Ranchi : पूर्व मंत्री और जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय ने बीजेपी से सवाल पूछा है कि क्या पार्टी उनकी नई किताब को सपोर्ट करेगी. सरयू ने कहा है कि पशुपालन घोटाला के उदभेदन के समय 1996 में उनकी एक किताब छपी थी, जिसका नाम था चारा चोर खजाना चोर. उस वक्त बिहार बीजेपी ने सड़कों पर उतरकर राज्यभर में इस किताब को बेचा था. इस बार उनकी एक नई किताब आयी है, जिसका नाम तिजोरी की चोरी है. सरयू ने पूछा कि क्या झारखंड बीजेपी इसे भी उसी भाव (1996 की तरह) से ग्रहण करेगी.
सरयू का दल अलग है, बीजेपी को उनके क्रियाकलाप से मतलब नहीं – प्रदीप सिन्हा
सरयू राय के सवाल पर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि अब बीजेपी और सरयू राय के बीच 1996 वाली कोई बात नहीं है. सरयू राय की अब अलग पार्टी है. उनकी पार्टी के अलग क्रियाकलाप हैं. अब वे हमारे दल में नहीं हैं तो उनकी बात पर टिप्पणी क्या करें. ये उनका विषय है, बीजेपी को उससे कोई मतलब नहीं है.
पशुपालन घोटाला की CBI जांच के मुद्दे पर बीजेपी में लड़नी पड़ी थी कठिन लड़ाई – सरयू
वहीं सरयू ने यह भी कहा कि 1996 में पशुपालन घोटाला का जब खुलासा हुआ तो इसकी सीबीआई जांच के मुद्दे पर उन्हें बीजेपी के अंदर कठिन लड़ाई लड़नी पड़ी थी. तब प्रदेश भाजपा नेतृत्व पर रांची की टीम हावी थी और रांची पशुपालन घोटाला का केंद्र था. सुशील मोदी और रविशंकर प्रसाद को साथ लेने पर भी उन्हें काफ़ी कुछ सुनना पड़ा था.
रघुवर सरकार के समय हुए टॉफी-टीर्शट घोटाले पर आधारित है किताब
सरयू राय ने अपनी ‘तिजोरी की चोरी’ का लोकार्पण मंगलवार को किया था. यह किताब रघुवर दास के समय झारखंड स्थापना दिवस 2016 में हुए टॉफी, टी-शर्ट और गायिका सुनिधि चौहान के कार्यक्रम में सरकारी खजाने की लूट पर आधारित है. सरयू का दावा है कि पुस्तक घोटालों का पुख्ता् सबूत है. इस घोटाले के सभी पात्र जमशेदपुर से हैं. इस किताब में सरकारी खजाने से हुई लूट का विस्तार से जिक्र है.
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