Seraikela (Bhagya Sagar Singh) : पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत बुधवार को सरायकेला थाना अंतर्गत बड़ा कंकडा फुटबॉल मैदान में आदिवासी कुड़मी समाज का एक दिवसीय महाजुटान कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज के संयोजक मनोहर महतो ने की. कार्यक्रम में हजारों की संख्या में समाज के महिला एवं पुरुष सहित प्रबुद्धजन शामिल हुए. कार्यक्रम में कुड़मी जनजाति को यथाशीघ्र अनुसूचित जनजाति (एसटी) की श्रेणी में सूचीबद्ध कराने के सम्बंध में प्रधानमंत्री के नाम एक स्मारपत्र उपायुक्त को एक प्रतिनिधिमंडल ने सौंपा.
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जन आंदोलन समाज को कर रहा जागरूक
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रेल रोको आंदोलन के नेतृत्वकर्ता आदिवासी कुड़मी समाज के अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि कुड़मी समाज अपने अस्तित्व की लड़ाई में जन आंदोलन कर समाज को जागरूक कर रहा है. हमारे आन्दोलन का उद्देश्य है कुड़मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध कराना. दूसरा कुड़माली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कराना और तीसरा सरना धर्म कोड लागू कराना. इसके लिए तीनों राज्यों में रेल रोको आंदोलन सफल हुआ था. उसकी समीक्षा एवं आगे की रणनीति पर रुपरेखा तैयार की गई. पश्चिम बंगाल में 5 दिनों तक रेल रोको आंदोलन किया गया. झारखण्ड और ओडिशा में एक दिन रेल रोकने में सफल रहे.
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10 जनवरी को होगा प्रखंड सम्मेलन
इस सम्मेलन में झारखंड और ओडिशा के आंदोलन को चरम स्तर पर पहुंचाने के लिए कार्यक्रम की घोषणा की गई. प्रत्येक प्रखंड सम्मेलन 10 जनवरी 2023, प्रत्येक प्रखंड स्तर पर डेपुटेशन 31 जनवरी 2023, जिला सम्मेलन 12 मार्च 2023 और प्रत्येक जिला स्तर पर डेपुटेशन 27 मार्च 2023 तथा विधानसभा घेराव ग्रीष्मकालीन सत्र में और तब तक अगर कुड़मी जनजाति को एसटी सूची में सूचीबद्ध न होने पर झारखंड और ओडिशा राज्य में आर्थिक नाकेबंदी सहित अनिश्चितकालीन रेल टेका (रोको) 20 सितंबर 2023 से किया जाएगा. इसके लिए गांव गांव एवं प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर तक प्रचार प्रसार चल रहा है.
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अर्जुन मुंडा सरकार ने एसटी में शामिल करने की अनुशंसा की थी
विशिष्ट अतिथि सूर्य सिंह बेसरा ने कहा झारखंड राज्य बनने के 3 वर्ष बाद 23 नवंबर 2004 को अर्जुन मुंडा सरकार ने कुड़मी जनजाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का अनुशंसा किया था. वर्तमान में अर्जुन मुंडा स्वयं केंद्र सरकार में आदिवासी मंत्रालय के मंत्री हैं. इन्होंने पिछले दिनों 12 जनजाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिया, लेकिन 2004 में स्वयं द्वारा अनुशंसित किया गया कुड़मी जनजाति को छोड़ दिया. इसलिए आज कुड़मी समुदाय अपनी मांग उपायुक्त सरायकेला खरसावां के माध्यम से प्रधानमंत्री को एक स्मार-पत्र सौंपा गया, जिसमें मांग किया गया कि कुड़मी (महतो) को इसी सत्र में अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाये. विशेष अतिथि गोमिया विधायक डॉ. लम्बोदर महतो ने कहा कि कुड़मी जनजाति का अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने का मांग नयी नहीं है. यह मांग बहुत पुरानी है.
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कुड़मी 72 वर्षों से हैं आंदोलनरत : शैंलेंद्र महतो
विशिष्ट अतिथि पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि1950 से पहले झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और असम के टोटेमिक कुड़मी जनजाति देश की आजादी से पहले प्रिमिटिव ट्राइब्स (आदिम जनजाति) में सूचीबद्ध था, किंतु जब अनुसूचित जनजाति की सूची तैयार हुई तब सिर्फ कुड़मी को छोड़कर सभी आदिम जनजातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध किया गया. तब से अब तक 72 वर्षों से लगातार कुड़मी जनजाति एसटी सूची में सूचीबद्ध करने हेतु आंदोलनरत हैं. कार्यक्रम को पद्मश्री छुटनी महतो, प्रवक्ता केंद्रीय महासचिव सुनील कुमार गुलिआर, सशधर काडुआर, खिरोधर महतो, श्र्वेता महतो, ध्रवचरण ने भी सम्बोधित किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रदेश अध्यक्ष पद्मलोचन महतो, केंद्रीय सह सचिव जयराम महतो, केंद्रीय प्रवक्ता हरमोहन महतो, गुणधाम मुतरुआर, प्रभात कुमार महतो, डॉ जगदीश महतो आदि का अहम योगदान रहा.