बिजली कटने से हो रही है परेशानी
मरीज और अटेंडेंट बेहाल
Ranchi : इस समय झारखंड में भीषण गर्मी पड़ रही है. लोग परेशान हैं. कई जिलों का तापमान तो 40 डिग्री सेल्सियस के ऊपर चला गया है.दूसरी ओर इस गर्मी में बिजली की स्थिति भी ठीक नहीं है. राज्य के हर हिस्से में लोड शेडिंग हो रही है. ऐसे में अस्पतालों में मरीजों और उनकी देख-रेख के लिए मौजूद व्यक्ति की स्थिति काफी चिंता जनक है. कुछ गिने चुने अस्पतालों को छोड़ दिया जाए तो बाकी अस्पतालों में स्थिति अच्छी नहीं है. कहीं पंखे के सहारे लोग दिन कट रहे हैं, तो कहीं बिजली कट जाने से उन्हें अस्पताल के बाहर समय बीताना पड़ रहा है.कई अस्पतालों में इस गर्मी में ठंढ़े पानी की भी व्यवस्था नहीं है.ऐसे में मरीज और तीमारदार बेहाल हैं. शुभम संदेश की टीम ने इस संबंध में राज्य के विभिन्न जिलों के अस्पतालों की पड़ताल की है. पेश है रिपोर्ट.
एमजीएम जमशेदपुर : नल का गरम पानी ही सहारा
कोल्हान के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम में भीषण गर्मी के कारण मरीज और उनके अटेंडेंट का बुरा हाल है. पंखे की गर्म हवा और सार्वजनिक नल का गर्म पानी पीने को विवश हैं. हालांकि अस्पताल के चिकित्सक और चिकित्साकर्मी आरओ का पानी पीते हैं, सक्षम लोग अस्पताल के बाहर से ठंडे पानी का बोतल खरीद कर पी रहे हैं. लेकिन सामान्य और गरीब मरीजों के लिए “अमृतधारा” (मारवाड़ी समाज द्वारा स्थापित) का गर्म पानी ही सहारा है. गर्मी में अस्पताल की व्यवस्था पर मरीजों ने बयां किया अपना दर्द.
गर्म पानी पीने को हैं विवश : प्रभु सहाय
चाईबासा के रहने वाले प्रभु सहाय ने बताया कि अस्पताल में “अमृतधारा” से निकलने वाला गर्म पानी पीने को मरीज विवश हैं. गरीबी के कारण ऐसे मरीजों को बाहर से पानी खरीद कर पीने की हैसियत नहीं है. इसके कारण वे मजबूरी में गर्म पानी पी रहे हैं. एक दुर्घटना में घायल होने के बाद उन्हें ऑर्थो वार्ड में भर्ती कराया गया है. उन्होंने कहा कि ऑर्थो वार्ड में खिड़की के समीप बेड रहने से बाहर की गर्म हवा अंदर प्रवेश करती है.
नल का पानी पीने को मजबूर : चुनका मार्डी
ईचागढ़ के रहने वाले चुनका मार्डी ने बताया कि उनकी पत्नी बीमार है. उसे मेडिसीन वार्ड में भर्ती किया गया है. वहां बरामदे में उसे बेड मिला है. बरामदे में लगे पंखे से गर्म हवा निकलती है. पूरा बेड भरा रहने के कारण वे चाहकर भी बेड नहीं बदल सकते. इसलिए पत्नी के साथ वहां रह रहे हैं. पानी के संबंध में उन्होंने कहा कि वार्ड में पानी की सप्लाई नहीं है. इसके कारण अस्पताल परिसर में लगे सार्वजनिक नल से पानी लाना पड़ता है.
सौतेला व्यवहार किया जाता है : शंभु मार्डी
भुइयांडीह के रहने वाले शंभू मार्डी ने बताया कि अस्पताल में मरीजों के साथ सौतेला व्यवहार किया जाता है. गरीब मरीजों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है. वार्ड में साफ-सफाई केवल दिखावे के लिए है. शौचालय इतना गंदा है कि शायद ही कोई मरीज उसका इस्तेमाल करता होगा. अस्पताल परिसर के एक छोर पर सार्वजनिक शौचालय और स्नानागार हैं. जहां पैसे देकर लोग शौच करते हैं. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पानी की समस्या नहीं है.
