Ranchi: विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप की प्रारंभिक जांच के लिए एसीबी ने मंत्रिमंडल सचिवालय और निगरानी विभाग से अनुमति मांगी है. सरयू राय ने अपने ऊपर लगे अधिक दर पर वॉइस मैसेज का आदेश देने, आहार पत्रिका का प्रकाशन, युगांतर भारती को सरकार की ओर से कार्यादेश दिलाने और सुनील शंकर को सेवा विस्तार देने के मामले पर सफाई पेश की है. सरयू राय ने कहा कि पूर्व सीएम रघुवर दास के समर्थकों ने उनके ऊपर यही आरोप लगाया था और एक शिष्टमंडल ने तत्कालीन राज्यपाल से मिलकर सीबीआई जांच कराने की मांग की थी. सरयू ने कहा कि उस समय भी उन्होंने कहा था कि वह मामले में हर तरीके से जांच का स्वागत करेंगे.
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बाबा कम्प्यूटर्स को यह काम निविदा के आधार पर मिला
बाबा कम्प्यूटर्स को अधिक दर पर वायॅस मैसेज (ओबीडी) का आदेश देने के मामले पर सरयू ने कहा कि बाबा कम्प्यूटर्स को यह काम निविदा के आधार पर मिला. निविदा का प्रकाशन विभागीय सचिव ने मंत्री से अनुमति लिए बिना अपनी शक्ति से किया था. निविदा का निष्पादन विभाग द्वारा गठित निविदा समिति ने किया था. अवधि विस्तार के समय संचिका मेरे पास आयी थी. तत्कालीन विभागीय सचिव ने इस संबंध में विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण संचिका में किया था. इसके बाद बाबा कम्प्यूटर्स को पुनः अवधि विस्तार मिला. यह पूरी तरह कानून के मुताबिक हुआ है उनके निर्णय के मुताबिक नहीं.
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न्यूनतम दर वाली संस्था का चयन किया गया
आहार पत्रिका का प्रकाशन के मामले पर उन्होंने कहा कि राशन उपभोक्ताओं तक विभागीय निर्णयों को पहुंचाने और अन्य जानकारी देने के उद्देश्य से आहार पत्रिका प्रकाशित करने का निर्णय विभाग द्वारा लिया गया. शुरू में 3-4 संस्थाओं से इसके लिए कोटेशन प्राप्त किया गया. न्यूनतम दर वाली संस्था का चयन किया गया. दर निर्धारण करने के लिए संचिका वित्त विभाग को भेजी गयी. वित्त विभाग ने इस पर मंतव्य दिया कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से दर निर्धारित कराया जाये. सूचना एवं जनसंपर्क विभाग ने इस विषय पर विचार करते हुए जो दर निर्धारित किया, उसी आधार पर न्यूनतम दर वाली संस्था का चयन पत्रिका प्रकाशन के लिए हुआ. उस समय वित्त और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के तत्कालीन मंत्री रघुवर दास ही थे इसलिए इसकी जानकारी रघुवर दास से भी ले सकते है.
कोई भी आदेश युगान्तर भारती के पक्ष में नहीं दिया
युगान्तर भारती को सरकार की ओर से कार्यादेश दिलाने के मामले पर उन्होंने कहा कि मंत्री रहते अपने विभाग से किसी भी प्रकार के काम के लिए कोई भी आदेश युगान्तर भारती के पक्ष में नहीं दिया था. यह आरोप हास्यास्पद है कि 2016-17, 2017-18 और 2018-19 उन्होंने युगान्तर भारती से अनसेक्युर्ड लोन लिया है. पता नहीं इस बारे में एसीबी ने उनके आयकर रिटर्न का विवरण और युगान्तर भारती के आयकर रिटर्न का विवरण है या नहीं. बिना ये विवरण देखे यदि इस बारे में एसीबी सरकार से पीई दर्ज कराने का आदेश लेना चाहता है तो इससे एसीबी अधिकारियों की बुद्धिमत्ता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होगा.
पूरी जानकारी विभाग की फाइल में दर्ज है
सुनील शंकर को सेवा अवधि विस्तार देने के आरोप पर सरयू राय ने कहा कि इस संबंध में पूरी जानकारी विभाग की फाइल में दर्ज है. पता नहीं एसीबी ने खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग से संचिका मंगाकर देखा है या नहीं. सुनील शंकर सहित अन्य कई रिटायर्ड अधिकारियों को विभाग ने रिटायर होने के बाद फिर से नियुक्त किया और ये हाल तक कार्यरत रहे हैं.
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