New Delhi : सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने आज गुरुवार को उद्धव ठाकरे-एकनाथ शिंदे के शिवसेना में टूट और महाराष्ट्र में सरकार बदलने को लेकर दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुना दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने महाराष्ट्र मामले की सुनवाई सात जजों की बेंच के हवाले कर दिया. पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया. (पढ़ें, नेता प्रतिपक्ष मामला : हाईकोर्ट ने तय किये सुनवाई के दो बिंदु)
महाराष्ट्र राजनीतिक संकट मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में एक बड़ी पीठ के संदर्भ की आवश्यकता है। pic.twitter.com/KdKErW5hfp
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स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए-SC
CJI ने कहा कि नबाम रेबिया मामले में उठाये गये सवाल को बड़ी बेंच में भेजना चाहिए. क्योंकि उसमें और स्पष्टता की आवश्यकता है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त व्हिप को ही मान्यता देनी चाहिए. कहा कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था.सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.
सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि गोगावाले (शिंदे समूह) को शिवसेना पार्टी के मुख्य सचेतक के रूप में नियुक्त करने का स्पीकर का फैसला अवैध था। https://t.co/6eKP5Fsxdd
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सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है।… pic.twitter.com/lmmrJzahUy
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भारत के संविधान के अनुसार नहीं था राज्यपाल का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने माना कि महाराष्ट्र के राज्यपाल का निर्णय भारत के संविधान के अनुसार नहीं था. कहा कि राज्यपाल के पास ऐसा कोई संचार नहीं था, जिससे यह संकेत मिले कि असंतुष्ट विधायक सरकार से समर्थन वापस लेना चाहते हैं. राज्यपाल ने शिवसेना के विधायकों के एक गुट के प्रस्ताव पर भरोसा करके यह निष्कर्ष निकाला कि उद्धव ठाकरे अधिकांश विधायकों का समर्थन खो चुके हैं. सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव ठाकरे को राहत देने से इनकार कर दिया, क्योंकि यह देखा गया कि उन्होंने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि स्पीकर को अयोग्यता याचिकाओं पर उचित समय के भीतर फैसला करना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि यथास्थिति बहाल नहीं की जा सकती, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया और अपना इस्तीफा दे दिया.
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महाराष्ट्र विवाद के 11 महीने बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
महाराष्ट्र में जून 2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार गिर गयी थी. इसके बाद एकनाथ शिंदे ने बागी विधायकों और बीजेपी के समर्थन से सरकार बनायी थी. इसके बाद महाराष्ट्र संकट को लेकर दायर आठ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने उद्धव ठाकरे की तरफ से और हरीश साल्वे, नीरज कौल और महेश जेठमलानी ने एकनाथ शिंदे की तरफ से अपना पक्ष रखा था.
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