NewDelhi : हमने यह कभी नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी हैं. यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने शुक्रवार को आरएसएस के प्रचारक राम माधव की पुस्तक द हिंदू पैराडाइम : इंटीग्रल ह्यूमनिज्म एंड क्वेस्ट फॉर ए नॉन वेस्टर्न वर्ल्डव्यू पर परिचर्चा के क्रम में कही. अपने विचार व्यक्त करते हुए होसबले ने कहा कि सेकंड वर्ल्ड वार के बाद की भू-राजनीतिक परिस्थितियों में जन्मा वामपंथ और दक्षिणपंथ व पूरब और पश्चिम का संघर्ष अब अतीत हो चुका है.
आज दुनिया मानवतावादी विचारों को अपना रही है. यही हिंदुत्व का सार तत्व है. कहा कि पूंजीवाद और साम्यवाद दोनों का अवसान हो गया है, लेकिन, पूंजीवाद के कुछ विचार और साम्यवाद के कुछ विचार अभी भी मौजूद हैं और रहेंगे.
इसे भी पढ़ें : गृह मंत्री अमित शाह जम्मू-कश्मीर के दौरे पर, इंटरनेट बंद किये जाने पर बरसीं महबूबा मुफ्ती
हमने वामपंथ और दक्षिणपंथ तथा पूरब और पश्चिम की लड़ाई शुरू कर दी
सरकार्यवाह ने कहा कि ये विचार मानव मस्तिष्क से उत्पन्न विचार हैं जो लोगों के अनुभवों पर आधारित हैं. इसलिए हमें सभी क्षेत्रों और वर्गों के श्रेष्ठ विचारों का लाभ लेना चाहिए. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए होसबले ने कहा कि हमने वामपंथ और दक्षिणपंथ तथा पूरब और पश्चिम की एक लड़ाई शुरू कर दी जो द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद की भू राजनीतिक परिस्थतियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई. इसी क्रम में उन्होंने कहा कि आरएसएस में हमने अपने प्रशिक्षण शिविरों में भी कभी यह नहीं कहा कि हम दक्षिणपंथी (राइटिस्ट) हैं.
हमारे कई विचार ऐसे हैं जो करीब-करीब वामपंथी विचार होते हैं
हालांकि उन्होंने कहा, हमारे कई विचार ऐसे हैं जो करीब-करीब वामपंथ के विचार होते हैं और कुछ निश्चित रूप से तथाकथित दक्षिणपंथी विचार हैं. दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि पूरब पूरी तरह से पूरब नहीं है, पश्चिम पूरी तरह से पश्चिम नहीं है। इसी प्रकार से वामपंथ पूरी तरह से वामपंथ नहीं है और दक्षिणपंथ पूरी तरह से दक्षिणपंथ नहीं है.
पश्चिम के लोग एक नये विचार और नये दर्शन की तलाश में हैं
उन्होंने कहा, ‘यह सैद्धांतिक रूप से पूरब और सैद्धांतिक रूप से पश्चिम हैं. अब तो पश्चिम के लोग भी एक नये विचार और नये दर्शन की तलाश में हैं जो मानवतावाद पर आधारित हैं. आरएसएस के सरकार्यवाह ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को महत्वपूर्ण करार दिया. कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने भी एकात्म मानववाद के दर्शन को स्वीकार किया और उससे पहले जनसंघ ने भी इसे स्वीकार किया था.