमिशन नहीं मिलने के चलते राज्य सरकार से नाराज हैं. शनिवार को उन्होंने रांची प्रेस क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. कहा कि संविधान का आर्टिकल 19 हमें अपनी बात रखने का अधिकार देता है. रैली के लिए परमिशन नहीं दिया जाना मौलिक अधिकारों का हनन है. मैं अब रैली की अगली तिथि तय कर इजाजत के लिए हाईकोर्ट जाऊंगा. आग्रह करूंगा कि मुझे रैली के लिए परमिशन दिया जाए. साथ ही हेमंत सरकार के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा और 100 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया जाएगा. उन्होंने यह भी बताया कि 30 अप्रैल को प्रस्तावित संताली राजभाषा रैली के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बाबूलाल मरांडी ,चंपई सोरेन, सीता सोरेन, और लोबिन हेंब्रम को भी आमंत्रित किया गया था.
सालखन मुर्मू ने लगाया आरोप
सालखन मुर्मू ने बताया कि संताली राजभाषा रैली के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 6.4.2022 को उनके प्रिंसिपल सेक्रेटरी और चीफ सेक्रेटरी के माध्यम से अनुमति प्राप्त करने संबंधी पत्र प्रेषित किया गया था. दोनों से फोन पर बातचीत भी की गई थी. तत्पश्चात 20 अप्रैल को सेंगेल के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू के साथ हराधन मार्डी, सुखदेव मुर्मू, सुगदा किस्कू, करमचंद हंसदा, फूलचंद किस्कू, रंजीत बौरी रांची के उपायुक्त छवि रंजन से उनके कार्यालय में मुलाकात कर अनुमति मांगी गयी थी. उन्होंने अनुमति पत्र में रैली की जगह जनसभा करने का सुझाव के साथ अनुमति संबंधी पत्र ग्रहण किया था. साथ ही कहा था कि मैं रांची सदर एसडीओ को फोन कर दूंगा. सालखन ने कहा कि कोविड-19 के कारण परमिशन नहीं देने का मामला वास्तव में होता तो उसी समय फैसला सुना दिया जाता. लगता है कि खुद मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से अंतिम क्षण में रैली करने की अनुमति नहीं दी गयी है.
सालखन मुर्मू ने बताया कि इस मामले को लेकर आदिवासी सेंगेल अभियान की बैठक हुई, जिसमें सात प्रस्ताव पारित किये गये.
पारित किये गये ये प्रस्ताव
- हेमंत सोरेन आदिवासी विरोधी हैं. संताली राजभाषा विरोधी हैं. 30 अप्रैल से एक सप्ताह तक 5 प्रदेशों और विदेश में भी इनका पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा.
- झारखंड प्रदेश के संबंधित पदाधिकारी आदिवासी विरोधी हैं. संताली राजभाषा विरोधी हैं. इनका भी सर्वत्र पुतला दहन कर विरोध दर्ज किया जाएगा.
- हेमंत सोरेन सरकार ने चूंकि एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत संताली राजभाषा रैली को बाधित किया है. देश और दुनिया के आदिवासियों को अपमानित किया है. धोखा दिया है. सरकार के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा और 100 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया जाएगा. हाईकोर्ट से संताली राजभाषा रैली के लिए अगली तारीख की भी मांग रखी जाएगी.
- संबंधित सरकारी पदाधिकारियों के खिलाफ आदिवासी उत्पीड़न कानून 1989 के तहत उचित कार्रवाई की जायेगी.
- निकट भविष्य में प्रतिरोधस्वरूप 5 प्रदेशों में रेल- रोड चक्का जाम किया जाएगा.
- झारखंड के राज्यपाल को मिलकर इस पक्षपातपूर्ण, जनविरोधी, आदिवासी विरोधी कार्रवाई की जानकारी दी जायेगी. संबंधित पदाधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की जायेगी.
- सरना धर्म कोड रैली 30 जून 2022 के लिए दिल्ली चलो की तैयारी जोर-शोर से किया जायेगा.
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