NewDelhi : सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी न्यूज और नफरत वाले कंटेंट को कथित तौर पर फैलने से रोकने के लिए सोशल मीडिया को जिम्मेदार बनाते हुए कानून बनाये जाने को लेकर दाखिल याचिका पर सोमवार को सुनवाई की. इस क्रम में केंद्र सरकार और अन्य को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया है.
Supreme Court issues notice to the Centre on a PIL seeking directions to make laws to regulate social media platforms and to hold Facebook, Twitter, WhatsApp, Instagram directly responsible for ‘spreading hate speeches and fake news’ pic.twitter.com/4tCZnBisQc
— ANI (@ANI) February 1, 2021
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मीडिया ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच ने मामले में केंद्र और अन्य को नोटिस जारी कर मामले को पूर्व से पेंडिंग याचिका के साथ टैग कर दिया है.
पहले से दाखिल याचिका में कहा गया है कि मीडिया, चैनल और नेटवर्क के खिलाफ शिकायत के लिए मीडिया ट्रिब्यूनल बनाया जाना चाहिए. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है.
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फर्जी न्यूज चंद समय में हटा दिया जाये
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील विनीत जिंदल द्वारा याचिका दाखिल कर कहा है कि सोशल मीडिया प्लेटफर्म पर नफरत वाले फर्जी न्यूज फैलाने के लिए जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. याचिका में कहा गया है कि ऐसा मैकेनिज्म होना चाहिए कि फर्जी न्यूज खुद ब खुद चंद समय में हटा दिया जाये.
विचार अभिव्यक्ति का अधिकार जटिल अधिकार है और इसमें वाजिब रोक है. ये पूर्ण अधिकार नहीं है और इस अधिकार के साथ जिम्मेदारी भी तय की गयी है. कहा गया है कि सोशल मीडिया की पहुंच परंपरागत मीडिया से कहीं ज्यादा है. सोशल मीडिया के गलत इस्तेमाल कर कई बार हिंसा हो चुकी है.
स्वतंत्र मीडिया ट्रिब्यूनल का गठन किया जाये
जानकारी के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और एनबीए से उस याचिका पर जवाब दाखिल कर करने को कहा था जिसमें कहा गया है कि मीडिया, चैनल और नेटवर्क के खिलाफ शिकायत की सुनवाई के लिए स्वतंत्र मीडिया ट्रिब्यूनल का गठन किया जाये.
25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुवाई वाली बेंच के सामने दाखिल अर्जी में कहा गया था कि मीडिया बिजनेस नियमों से संबंधित तमाम कानूनी पहलुओं पर गौर करने और गाइडलाइंस का सुझाव देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व चीफ जस्टिस या जस्टिस की अगुवाई में एक स्वतंत्र समिति का गठन होना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले में केद्र और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था. इसी याचिका के साथ सोमवार को दाखिल याचिका को टैग कर दिया गया है. पिछली याचिका में कहा गया था कि मीडिया खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया बिना लगाम का घोड़ा हो गया है, जिसे कंट्रोल करना जरूरी है.
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