Ranchi: विधायक सरयू राय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के डिप्टी डायरेक्टर को पत्र लिखकर ईडी की जांच के दायरे में आये प्रेम प्रकाश के साथ रघुवर दास के संबंधों का सबूत भेजा है. सरयू ने रघुवर दास के द्वार उपयोग की जा रही गाड़ियों के खरीद में लगे पैसे के श्रोत को संदिग्ध बताया है. साथ ही उत्पाद विभाग और पल्स अस्पताल के मामले में भी उन्होंने रघुवर-प्रेम प्रकाश के संबंध की जांच करने की मांग की है. उन्होंने पत्र में कहा है कि इनोवा कार नंबर- JH01DV-1101 को प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव के करीबी राजदार पुनीत भार्गव ने 21 फरवरी 2020 को सासाराम के बैंक ऑफ बड़ौदा से ऋण लेकर खरीदा है, रांची में इसका रजिस्ट्रेशन हुआ है. यह कार झारखंड को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास शुरू से ही उपयोग कर रहे थे. इससे संबंधित तस्वीर भी उन्होंने ईडी को भेजी है.
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सरयू ने ईडी को यह भी बताया कि फॉर्चुनर कार नंबर JH05CR-0011 को रांची के हेहल में रहने वाले सुरेन्द्र मोहन ने स्टेट बैंक से 20 लाख रुपये कर्ज लेकर 23 मई 2020 को खरीदा था. इसका रजिस्ट्रेशन जमशेदपुर में हुआ है. इस कार का उपयोग भी रघुवर दास कर रहे हैं. झारखंड के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रमों में इस कार का उपयोग करते हुए रघुवर दास के की तस्वीर भी उन्होंने ईडी को भेजी. सरयू ने कहा कि कार की खरीद में लगे पैसे का स्त्रोत संदिग्ध है.
उत्पाद विभाग से जुड़े मामले का भी उन्होंने पत्र में जिक्र किया है. कहा है कि उत्पाद विभाग के अधिकारियों ने 28.07.2018 को रांची के अरगोड़ा थाना में प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिये थाना प्रभारी को आवेदन दिया था, लेकिन तत्कालीन सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय या मुख्य सचिव कार्यालय से प्राप्त निर्देश के बाद मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई. उन्होंने कहा कि यह एक गम्भीर मामला है जिसका सीधा संबंध मनी लाउंड्रिंग के उस कांड के साथ है जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय की रांची शाखा कर रही है.
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सरयू राय ने पत्र में पल्स अस्पताल का जिक्र करते हुए कहा है कि इसमें लगे पैसे की जांच भी ईडी कर रही है. इस अस्पताल भवन की ख़रीद और निर्माण का कार्य 2018 से 2020 के बीच हुआ है. स्पष्ट है कि इस कार्य में लगा धन यदि अवैध है तो इसे तत्कालीन सरकार में ही अर्जित किया है. उन्होंने कहा है कि तत्कालीन सरकार के मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव के साथ पूजा सिंघल के घनिष्ठ एवं आत्मीय संबंध जगज़ाहिर हैं. इस अवैध धन का स्रोत जानने के लिये इस अवधि में सिंघल और तत्कालीन सरकार में प्रभावी प्रेम प्रकाश एवं अन्य किरदारों के क्रियाकलापों की जांच ज़रूरी है. जांच के दायरे में उत्पाद विभाग, पथ निर्माण विभाग, भवन निर्माण विभाग, खान विभाग, कौशल विकास विभाग, ऊर्जा विभाग के संदेहास्पद कार्यों की तह में जाने से इस अवैध धन के स्रोत पता चल सकते हैं.