मजबूरी में गर्म पानी पी रहे हैं : नंदू गोप
चक्रधरपुर के चैनपुर निवासी नंदू गोप ने बताया कि उसकी मां बीमार है. तीन दिन से अस्पताल में भर्ती है. इसके कारण उसकी देखभाल के लिए उसे रहना पड़ रहा है. नंदू गोप ने बताया कि अस्पताल में एक जगह ठंडा पानी निकलता है. बाकी जगहों पर नल से गर्म पानी निकल रहा है. ठंडे पानी वाले प्वाइंट पर मरीज एवं अटेंडेंट की ज्यादा भीड़ रहती है. इसके कारण मजबूरी में गर्म पानी ही पीना पड़ता है.
बर्न वार्ड में लगी है एसी : डॉ. ललित मिंज
एमजीएम अस्पताल के चिकित्सक सह बर्न वार्ड के इंचार्ज डॉ. ललित मिंज ने बताया कि बर्न वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए गर्मी के मौसम में सामान्य तापमान बरकरार रखने के लिए एयरकंडिशन (एसी) लगाया गया है. बर्न वार्ड में कुल 20 बेड हैं. इसमें वर्तमान में 15 मरीज भर्ती हैं, जिसमें 09 मरीज आयुष्मान कार्डधारी हैं. उन्होंने बताया कि सामान्य मरीजों के लिए अस्पताल से सप्लाई होने वाली दवाइयां एवं उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है.
चिकित्साकर्मी पीते हैं आरओ का पानी : आशीत
एमजीएम अस्पताल के विभिन्न विभागों में पदस्थापित चिकित्सक और चिकित्साकर्मी आरओ का पानी पीते हैं. इसके लिए प्रत्येक दो दिन पर आरओ वाटर का जार मंगाया जाता है. पानी की सप्लाई मानगो शंकोसाई के रहने वाले आशीत राय करते हैं. आशीत राय ने बताया कि अस्पताल के स्टाफ द्वारा आरओ वाटर (जार) मंगाया जाता है. इमरजेंसी के ऊपरी तल्ले पर स्थित आईसीयू/सीसीयू और डायलिसिस यूनिट में पदस्थापित चिकित्साकर्मी अपने खर्चे पर आरओ का पानी मंगाते हैं.
हजारीबाग :
पंखे की गर्म हवा के भरोसे जनरल वार्ड
हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के किसी जेनरल वार्ड में सेंट्रलाइज्ड एसी की व्यवस्था नहीं है. एसी सिर्फ आईसीयू और ब्लड बैंक में है. मरीजों के अटेंडेंट के बैठने की जगह पर पंखे लगे ही नहीं हैं. वैसे भीषण गर्मी का कहर मरीज पंखे की गर्म हवा के झोकों में काट रहे हैं. बच्चों की जहां जांच की जाती है, वहां भी पंखे नहीं हैं. मरीजों और उनके परिजनों का कहना है कि हर वार्ड में एक सेंट्रलाइज्ड एसी या कुछ कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए, सिर्फ पंखों के भरोसल अब यह गर्मी नहीं कट रही है. शीतल पेजयल की व्यवस्था करीब करीब हर वार्ड में है.
पंखे के बिना हो रही परेशानी : सत्येंद्र सिंह
चतरा के पांडेयपुरा से पत्नी की थायराइड का इलाज कराने आए सत्येंद्र सिंह कहते हैं कि पंखे के बिना गर्मी में परेशानी हो रही है. पर्चा कटवाने के स्थान पर पंखा होना चाहिए. साथ ही यहां पानी की भी व्यवस्था होनी चाहिए. आखिर मरीज के अटेनडेंट कहां जाएंगे. मरीज के लिए कूलर की व्यवस्था भी सरकार को करने की जरूरत है.
