Bokaro : बोकारो जिले में चार साल से बालू खनन प्रतिबंधित है. फिर भी बालू की उपलब्धता कम नहीं है. बालू की उपलब्धता कम होने से मकान कम बनते लेकिन ऐसा भी नहीं है. प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह बिल्डिंग बनाए जा रहे हैं. सवाल है कि आखिर बालू कहां से आता है, जिससे रात-दिन निर्माण कार्य हो रहा है? इसके जबाब संबंधित अधिकारियों के पास नहीं है. सवाल यह भी उठता है कि क्या अधिकारियों को बालू माफिया अंधकार में रखकर खनन कार्य करवा रहे हैं या अधिकारियों का उन्हें मौन समर्थन प्राप्त है? बालू लेकर सड़कों पर सरपट दौड़ते ट्रैक्टर को देखकर तो यही लगता है कि जिले में प्रतिबंध के बावजूद बालू का अवैध उठाव हो रहा है.
सख्ती का मतलब क्या?
बालू समेत अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए टास्क फोर्स गठित की गई है. खनन के खिलाफ छापेमारी जारी है. गाड़ियां भी पकड़ी जा रही हैं, बावजूद सड़कों पर बालू लदे खड़े वाहन देखे जा सकते हैं.
क्या कहते हैं डीएमओ
जिला खनन पदाधिकारी (डीएमओ) गोपाल दास ने बताया कि अवैध खनन कारोबारियों के खिलाफ तेजी से अभियान चल रहा है. कई गाड़ियों को जब्त किया गया है, प्राथमिकी दर्ज कराई गई है.
यह भी पढ़ें : बेरमो : रेलवे संरक्षा आयुक्त ने किया दनिया-डुमरी बिहार रेलखंड का निरीक्षण