Seraikela(Bhagya sagar singh) : सरायकेला जिला मुख्यालय में झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड की लचर व्यवस्था को लेकर शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ता परेशान हैं. यह परेशानी मात्र बिजली की अनियमित आपूर्ति को लेकर ही नहीं है, विभागीय अनदेखी और मेंटेनेंस के नाम पर केवल कागजी खाना पूर्ति के कारण सुरक्षा को लेकर भी अनेक स्थानों पर समस्या बनी हुई है. ग्रामीण क्षेत्र की बात कौन कहे नगरपंचायत क्षेत्र के अंदर ही बिजली के पुराने खम्भों पर लगे झूलते तारों से कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती है. प्रायः बिजली प्रवाहित तार टूट कर गिरा करते हैं, गनीमत है कि अब तक कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई है. खम्भों पर कहीं चार तार नजर आते हैं, तो कहीं पांच, अचानक इनकी संख्या दो भी हो जाती है. अन्य तार स्वतंत्र लटकते रहते हैं या मेंटेनेंस के नाम गायब कर दिए जाते हैं यह पता नहीं चलता है. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के अनेक स्थानों पर विभाग द्वारा केबुल तार लगाए गए. परन्तु शहर के कुछ स्थानों पर आज भी अंग्रेजों के जमाने के तार लगे हुए हैं. सम्भवतः पुरानी एवं कीमती धातु के इन तारों को विभाग बदलना नहीं चाहती. उपभोक्ताओं के अनुसार विभाग को नियमित बिजली आपूर्ति के साथ ही जनसुरक्षा को भी प्राथमिकता देनी चाहिये.
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हर जगह उपभोक्ताओं को वहन करने पड़ते हैं खर्च
खम्भे से घर तक आये कनेक्शन में कभी किसी तरह की गड़बड़ी होने, किसी ऊंचे वाहन से लग कर या अन्य कोई कारण तार के टूटने पर मरम्मती का कोई शुल्क निर्धारण नहीं है. विभागीय पदाधिकारी मात्र कुछ लोगों के नम्बर दे देते हैं कि ये मिस्त्री हैं इनसे बात कर लीजिये. मिस्त्रियों व भुक्तभोगी के आपसी मोल तोल पर ही यह निर्धारित होता है कि इसके लिये उसे कितने खर्च करने पड़ेंगे. सबसे मजे की बात तो यह है कि किसी पोल पर जिसके काम के लिये मिस्त्री चढ़ता है सिर्फ उसी का काम कर उतर जाता है. उसके नजर में अगर अन्य किसी उपभोक्ता के कनेक्शन में कोई कमी दिखाई भी दे तो उसे सही नहीं किया जाता है. ताकि पुनः उसके बुलावे पर उससे मरम्मती खर्च लेकर ही उसे ठीक किया जा सके.
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ट्रांसफार्मर लाने के लिए किराया गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर देते है
ग्रामीण क्षेत्रों में भी ट्रांसफार्मर में कोई गड़बड़ी होने पर पूरे गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर बिजली मिस्त्रियों को पैता देते हैं. तभी उनका काम होता है. कभी फ्यूज बंधवाना हो या ट्रांसफार्मर में तेल डालना सबके लिये चंदे जमा किया जाता हैं. ट्रांसफार्मर जब बदला जाता है तो कोई जनप्रतिनिधि या नेता उसका उद्घाटन अवश्य करते हैं पर उसको लाने के नाम पर किराया भी गांव वाले चंदा इकठ्ठा कर देते हैं. शहर के अगल बगल एवं गांव में अनेक बिजली खम्भे जमीन पर गिरने को बेताब हैं. खम्भो के सहारे बिजली तार नहीं बल्कि ऐसे झुके हुए खम्भे बिजली के तारों के भरोसे ही टिके हुए हैं.
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