सेहत के लिए मिनरल वाटर पीते हैं : संजीत
फॉरेस्ट कॉलोनी के अपने बच्चे का इलाज करवाने आए संजीत कुमार कहते हैं कि अस्पताल में पानी की परेशानी नहीं है. फिर भी सेहत के लिए मिनरल वाटर खुद खरीद कर पीते हैं. कुछ वार्डों में पंखे की परेशानी है. बच्चे की जहां जांच कराई जाती है, वहां कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए. अंदर वार्ड में बीच में कहीं एसी लगा दिया जाता, तो उसका फायदा भी मरीजों को मिलता.
अन्य अस्पतालों से यहां बेहतर व्यवस्था : संजय
चुरचू के बोदरा से अपने बहनोई के टूटे पैर का इलाज कराने आए संजय करमाली कहते हैं कि अन्य सरकारी अस्पतालों से बेहतर व्यवस्था हजारीबाग शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में है. यहां गर्मी में काफी राहत है. करीब हर वार्ड में पंखा और पानी है. इस गर्मी में सरकार अगर एसी और कूलर की व्यवस्था कर दे, तो यह मरीजों के लिए संजीवनी साबित होगा.
रांची : सदर अस्पताल की व्यवस्था टंच, रिम्स अब भी बदहाल
सदर अस्पताल
- ओपीडी वाले भवन के ग्राउंड फ्लोर में पेयजल की व्यवस्था नहीं है.
- पहले और सेकेंड फ्लोर पर पीने के पानी की व्यवस्था है.
- भवन के सभी फ्लोर पर एसी लगी हुई है.
- मरीजों और साथ रहनेवाले अटेंडेंट के बैठने की बेहतर व्यवस्था भी है.
- नहाने की अच्छी व्यवस्था है.
- शौचालय में अच्छी साफ-सफाई देखने को मिली.
मरीज जहां एडमिट रहते हैं
- पीने की पानी की व्यवस्था है.
- पंखे लगे हैं, परेशानी नहीं होती
- साफ-सफाई का ध्यान है.
- मरीजों-अटेंडेेंट के नहाने की व्यवस्था भी ठीक है,साफ-सफाई भी नियमित होती है
रिम्स रांची
- शौचालय की सफाई हाल में हुई थी, पर स्थिति अच्छी नहीं है.
- ओपीडी के लिए जहां टोकन मिलता है, उस गली में एक भी पंखा लगा ही नहीं है.
- मरीजों के साथ रहनेवाले अटेंडेंट के नहाने की कोई व्यवस्था नहीं है.
- न्यूरो सर्जरी विभाग के बाहर मरीजों के परिजनों के लिए बाहर पंखे लगे हुए हैं.
- रिम्स में गर्मी से राहत के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है.
- रिम्स की पुरानी बिल्डिंग में हर फ्लोर पर वाटर कूलर लगाए गए हैं. लेकिन मेंटेनेंस के अभाव में अधिकतर मशीनें या तो खराब हैं या पानी बहुत धीरे आता है.
- जारों की संख्या में हर रोज ओपीडी में मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन यहां पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है.
- न्यू ट्रामा सेंटर के प्रवेश द्वार पर वाटर कूलर लगाया गया है. इससे इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को थोड़ी राहत जरूर मिलती है. यहां हर फ्लोर पर वॉशरूम है और इसकी साफ-सफाई अच्छी है.
- रिम्स की पुरानी बिल्डिंग के शौचालय की सफाई की जरूरत है. यहां सफाई की कमी की वजह से बदबू आती है.
