Seraikela (Bhagyasagar singh) : इस वर्ष मानसून के ससमय व नियमित नहीं रहने के कारण जिले के अधिसंख्य किसान और मत्स्य पालकों में अकाल का संकट मंडराने लगा है. मानसून व प्री मानसून की बारिश से जून महीने से ही मछली पालकों की सक्रियता बढ़ जाती है. लेकिन इस वर्ष जुलाई माह तक उनकी सक्रियता नजर नहीं आ रही है. यदि कुछ दिनों के अंदर बारिश हो भी जाती है, तो मत्स्य बीज के नहीं मिलने पर भी उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा होगा.
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अपर्याप्त पानी के कारण हो चुका है काफी नुकसान : कृष्णा कैवर्त
सरायकेला के प्रगतिशील मत्स्य पालक सह मछुआ मत्स्यजीवी सहयोग समिति सरायकेला के अध्यक्ष कृष्णा कैवर्त के अनुसार इस वर्ष अपर्याप्त पानी के कारण उन्हें काफी नुकसान हो चुका है. उन्होंने बताया कि दो करोड़ स्पॉन तैयार करने का लक्ष्य था. लेकिन तालाब में पर्याप्त पानी नहीं रहने के कारण लगभग 60 लाख मत्स्य बीज तैयार किया जा रहा था. लेकिन उसमें से भी लगभग 40 लाख नष्ट हो गए हैं.
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वर्षों पूर्व बंगाल से मत्स्य बीज लाया करते थे स्थानीय मछली पालक
वहीं, सप्ताह-दस दिनों के अंदर पानी की उपलब्धता नहीं होने पर यह नुकसान बढ़ेगी और ऐसे में अपने निर्धारित लक्ष्य के मत्स्य बीज तैयार भी नहीं किए जा सकेंगे. वे राज्य के कई जिलों सहित ओडिशा में भी मत्स्य बीज का व्यवसाय करते हैं. उल्लेखनीय है कि वर्षों पूर्व स्थानीय मछली पालक बंगाल से मत्स्य बीज लाया करते थे. कृष्णा कैवर्त द्वारा मत्स्य बीज व्यवसाय शुरू करने से उनकी भी समस्या कम हुई थी. रोहू- कतला व मृगल मछली के मत्स्य बीज यहीं उपलब्ध हो जाते थे.
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सरकार से क्या अपेक्षा रखते हैं मछली पालक
प्रगतिशील मत्स्य पालक कृष्णा कैवर्त के अनुसार क्षेत्र में सरकार को हरित क्रांति के तर्ज पर नील क्रांति के विकास हेतु ठोस व नई योजनाएं लानी चाहिये. उनका कहना है कि मछली व्यवसाय से जुड़े लोगों को उनके जरूरत के आधार पर बैंक सहयोग नहीं करते हैं. क्षेत्र में विभिन्न योजनाओं द्वारा अनेक नए तालाब बनाये जाते हैं और पुरानों का जीर्णोद्धार किया जाता है. लेकिन उनमें तकनीकी खामियां रहती हैं, जिनके कारण मछली पालन में बाधा होने के साथ ही तालाबों का जलक्षेत्र घट जाता है. साथ ही अनेक क्षेत्र मेड़ सहित खाली रह जाते हैं. ऐसे स्थानों का लोग अतिक्रमण करने लगते हैं. मछली पालन को व्यवसाय का रूप देने के लिये तालाब जीर्णोद्धार के समय मछली पालन के तकनीकी पहलुओं पर भी ध्यान रखा जाए सरकार से उनकी यही आग्रह है.
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