NewDelhi : भुखमरी से निपटने के लिए देशमें सामुदायिक रसोई स्थापित करने की याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फिर केंद्र को घेरा है. सुनवाई के क्रम में कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार से कहा कि लोगों को भूख से मरने से बचाना चाहिए. पूछा कि क्या यह कहा जा सकता है कि देश में भुखमरी से एक को छोड़कर कोई मौत नहीं हुई? पूछा कि कम कीमत पर गरीब, लाचार लोगों के लिए सरकार ने सामुदायिक रसोई के लिए अभी तक कोई मॉडल योजना क्यों नहीं बनाई है? सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि यदि आप नीति बनाते हैं और अतिरिक्त खाद्यान्न देते हैं तो राज्य खाद्य नीति को लागू कर पायेंगे.
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केंद्र के पास कोई ठोस डेटा नहीं है
SC ने तेवर तल्ख करते हुए कहा कि केंद्र के पास कोई ठोस डेटा नहीं है. इस बारे में हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते. समस्या भूख से निपटने की है. . AG ने जवाब दिया कि केंद्र कोर्ट के सुझावों पर विचार करेगा. अभी तक हमारे पास 134 योजनाएं हैं और हम पहले से ही राज्यों को खाद्यान्न दे रहे हैं. हम मौजूदा योजनाओं से किसी भी पैसे को डायवर्ट नहीं कर सकते हैं. फिर हम एक योजना बना सकते हैं इससे 2% अतिरिक्त खाद्यान्न राज्यों को उपलब्ध कराया जायेगा. राज्यों को हलफनामा दाखिल करने दें. तो यह देखा जाएगा क्या यह 2% सभी राज्यों को स्वीकार्य है.
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किसी की भी भूख से मौत की सूचना नहीं दी गयी
जान लें कि CJI ने अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा, राज्य सरकारों द्वारा किसी की भी भूख से मौत की सूचना नहीं दी गयी. क्या यह समझा जाना चाहिए कि देश में कोई भूख से मौत नहीं है? भारत सरकार हमें भुखमरी से होने वाली मौतों के आंकड़े की ताजा जानकारी दें. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को राज्यों और अन्य हितधारकों के परामर्श से भूख और भुखमरी से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय मॉडल योजना तैयार करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि पार्टियां चुनाव में कई चीजें मुफ्त बांटने की घोषणा करती हैं पर मजबूरों की भूख शांत करने पर ध्यान नहीं देती हैं. कोर्ट ने यहां राज्य सरकारों को भी घेरा और कहा कि सभी 2सप्ताह में इस पर जानकारी दें. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की अब 31 जनवरी को सुनवाई करेगी
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वैक्सीन न लगवाने वाले गरीबों को मुफ्त राशन से वंचित किया जा रहा है
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुनवाई के क्रम में कहा कि कई राज्यों ने कोविड टीकाकरण को अनिवार्य बनाने वाले आदेश जारी किये हैं. वैक्सीन न लगवाने वाले गरीबों को मुफ्त राशन जैसी सुविधा से वंचित किया जा रहा है. कई जगह नौकरी से भी बाहर किया जा रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप राज्यों को सूचित करें. जान लें कि पिछले साल नवंबर में एक सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोगों को भुखमरी से बचाना सरकार का कर्तव्य है. देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने चिंता जताते हुए कहा था कि लोग भूख के कारण मर रहे हैं और हम भूख को लेकर बेहद चिंतित हैं.
छह राज्यों पर पांच-पांच लाख का अतिरिक्त जुर्माना लगा था
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि यह कुपोषण का मामला नहीं है. यह भूख के लिए है, लोग भूख के कारण मर रहे हैं, इन दोनों मुद्दों को आपस में न मिलाये. बता दें कि देशभर में सामुदायिक रसोई स्थापि त करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने सुनवाई की थी.अदालत ने इस जनहित याचिका पर हलफनामे दायर करने के उसके आदेश का पालन नहीं करने पर छह राज्यों पर पिछले साल 17 फरवरी को पांच-पांच लाख रुपए का अतिरिक्त जुर्माना लगाया था.जुर्माना मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, गोवा और दिल्ली पर लगाया गया था.