रामगढ़ :
बेहतर सुविधाएं हैं सफाई पर ध्यान देना जरूरी
राज्य भर में भीषण गर्मी पड़ रही है जिससे लोग बेहाल हैं.उसकी तुलना में यहां सरकारी अस्पतालों में मरीजों और उनकी देखभाल के लिए यहां अटेंडेंट की स्थिति सामान्य कही जा सकती है. रामगढ़ सदर अस्पताल में भर्ती मरीजों के अटेंडेंट की बैठने की पर्याप्त सुविधा है और जिस हॉल में अटेंडेंट बैठते हैं, वहां 3 सिलिंग फैन और 2 वॉल फैन लगे हुए हैं. इसके अलावा जहां मरीज भर्ती हैं, वहां भी पंखे लगे हैं. सोलर से चलने की वजह से बिजली कटने के बाद भी पंखे बंद नहीं होते हैं. जिस हॉल में अटेंडेंट बैठते हैं वह दो तरफ से खुला है, इसलिए वहां गर्म हवा नहीं रहती. अस्पताल में पानी की अच्छी व्यवस्था है. ठंडे पानी के लिए कई हिस्से में 6 फ्रीजर लगाए गए हैं,जहां से सभी ठंडा पानी लेते है .अस्पताल में फ्रीजर लगने से अब लोगों को बाहर से पानी खरीदना नहीं पड़ता है. बावजूद इसके अस्पताल में अभी भी साफ-सफाई की गुंजाइश है. व्यवस्था को और भी अच्छा किया जा सकता है.
ठंडे पानी के लिए लगे हैं कई फ्रिजर
एक ओर जहां पूरे झारखंड में भीषण गर्मी के बाद लोग बेहाल हैंं. लोग अपनी- अपनी समस्याओं को लेकर दूर दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. रामगढ़ के सदर अस्पताल में पहुंचने वाले लोगों को कई सुविधाएं मिल रही है. एक तरफ जहां अटेंडेंट की बैठने की अच्छी व्यवस्था दी गई है तो वंही ठंडा पानी के लिए अस्पताल में कई फ्रीजर लगाए गए हैं. भर्ती मरीजों के वार्ड में पंखे भी लगे हैं. बिजली कटने के बाद भी पंखे बंद नहीं होते हैं. क्योंकि इन पखों के सोलर से जोड़ा गया है.
लातेहार : जनरल वार्ड में पंखे के भरोसे ही हैं मरीज
जिला मुख्यालय में बहुमंजिला सदर अस्पताल है. आधुनिक उपकरण एवं सुविधाओं से युक्त इस सदर अस्पताल के जेनरल वार्ड के मरीज इस भीषण गरमी में पंखों के सहारे हैं. हालांकि आइसीयू एवं एनआईसीयू के वार्डों में एयर कंडीशनर अवश्य है.अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अरविंद कुमार ने शुभम संदेश से बातचीत करने हुए कहा कि सीमित संसाधनों में भी अस्पताल के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि मरीजों के साथ आने वाले अटेंडेंट के लिए अस्पताल के कोरिडोर एवं अस्पताल के बाहर प्रतीक्षालय में पंखे की व्यवस्था है. यह पूछे जाने पर कि बिजली कट जाने पर अस्पताल में बिजली की क्या वैकल्पिक व्यवस्था है, डॉ. कुमार ने बताया कि बिजली कट जाने पर अस्पताल में दो प्रकार के विकल्प हैं. एक तो जेनेरेटर की व्यवस्था है और दूसरा पूरे अस्पताल में सोलर सिस्टम से बिजली की आपूर्ति की जाती है. मरीजों के परिजनों के लिए पानी की व्यवस्था वाटर एटीएम और प्याउ से की जाती है.
मुख्यमंत्री ने किया था दौरा
गत 13 और 14 फरवरी को अपने दो दिवसीय प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदर अस्पताल लातेहार का निरीक्षण किया था. इस दौरान उन्होंने अस्पताल के विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया था और मरीजों से बात भी की थी. मुख्यमंत्री ने सदर अस्पताल की व्यवस्था पर संतोष प्रकट किया था.
देवघर : सदर अस्पताल में व्यवस्था अस्त-व्यस्त
देवघर सदर अस्पताल में इन दिनों लापरवाही का आलम साफ देखा जा सकता है.इस गर्मी में पानी और पंखे की व्यवस्था ठीक नहीं है. जिले के 10 प्रखंडों से गरीब परिवार के लोग इलाज कराने इस अस्पताल में आते हैं. अस्पताल के ओपीडी के अंदर मरीजों की लंबी लाइन लगी हुई होती है और डॉक्टर घंटों नदारद रहते हैं.
