NewDelhi : SC ने राजद्रोह संबंधी औपनिवेशिक काल के दंडात्मक कानून के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका समेत अन्य याचिकाओं पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 की धारा 124-ए को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई की.. इस धारा के तहत राजद्रोह के अपराध में सजा दी जाती है. याचिकाओं में दावा किया गया है कि धारा 124-ए बोलने एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का हनन है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) के तहत प्रदान किया गया है.
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याचिकाकर्ताओं ने इस कानून के दुरुपयोग का आरोप लगाया है
याचिकाकर्ताओं का कहना है वे अपनी संबंधित राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार पर सवाल उठा रहे हैं. सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर उनके द्वारा की गयी टिप्पणियों एवं कार्टून साझा करने के चलते 124-ए के तहत उनके विरूद्ध एफ़आईआर दर्ज की गयी हैं. याचिकाकर्ताओं ने इस कानून के दुरुपयोग का आरोप भी लगाया है. याचिका में कहा गया है कि 1962 से धारा 124 ए के दुरुपयोग के मामले लगातार सामने आये हैं.
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मुख्य चिंता कानून का दुरुपयोग है : सुप्रीम कोर्ट
इस क्रम में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसकी चिंता कानून के दुरुपयोग को लेकर है. उसने केंद्र से सवाल किया कि वह राजद्रोह पर औपनिवेशिक काल के कानून को समाप्त क्यों नहीं कर रहा. CJI एनवी रमण की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि उसकी मुख्य चिंता कानून का दुरुपयोग है और उसने पुराने कानूनों को निरस्त कर रहे केंद्र से सवाल किया कि वह इस प्रावधान को समाप्त क्यों नहीं कर रहा है.
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राजद्रोह कानून का मकसद स्वतंत्रता संग्राम को दबाना था
न्यायालय ने कहा कि राजद्रोह कानून का मकसद स्वतंत्रता संग्राम को दबाना था, जिसका इस्तेमाल अंग्रेजों ने महात्मा गांधी और अन्य को चुप कराने के लिए किया था. इस बीच, अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रावधान की वैधता का बचाव करते हुए कहा कि राजद्रोह कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए कुछ दिशानिर्देश बनाये जा सकते हैं.
जान लें कि पीठ ने मेजर-जनरल (सेवानिवृत्त) एसजी वोम्बटकेरे की एक नयी याचिका पर भी सुनवाई की, जिसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) की संवैधानिक वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गयी है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अनुचित प्रतिबंध है.