अस्पताल के बर्न वार्ड में अटेंडेंट फर्श पर बैठने को विवश हैं. मोहनपुर प्रखंड के बिराज कुरुमटाड़ा गांव के कैलु दास अपनी बेटी के इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे हैं. मंगलवार को ही उनकी बेटी भर्ती हुई हैं, लेकिन बुधवार सुबह तक उन्हें देखने कोई डॉक्टर नहीं आया. जिससे कैलु दास काफी चिंतित हैं. उनकी बेटी गंभीर बीमारी से जुझ रही है. सारठ प्रखंड के बगदाहा गांव से आए निर्मल कुमार अंबष्ट अपनी बहू को अस्पताल के प्रसूति विभाग में भर्ती कराया है. लेकिन पानी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से वह परेशान हैं.
अस्पताल के बाहर ओपीडी के ठीक बगल में लगा वाटर कूलर नाम का ही वाटर कूलर है. उससे गर्म पानी ही निकलता है. मरीज़ों और उनके परिजनों के पास इतने पैसे नहीं कि वो बाहर से पानी खरीदकर पी सके, लिहाज़ा भीषण गर्मी में भी मरीज और उनके परिजन गर्म पानी पीने को ही विवश है.
क्या कहते है डीएस प्रभात रंजन
अस्पताल उपाधीक्षक प्रभात रंजन ने कहा कि डॉक्टर ड्यूटी के दौरान विजिट के लिए वार्डों में जाते हैं, जिसे लेकर कई बार ओपीडी की टेबल खाली पड़ जाती है. अस्पताल में नया वाटर कूलर लगने की बात चल रही है. अस्पताल में आए विभिन्न मरीज़ों के साथ-साथ बाहर के लोग भी वाटर कूलर का इस्तेमाल करते हैं.
चक्रधरपुर: बिजली कटने पर मरीजों के वार्ड में बंद हो जाते हैं पंखे, कई हैं खराब
भीषण गर्मी में चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल के मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अनुमंडल अस्पताल के मरीज वार्ड में पंखे तो लगे हैं, लेकिन बिजली कटने के बाद पंखे चलना बंद हो जाते हैं. बिजली की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. अस्पताल में इनवर्टर है, लेकिन इनवर्टर से सारे पंखों का कनेक्शन नहीं है. बिजली बल्ब जलाने के लिए ही इनवर्टर का उपयोग किया जाता है. वहीं अस्पताल के मरीज वार्ड में कई पंखे खराब पड़े हैं. इसके कारण मरीज व अटेंडेंट को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वहीं अस्पताल में मरीजों के लिए ठंडे पानी की व्यवस्था है, लेकिन मरीज के साथ रहने वाले अटेंडेंट को बाहर से पानी लाना पड़ता है.
बिजली गुल, तो परेशानी : मनोज
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में इलाजरत मरीज मनोज टुडू और ममता महतो ने बताया कि अस्पताल के वार्ड में लगे पंखों में से कई खराब हैं. इस कारण इस गर्मी में काफी दिक्कत हो रही है. अस्पताल में कूलर की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि भीषण गर्मी में मरीजों को परेशानियों का सामना न करना पड़े.
व्यवस्था दुरूस्त है: चिकित्सा पदाधिकारी
चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अंशुमन शर्मा ने कहा कि हमारे अस्पताल में सारी व्यवस्था दुरूस्त है. उन्होंने कहा कि अस्पताल में बिजली कटने पर इनवर्टर से पंखे चालू किये जाते हैं. इन्वर्टर से पंखे चलने के कारण सारे पंखों में कनेक्शन नहीं जोड़ा गया है, लेकिन कुछ पंखों में कनेक्शन अवश्य है.
घाटशिला : शानदार है अनुमंडल अस्पताल
घाटशिला अनुमंडल अस्पताल व्यवस्था के मामले में किसी निजी नर्सिंग होम से कम नहीं है. प्रत्येक वार्ड में 6-6 पंखे लगे हुए हैं. इसके अलावा एमटीसी, एसएनसीयू तथा लेबर रूम में एसी की व्यवस्था की गई है. अनुमंडल अस्पताल घाटशिला पूरी तरह सोलर सिस्टम से लैस है. इसके अलावा बड़े-बड़े 3-3 डीजी सेट लगे हुए हैं. इस वजह से बिजली कटने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है. गर्मी में राहत देने के लिए मरीज की देखरेख करने वाले लोगों के लिए वार्ड के बाहर बरामदे में पंखे लगे हुए हैं. अस्पताल परिसर में 3 वाटर कूलर हैं, जहां से मरीज तथा मरीज के अटेंडेंट पीने का पानी लेते हैं. व्यवस्था बहुत अच्छी है.
कूलर की हो व्यवस्था : सागेन मुर्मू
मरीज के अटेंडेंट सागेन मुर्मू ने बताया कि अस्पताल में पंखे की व्यवस्था है. सरकार यदि मरीज और अटेंडेंट के लिए कूलर या टेबल पंखे की व्यवस्था करे तो और अधिक सुविधा मिलती. वैसे सीलिंग फैन से गर्मी में गर्म हवा लगती है. रात में छत ठंडा होने पर थोड़ी राहत महसूस होती है.
पाकुड़ : बाहर बैठ कर रात गुजारने को मजबूर
भीषण गर्मी पड़ रही है अस्पतालों में मरीज और उनकी देखरेख करने वाले तीमारदार भगवान भरोसे रहने को मजबूर हैं. बिजली कटने पर पंखे नहीं चलते हैं, जब चलते भी हैं, तो गर्म हवा निकलती है. भीषण गर्मी से राहत के लिए मरीज और तीमारदारों के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं. बिजली कटने पर लोग अंदर-बाहर करते रहते हैं. अस्पताल में पानी किसी भी वार्ड में नहीं है. नीचे नल लगे हुए हैं. अस्पताल के महिला और पुरुष वार्ड में भर्ती हसनआरा बीवी, सुमीरा बीवी, शांति हेम्ब्रम, रफीक शेख, नव गोराई, मीठून गोराई और अहमद शेख ने कहा कि कूलर आदि की बात न करें साहब. यहां रात में लाइन कटने पर जनरेटर भी नहीं चलता है.
स्टाफ डांटते हैं
जनरेटर चलाने की बात करने पर स्टाफ डांट-डपट करते हैं. कुल मिला कर स्थिति अच्छी नहीं है. बाथरूम में भी गंदगी का अंबार रहने से सभी को परेशानी होती है. लगभग 100 मीटर की दूरी पर बाथरूम है. जिससे महिलाओं को काफी परेशानी होती है. सभी खानापूर्ति करने में जुटे हैं. किसी भी वार्ड में एसी नहीं है. पानी की भी व्यवस्था नहीं है. सिजेरियन मरीज को भी स्नान करने के लिए ऊपर तल्ले से नीचे या बाहर से पानी लाना पड़ता है.
धनबाद :रतजगा करते हैं मरीज और अटेंडेंट
धनबाद में भीषण गर्मी का सबसे बड़ा प्रभाव सरकारी अस्पतालों में मरीजों पर पड़ रहा है. मरीजों और उनके परिजनों को बिजली के अभाव में पूरी रात बैठ कर गुजारना पड़ रहा है. सदर अस्पताल में जनरेटर तो है, लेकिन चलता नहीं. रही बात इनवर्टर की, तो इस भीषण गर्मी में वह भी साथ नहीं दे रहा है. अस्पताल परिसर में लगे फ्रीजर का भी हाल खस्ता है. फ्रीजर से अब ठंडे की जगह गर्म पानी निकल रहा है, जो बड़ी समस्या है. बिजली संकट से ज्यादा परेशानी उन मरीजों को है, जिनका ऑपरेशन हुआ है. गर्मी के कारण उनके जख्म बढ़ सकते हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन को इससे कोई लेना देना नहीं है.
जेनरेटर है, तो चलता नहीं, इनवर्टर भी नहीं दे रहा साथ
बिजली ही नहीं पानी की भी बड़ी समस्या : मोहम्मद रफीक
गोमो से अपनी बहू का इलाज कराने सदर अस्पताल पहुंचे मोहम्मद रफीक अंसारी का कहना है कि अस्पताल में बिजली ही नहीं, पीने के पानी की भी बड़ी समस्या है. उन्होंने बताया कि बिजली कटने के बाद मरीजों के साथ परिजनों का भी रतजगा तो हो जाता है. वह बताते है कि एक सप्ताह में उनकी जिंदगी दूभर हो गयी है. अस्पताल में बिना पंखा का सोना तथा गर्म पानी पीना पड़ रहा है. ठंडा पानी अस्पताल से बाहर कोर्ट मोड़ या फिर रणधीर वर्मा चौक से खरीद का लाना पड़ता है, जो हमारे वश की बात नहीं है.
बिजली रहती नहीं, अधिकतर पंखे भी खराब : राजेश कुमार
झरिया पांडे बेरा निवासी राजेश कुमार रावत कहते हैं कि वह पिछले 7 दिनों से सो नहीं सके हैं. उन्होंने बताया कि अस्पताल में अधिकतर पंखे खराब हैं. बार बार मांग करने पर एक पंखे को चालू कराया गया. लेकिन अब बिजली के अभाव में वह भी बहुत कम ही चलता है. उन्होंने कहा कि अस्पताल के प्रसूता वार्ड में एक दो पंखा ही चल रहा है. वार्ड में लगा एसी भी बंद पड़ा है. जिस कारण ऑपरेशन के मरीजों को परेशानी हो रही है.
मोबाइल की रोशनी के सहारे गुजरती है रात : मोहम्मद रजा
लोयाबाद निवासी मोहम्मद रजा का कहना है कि वह अपनी पत्नी के इलाज के लिए पिछले 1 सप्ताह से सदर अस्पताल में हैं. कहते हैं कि रात के समय अस्पताल में बिजली कटने के बाद अंधेरा पसर जाता है. कुछ खास चेंबर और कुछ खास जगहों पर ही बिजली दिखाई देती है. बिजली की किल्लत और गर्मी की मार जनरल वार्ड में भर्ती मरीजों तथा बाहर बरामदे में सोए परिजनों को भुगतनी पड़ती है. उनका कहना है कि बिजली कटने के बाद वह मोबाइल के रोशनी के सहारे रात बिताते हैं.
रोशनी के लिए जलाना पड़ता है मोबाइल टार्च : बिनोद सोनी
कोला कुसमा के विनोद सोनी का कहना है कि अस्पताल में बिजली कटने के बाद जनरेटर नहीं चलाया जाता है. इनवर्टर भी कुछ खास विभागों को ही रोशन करते हैं. अस्पताल के जनरल वार्ड तथा बरामदे में अंधेरा पसरा रहता है. मरीजों को रोशनी के लिए अपने मोबाइल का टॉर्च जलाना पड़ता है. बिजली कटने पर तथा जनरेटर चालू ना होने के कारण प्रसूता महिलाओं को बेहद परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
चाईबासा : सदर अस्पताल में है सोलर ऊर्जा
चाईबासा सदर अस्पताल में इन दिनों लगभग 200 से ज्यादा मरीज प्रतिदिन सदर अस्पताल में इलाज कराने के लिए आ रहे हैं. इन मरीजों में जिनकी हालत क्रिटिकल होती है, उन्हें भर्ती कर इलाज किया जाता है और सामान्य परिस्थितियों में चिकित्सकीय जांच के बाद दवा देकर उन्हें घर भेज दिया जाता है. सदर अस्पताल में बिजली कटने के विकल्प के रूप में हर एक विभाग और हर वार्ड के ऊपर छत पर सोलर पैनल लगाया गया है, ताकि बिजली आपूर्ति बाधित न हो और मरीजों को उनकी सुविधानुसार हर वार्ड में पंखे चलते रहें. सदर अस्पताल में सेंट्रलाइज्ड एसी की कोई व्यवस्था नहीं है. इस विकल्प के रूप में हर वार्ड में 30 पंखे लगाए गए हैं, जबकि मरीजों के परिजनों के लिए हर वार्ड में बेड सहित एक बड़ा हॉल रखा गया है, जिसमें मरीजों के परिजन रहते हैं.
ताल में पीने के पानी की व्यवस्था जरूरी
सदर अस्पताल में पूर्व की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है. इसमें अभी और कुछ सुधार किए जाने की आवश्यकता है. मसलन पीने के पानी की व्यवस्था जो दो तल पर अभी नहीं है, उसे पूरा किया जाना जरूरी है, ताकि मरीजों और उनके परिजनों को ठंडे पानी की तलाश में नीचे नहीं जाना पड़े या उसकी खरीदारी नहीं करनी पड़े.
चंदवा: बिजली पानी की व्यवस्था से सभी संतुष्ट
चंदवा का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तीन मंजिला है. पहली मंजिल में आपरेशन थिएटर और मरीजों को रखने की व्यवस्था है. बीच तल्ले में मरीजों को रखने की व्यवस्था होने की वजह से गर्मी का ज्यादा अह्सास नहीं होता है. वैसे कोई मरीज नहीं मिला, जिसने बिजली,पानी को लेकर कोई शिकायत की. यहां बिजली की बढिया व्यवस्था है,सप्लाई बिजली नहीं रहने पर अस्पताल में जेनरेटर की व्यवस्था है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चंदवा के सामान्य वार्ड में पांच दिन से मरीज पवन गंझू भर्ती है. उसकी मां अंजू देवी कुदरा गांव की रहने वाली है. वह कहती है जब से आई हूं कभी बिजली गुल नहीं हुई है और न ही पंखा बंद हुआ है.
गिरिडीह : बिजली कटते छटपटाने लगते हैं मरीज
सदर अस्पताल में गर्मी के कारण मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. प्राइवेट नर्सिंग होम में भी मरीजों के लिए व्यवस्था कोई खास नहीं रहती है. एसी रूम के लिए यहां भर्ती मरीजों को ऊंची कीमत चुकानी पड़ती है. कहने को तो सदर अस्पताल में 4 जनरेटर और सोलर सिस्टम हैं ,पर पावर कट के समय इन सुविधाओं से मरीज मरहूम रह जाते है. वहीं चिकित्सकों और सिविल सर्जन कार्यालय में इनवर्टर, जनरेटर और सोलर सिस्टम से बिजली बहाल करने की व्यवस्था है. मरीज वार्ड में लाइन कटने पर कोई व्यवस्था नहीं है. पावर कट पर केवल एलईडी, लाइट जलती है. पेयजल का भी यही हाल है. ठंडे पानी की तलब होती है तो भर्ती मरीज के परिजन को बाहर से पानी लाना पड़ता है. हालांकि पूर्व में अस्पताल में 4 वाटर कूलर की व्यवस्था थी पर 2 साल से यह व्यवस्था भी बंद है.
बिजली कटी तो पंखे बंद
सदर प्रखंड के धनेश्वर दास ने बताया कि वे शुक्रवार से भर्ती हैं. लाइन कटने पर केवल लाइट जलती है पंखा बंद रहता है. कूलर की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती है. ऐसी व्यवस्था रहती तो आम मरीजों को सहूलियत होती. भंडारीडीह के वजीर राणा ने बताया कि 5 दिनों से भर्ती है. बिजली काटने पर यहां पंखा चलने की कोई व्यवस्था नहीं है.
गोड्डा: सीएस की निगरानी में सुव्यवस्थित है सदर अस्पताल
आधुनिक चिकित्सा व्यवस्था से कोसों दूर गोड्डा वासी सरकारी अस्पताल पर ही निर्भर है. पूरे जिले से लोग इलाज कराने सदर अस्पताल ही पहुंचते हैं. ऐसे में यहां की व्यवस्था को दुरुस्त बनाए रखना एक चुनौती है. सीएस डॉ अनंत झा के कार्यकाल में पानी, बिजली को लेकर अस्पताल में सुधार देखने को मिल रहा है.सीएस कहतें हैं कि आप किसी भी समय पहुंचे जिनकी ड्यूटी है वह आपको तैनात मिलेंगे.